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Ganesh Chaturthi 2022 कैसे बने गणेश एकदंत

Ganesh Chaturthi 2022 गणेश जी को अनेक नामों से जाना जाता है. उनके हर एक नाम के पीछे एक कथा है. जिसके कारण ही उनका नाम पड़ा.

Ganesh Chaturthi 2022
कैसे बने गणेश एकदंत
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Published : Aug 30, 2022, 6:35 PM IST

Ganesh Chaturthi 2022 Ekdant story: देशभर में गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाया जाता है.गणेश पूजा सिर्फ चतुर्थी के दिन ही नहीं बल्कि किसी भी पूजा पाठ में सबसे पहले करने का विधान है.गणेश जी को कई नामों से भी जाना जाता (Names of Ganesha) है. जैसे गजानन, विघ्नहर्ता, लंबोदर,गणपति,बप्पा और एकाक्षर.इसी तरह गणपति को एकदंत से भी जाना जाता है.लेकिन गणेश जी को कैसे एकदंत की उपाधि मिली.ये भी जानना जरुरी है.पुराणों में इस बात का जिक्र है कि किस तरह से गणपति को एकदंत कहा जाने लगा.

कैसे बने गणेश एकदंत : पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शिवजी के परम भक्त भगवान परशुराम उनसे मिलने के लिए कैलाश गए. इस समय भगवान शिव ध्यान में मग्न थे. ध्यान में जाने से पहले गणेश को शिवजी ने कहा था कि किसी के भी आने पर गुफा में प्रवेश ना करने दें.इस आज्ञा के बाद गणपति गुफा के द्वार पर प्रहरी के तौर पर खड़े थे. परशुराम ने गुफा के द्वार पर खड़े गणेश को शिवजी से मिलने की इच्छा बताई.किंतु गणपति ने परशुराम को रोक दिया. गणेश जी उन्हें कई बार विनम्रता से टालते रहें. लेकिन जब भगवान परशुराम का धैर्य टूटा तो उन्होंने गणेश जी को युद्ध के लिए चुनौती दी. ऐसे में गणेश जी को परशुराम जी के साथ युद्ध लड़ना ( Ganeshji fight with Parashurama) पड़ा. गणेश और परशुराम के बीच भीषण युद्ध हुआ.

परशुराम ने किया था प्रहार : भगवान गणेश अपनी शक्ति से परशुराम के हर प्रहार निष्फल करते रहें. अंत में क्रोध में आकर परशुराम ने गणेश पर शिवजी से ही प्राप्त परशु से वार कर (Ganesha attacked by Parashu) दिया. तब गणेश जी ने पिता शिव के परशु का आदर रखा.लेकिन परशु के प्रहार से गणपति का एक दांत टूट गया और वह अत्यंत पीड़ा से कराह (Ganpati tooth broken by Parashu) उठे. जब पुत्र की पीड़ा सुन माता पार्वती आई और गणेश जी की अवस्था देख वह परशुराम पर क्रोधित हो गईं. यह देखकर परशुराम को उनकी भूल का एहसास हुआ. तब परशुराम ने माता पार्वती से क्षमा मांगी और उन्होंने भगवान गणेश को अपना समस्त तेज, बल, कौशल और ज्ञान आशीर्वाद के रूप में दे दिया.

ये भी पढ़ें- गणपति पूजन का महत्व और पौराणिक विधान

टूटे हुए दंत से लिखी गई महाभारत : गणपति का एकदंत परशु के प्रहार से खंडित हो चुका था. इस दंत के टुकड़े को गणपति ने उठाकर अपने पास रख लिया. आगे चलकर प्रभु गणेश ने अपने टूटे हुए एक दांत को अपनी कलम बना लिया और महाभारत ग्रंथ लिखा . महर्षि देवव्यास से उच्चरित महाभारत ग्रंथ का लेखन किया. इन्हीं घटनाओं के बाद से उन्हें एकदंत कहा जाने लगा.

Ganesh Chaturthi 2022 Ekdant story: देशभर में गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाया जाता है.गणेश पूजा सिर्फ चतुर्थी के दिन ही नहीं बल्कि किसी भी पूजा पाठ में सबसे पहले करने का विधान है.गणेश जी को कई नामों से भी जाना जाता (Names of Ganesha) है. जैसे गजानन, विघ्नहर्ता, लंबोदर,गणपति,बप्पा और एकाक्षर.इसी तरह गणपति को एकदंत से भी जाना जाता है.लेकिन गणेश जी को कैसे एकदंत की उपाधि मिली.ये भी जानना जरुरी है.पुराणों में इस बात का जिक्र है कि किस तरह से गणपति को एकदंत कहा जाने लगा.

कैसे बने गणेश एकदंत : पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शिवजी के परम भक्त भगवान परशुराम उनसे मिलने के लिए कैलाश गए. इस समय भगवान शिव ध्यान में मग्न थे. ध्यान में जाने से पहले गणेश को शिवजी ने कहा था कि किसी के भी आने पर गुफा में प्रवेश ना करने दें.इस आज्ञा के बाद गणपति गुफा के द्वार पर प्रहरी के तौर पर खड़े थे. परशुराम ने गुफा के द्वार पर खड़े गणेश को शिवजी से मिलने की इच्छा बताई.किंतु गणपति ने परशुराम को रोक दिया. गणेश जी उन्हें कई बार विनम्रता से टालते रहें. लेकिन जब भगवान परशुराम का धैर्य टूटा तो उन्होंने गणेश जी को युद्ध के लिए चुनौती दी. ऐसे में गणेश जी को परशुराम जी के साथ युद्ध लड़ना ( Ganeshji fight with Parashurama) पड़ा. गणेश और परशुराम के बीच भीषण युद्ध हुआ.

परशुराम ने किया था प्रहार : भगवान गणेश अपनी शक्ति से परशुराम के हर प्रहार निष्फल करते रहें. अंत में क्रोध में आकर परशुराम ने गणेश पर शिवजी से ही प्राप्त परशु से वार कर (Ganesha attacked by Parashu) दिया. तब गणेश जी ने पिता शिव के परशु का आदर रखा.लेकिन परशु के प्रहार से गणपति का एक दांत टूट गया और वह अत्यंत पीड़ा से कराह (Ganpati tooth broken by Parashu) उठे. जब पुत्र की पीड़ा सुन माता पार्वती आई और गणेश जी की अवस्था देख वह परशुराम पर क्रोधित हो गईं. यह देखकर परशुराम को उनकी भूल का एहसास हुआ. तब परशुराम ने माता पार्वती से क्षमा मांगी और उन्होंने भगवान गणेश को अपना समस्त तेज, बल, कौशल और ज्ञान आशीर्वाद के रूप में दे दिया.

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टूटे हुए दंत से लिखी गई महाभारत : गणपति का एकदंत परशु के प्रहार से खंडित हो चुका था. इस दंत के टुकड़े को गणपति ने उठाकर अपने पास रख लिया. आगे चलकर प्रभु गणेश ने अपने टूटे हुए एक दांत को अपनी कलम बना लिया और महाभारत ग्रंथ लिखा . महर्षि देवव्यास से उच्चरित महाभारत ग्रंथ का लेखन किया. इन्हीं घटनाओं के बाद से उन्हें एकदंत कहा जाने लगा.

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