रायपुर: बुधवार के दिन गणपति की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता (Worship Lord Ganesha on Wednesday ) है. मान्यता है कि बुधवार के दिन गणपति की पूजा-अर्चना और व्रत करने से गणपति की कृपा बनी रहती है. गणेश जी को सबसे पहले पूजा जाता है. यही कारण है कि इन्हें प्रथमेश कहा जाता है. बुधवार के दिन गणेश पूजा के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाए तो मनुष्य के जीवन के हर विघ्न को विघ्नहर्ता हर लेते हैं.
कैसे करें गणपति का विशेष पूजन : हमारे देश में गणपति का पूजन सर्वोपरि माना गया है. गणपति देवों में प्रथम देव माने गए हैं. लेकिन इन्हें क्रोध भी बहुत जल्दी आता है. इसलिए यदि आप गणपति पूजन करना चाहते हैं तो कई सारे बातों को समझ लिजिए नहीं तो आपके पूजन का फल नहीं मिलेगा. उल्टा आने वाले दिनों में कठनाईयां बढ़ जाएंगी.इसलिए गणपति पूजन और उनकी आरती को सही ढंग से करना जरुरी (How to do Ganpati aarti on Wednesday) है.
गणपति की पूजन विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें
इसके बाद तांबे या फिर मिट्टी की गणेश जी की प्रतिमा लें
फिर एक कलश में जल भरें और उसके मुख को नए वस्त्र से बांध दें फिर इस पर गणेश जी की स्थापना करें
गणेश भगवान को सिंदूर, दूर्वा, घी और 21 मोदक चढ़ाएं और उनकी विधि विधान पूजा करें
गणेश जी की आरती उतारें और प्रसाद सभी में बांट दें
ध्यान रहे कि गणेश जी की पूजा में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है
बुधवार के दिन करें ये खास उपाय: गणपति पूजन के दौरान गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें क्योंकि दूर्वा उन्हें बहुत प्रिय है. इससे भगवान गणेश बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. कहते हैं कि चावल भगवान श्रीगणेश जी को बहुत पसंद है. परंतु इन्हें सूखा चावल नहीं चढ़ाना चाहिए. पूजा के दौरान उन्हें गीला चावल अर्पित करें. भगवान गणेश जी को लाल रंग बहुत प्रिय है. इसलिए बुधवार के दिन भगवान गणेश के पूजन में लाल सिंदूर का तिलक जरूर लगाएं. इसके बाद इसे खुद भी लगाना चाहिए.
इन बातों का भी रखें ध्यान: कहा जाता है कि गणेश जी को शमी का पौधा बेहद प्रिय है. इसलिए बुधवार के दिन भगवान गणेश को शमी का पौधा जरूर अर्पित करें. इससे घर में धन-धान्य और सुख शांति की प्राप्ति होती है. बुधवार के दिन श्रीगणेश भगवान को घी, गुड़ का भोग लगाना चाहिए. इससे भगवान श्रीगणेश अति प्रसन्न होते हैं. श्री गणेश भगवान की कृपा से घर में धन संबंधी सभी समस्याएं दूर होती हैं.
गणेश जी के जन्म से जुड़ी कथा: पौराणिक मान्यताओं अनुसार एक बार पार्वती माता स्नान करने के लिए जा रही थीं. उन्होंने अपने शरीर की मैल से एक पुतले का निर्माण किया और उसमें प्राण फूंक दिए. माता पार्वती ने गृहरक्षा के लिए उसे द्वार पाल के रूप में नियुक्त किया. क्योंकि गणेश जी इस समय तक कुछ नहीं जानते थे. उन्होंने माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान शिव को भी गुफा में आने से रोक दिया. शंकरजी ने क्रोध में आकर उनका मस्तक काट दिया. माता पार्वती ने जब अपने पुत्र की ये दशा देखी तो वो बहुत दुखी हो गईं और क्रोध में आ गईं. शिवजी ने उपाय के लिए गणेश जी के धड़ पर हाथी यानी गज का सिर जोड़कर उन्हें जीवित किया. जिससे उनका एक नाम गजानन पड़ा.