रायपुर: राजधानी में पूर्व CM डॉ रमन सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करने के दौरान बड़ा बयान दिया है. पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने कहा है कि भाजपा हमेशा चेहरों की बजाय मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ती है. छत्तीसगढ़ में चेहरों की कमी नहीं है. यहां BJP में काफी चेहरे हैं. आगे मजाकिया लहजे में उन्होंने कहा कि 'जिनमें से एक चेहरा मेरा भी है'. रमन सिंह ने भले ही हंसी में ये बात कही लेकिन पूर्व सीएम की ये बात कहीं ना कहीं इस तरफ इशारा करती है कि 2023 के चुनाव में बीजेपी किसी दूसरे चेहरे को तलाश रही है.
पूर्व CM रमन सिंह ने कहा कि 'बीजेपी हमेशा मुद्दों पर चुनाव लड़ती है. जब कोई विधायक बन जाते हैं तो विधायक दल मुख्यमंत्री तय करता है. प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के बहुत सारे चेहरे हैं. अच्छे-अच्छे चेहरे हैं. उसमें एक चेहरा मेरा भी है छोटा सा'.
रमन सिंह के बयान से कयासों का दौर शुरू हो चुका है. छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम रमन सिंह के अलावा वरिष्ठ भाजपा नेता और विधायक बृजमोहन अग्रवाल अगले चुनाव में cm का चेहरा हो सकते हैं. इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, वरिष्ठ भाजपा नेता सरोज पांडे भी अगले चुनाव में CM का चेहरा हो सकते हैं.
आने वाले दिनों में पूर्व सीएम रमन सिंह किस लक्ष्य को देखते हैं. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि 'मेरा लक्ष्य है कि भारतीय जनता पार्टी को फिर से एक बार सब मेहनत करके 2024 में केंद्र में जिताना है. कार्यकर्ता की हैसियत से यही एक मेरा लक्ष्य है. मेरी जितनी भूमिका होगी पूरी ताकत लगा दूंगा कि इस बार भी मोदी जी प्रधानमंत्री बने और भारतीय जनता पार्टी की सरकार केंद्र में हो.
प्रदेश में नहीं हुआ डेवलपमेंट का कोई भी काम
प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व सीएम रमन सिंह ने भूपेश सरकार पर निशाना भी साधा है. उन्होंने कहा कि हमने 15 साल काम किए हैं. प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी विकास हुआ है. लेकिन भूपेश सरकार के ढाई साल में इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई विकास नहीं हो रहा है. ना ही इस पर कोई खर्च हो रहा है. ढाई साल के दौरान प्रदेश में किसी तरह का कोई डेवलपमेंट नहीं हो रहा है. यह इस सरकार की नाकामी है. अब तो जनता भी सरकार से सवाल पूछ रही है कि भूपेश सरकार ने ढाई साल में क्या किया है.
उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव के लिए पूर्व सीएम ने कहा कि कांग्रेस का कोई चांस नहीं कि उत्तर प्रदेश में सरकार बना सके. कांग्रेस में अपने कार्यकर्ताओं को आसाम चुनाव के लिए ट्रेनिंग दी थी. इसका अंजाम दिख गया. अब दूसरे राज्य की बारी है. उत्तर प्रदेश में भी यही हाल होने वाला है. उत्तर प्रदेश में तो कांग्रेस चौथे और पांचवें नंबर की पार्टी बनने के लिए संघर्ष कर रही है. उनका खाता खुल जाए इस पर भी उनका संघर्ष रहता है.