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Guru Pradosh Vrat 2021: गुरु प्रदोष पर शिव की पूजा, जानिए पूरी विधि

गुरुवार को प्रदोष का व्रत होने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) कहा जाता है. आज ही मास शिवरात्रि व्रत (month shivratri fast) भी है. प्रदोष तिथि 1 दिसंबर 2021 बुधवार रात्रि 11:35 से लेकर गुरुवार 2 दिसंबर को रात्रि 8:26 तक रहेगी. आप भी जानिए गुरू प्रदोष व्रत की पूजन विधि...

Guru Pradosh Vrat 2021
Guru Pradosh Vrat 2021
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Published : Dec 1, 2021, 7:01 PM IST

Updated : Dec 1, 2021, 8:09 PM IST

रायपुरः गुरुवार को प्रदोष का व्रत होने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) कहा जाता है. आज ही मास शिवरात्रि व्रत (month shivratri fast) भी है. प्रदोष तिथि 1 दिसंबर 2021 बुधवार रात्रि 11:35 से लेकर गुरुवार 2 दिसंबर को रात्रि 8:26 तक रहेगी. उसके उपरांत मास शिवरात्रि तिथि (month shivratri date start) प्रारंभ हो जाएगी. इस रात्रि बेला में इसे मास शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के शुभ दिन ही श्री भोलेनाथ और माता पार्वती का शुभ विवाह (Auspicious marriage of Bholenath and Mata Parvati) संस्कार हुआ था. प्रदोष तिथि शिव भक्तों के लिए वरदान की तरह है.

Guru Pradosh Vrat 2021

इस दिन भोलेनाथ के भक्त सूर्योदय के पूर्व स्नान-ध्यान (pre-sunrise bath-meditation) आदि से निवृत्त होकर भगवान भोलेनाथ की पूजा में मग्न हो जाते हैं. प्रातः काल में गंगा के जल से और बेलपत्र के द्वारा पूजा स्थल को भली-भांति साफ करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ को स्वच्छता बहुत प्रिय है. इसलिए यह सब कार्य बहुत शुद्धता के साथ करना चाहिए. श्वेत रंग भगवान शंकर को प्रिय (White color dear to Lord Shankar) है. इस दिन उज्जवल श्वेत वस्त्र से आसन लगाना चाहिए. फिर अष्ट कमल दल बनाकर कलश की स्थापना करें. इस कलश के ऊपर पवित्र शिवलिंग को स्थापित करना चाहिए. यह ध्यान रहे कि शिवलिंग की दिशा उत्तर की ओर होनी चाहिए. यह बहुत ही आवश्यक है.

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शिवलिंग की दिशा को गलत रखना है अशुभ

कई बार भक्तजन शिवलिंग की दिशा को गलत दिशा में रख देते हैं. इससे अनुकूलता नहीं मिलती है. अक्षत गोपी चंदन अष्ट चंदन और माल्याचल के चंदन से शिव का अभिषेक करना चाहिए. श्वेत फूल फूलों की माला यज्ञोपवीत आदि श्री भोलेनाथ जी को मंत्रों के साथ अर्पण किया जाना चाहिए. परिमल अबीर गुलाल आदि भी ध्यान पूर्वक शिव को अर्पित करना चाहिए. ऋतु फल नेवैद्य आदि भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव को चढ़ाए जाते हैं. इसी तरह धतूरा आक का फूल सफेद फूल और भिन्न-भिन्न प्रजाति के पुष्प भगवान शिव को चढ़ाए जाते हैं. दूध पंचामृत सहज मानसरोवर के जल नर्मदा के जल गंगा का जल और गोदावरी के जल से रूद्र का अभिषेक किया जाना चाहिए.

आज के शुभ दिन ओम नमो भगवते रुद्राय नमः महामृत्युंजय मंत्र शिव नमस्कार मंत्र पंचाक्षरी मंत्र रुद्राष्टकम शिव तांडव शिव संकल्प मंत्र आदि का पाठ किया जाना चाहिए. योग प्राणायाम के भी आदि गुरु भगवान शिव माने जाते हैं. आज के दिन प्राणायाम योगासन व शरीर को तपाना बहुत शुभ रहता है. भगवान शिव एक महान योगी और नर्तक रहे हैं. आज के दिन शिव भक्तों को उचित रीति पूर्वक व्यायाम वर्जिश और अनुलोम-विलोम भ्रामरी का कुशलता पूर्वक अभ्यास करना चाहिए. भगवान शिव योग के मूल में है.

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संगीत के आदि गुरू हैं शिव

इसलिए इससे उनकी प्रसन्नता प्राप्त होती है. संगीत के भी आदि गुरु भोलेनाथ ही माने गए हैं. आज के दिन संगीत का गुरु के सानिध्य में अभ्यास करना पावन माना जाता है. भगवान शिव की पूजा में श्वेत वस्त्र पहनकर करने से विशेष लाभ मिलता है. प्रदोष काल जो कि गोधूलि बेला का समय होता है. सूर्यास्त के समीप का यह संध्याकाल कहलाता है. इस समय भगवान शिव की पूजा करना बहुत ही उत्तम फलदाई होता है. यथा योग्य प्रदोष काल की पूजा करते समय स्नान करके ही इस कार्य को करना चाहिए.

आज के दिन भगवान शिव की आरती का गान मुक्त कंठ से करना चाहिए. प्रदोष काल में भगवान शिव प्रसन्न चित्त होकर नृत्य करते हैं. इस समय पूरे मनोयोग और ध्यान से शिव की आराधना करनी चाहिए. ध्यान के साधकों को भी प्रदोष काल में ध्यान करने से भगवान की कृपा मिलती है. आज के पूरे दिन ओम नमः शिवाय मंत्र का पाठ करना भक्तों के लिए कल्याणकारी माना गया है.

रायपुरः गुरुवार को प्रदोष का व्रत होने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) कहा जाता है. आज ही मास शिवरात्रि व्रत (month shivratri fast) भी है. प्रदोष तिथि 1 दिसंबर 2021 बुधवार रात्रि 11:35 से लेकर गुरुवार 2 दिसंबर को रात्रि 8:26 तक रहेगी. उसके उपरांत मास शिवरात्रि तिथि (month shivratri date start) प्रारंभ हो जाएगी. इस रात्रि बेला में इसे मास शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के शुभ दिन ही श्री भोलेनाथ और माता पार्वती का शुभ विवाह (Auspicious marriage of Bholenath and Mata Parvati) संस्कार हुआ था. प्रदोष तिथि शिव भक्तों के लिए वरदान की तरह है.

Guru Pradosh Vrat 2021

इस दिन भोलेनाथ के भक्त सूर्योदय के पूर्व स्नान-ध्यान (pre-sunrise bath-meditation) आदि से निवृत्त होकर भगवान भोलेनाथ की पूजा में मग्न हो जाते हैं. प्रातः काल में गंगा के जल से और बेलपत्र के द्वारा पूजा स्थल को भली-भांति साफ करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ को स्वच्छता बहुत प्रिय है. इसलिए यह सब कार्य बहुत शुद्धता के साथ करना चाहिए. श्वेत रंग भगवान शंकर को प्रिय (White color dear to Lord Shankar) है. इस दिन उज्जवल श्वेत वस्त्र से आसन लगाना चाहिए. फिर अष्ट कमल दल बनाकर कलश की स्थापना करें. इस कलश के ऊपर पवित्र शिवलिंग को स्थापित करना चाहिए. यह ध्यान रहे कि शिवलिंग की दिशा उत्तर की ओर होनी चाहिए. यह बहुत ही आवश्यक है.

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शिवलिंग की दिशा को गलत रखना है अशुभ

कई बार भक्तजन शिवलिंग की दिशा को गलत दिशा में रख देते हैं. इससे अनुकूलता नहीं मिलती है. अक्षत गोपी चंदन अष्ट चंदन और माल्याचल के चंदन से शिव का अभिषेक करना चाहिए. श्वेत फूल फूलों की माला यज्ञोपवीत आदि श्री भोलेनाथ जी को मंत्रों के साथ अर्पण किया जाना चाहिए. परिमल अबीर गुलाल आदि भी ध्यान पूर्वक शिव को अर्पित करना चाहिए. ऋतु फल नेवैद्य आदि भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव को चढ़ाए जाते हैं. इसी तरह धतूरा आक का फूल सफेद फूल और भिन्न-भिन्न प्रजाति के पुष्प भगवान शिव को चढ़ाए जाते हैं. दूध पंचामृत सहज मानसरोवर के जल नर्मदा के जल गंगा का जल और गोदावरी के जल से रूद्र का अभिषेक किया जाना चाहिए.

आज के शुभ दिन ओम नमो भगवते रुद्राय नमः महामृत्युंजय मंत्र शिव नमस्कार मंत्र पंचाक्षरी मंत्र रुद्राष्टकम शिव तांडव शिव संकल्प मंत्र आदि का पाठ किया जाना चाहिए. योग प्राणायाम के भी आदि गुरु भगवान शिव माने जाते हैं. आज के दिन प्राणायाम योगासन व शरीर को तपाना बहुत शुभ रहता है. भगवान शिव एक महान योगी और नर्तक रहे हैं. आज के दिन शिव भक्तों को उचित रीति पूर्वक व्यायाम वर्जिश और अनुलोम-विलोम भ्रामरी का कुशलता पूर्वक अभ्यास करना चाहिए. भगवान शिव योग के मूल में है.

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संगीत के आदि गुरू हैं शिव

इसलिए इससे उनकी प्रसन्नता प्राप्त होती है. संगीत के भी आदि गुरु भोलेनाथ ही माने गए हैं. आज के दिन संगीत का गुरु के सानिध्य में अभ्यास करना पावन माना जाता है. भगवान शिव की पूजा में श्वेत वस्त्र पहनकर करने से विशेष लाभ मिलता है. प्रदोष काल जो कि गोधूलि बेला का समय होता है. सूर्यास्त के समीप का यह संध्याकाल कहलाता है. इस समय भगवान शिव की पूजा करना बहुत ही उत्तम फलदाई होता है. यथा योग्य प्रदोष काल की पूजा करते समय स्नान करके ही इस कार्य को करना चाहिए.

आज के दिन भगवान शिव की आरती का गान मुक्त कंठ से करना चाहिए. प्रदोष काल में भगवान शिव प्रसन्न चित्त होकर नृत्य करते हैं. इस समय पूरे मनोयोग और ध्यान से शिव की आराधना करनी चाहिए. ध्यान के साधकों को भी प्रदोष काल में ध्यान करने से भगवान की कृपा मिलती है. आज के पूरे दिन ओम नमः शिवाय मंत्र का पाठ करना भक्तों के लिए कल्याणकारी माना गया है.

Last Updated : Dec 1, 2021, 8:09 PM IST
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