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रायपुर: मिट्टी के खिलौने और बैलों से सजा बाजार, कल ठेठरी-खुरमी से महकेंगे घर - छत्तीसगढ़ के त्योहार

राजधानी में पोला पर बाजार की रौनक देखते ही बन रही है. पर्व को लेकर बाजारों में मिट्टी के बर्तन और बैल सज चुके हैं.

मिट्टी के खिलौने और बैलों से सजा बाजार
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Published : Aug 29, 2019, 3:29 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से पोला एक मुख्य त्योहार है, जिसे यहां के लोग बड़े ही धूमधाम से भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाते हैं. राजधानी में भी पोला पर बाजार की रौनक देखते ही बन रही है. पर्व को लेकर बाजारों में मिट्टी के बर्तन और बैल सज चुके हैं.

कुम्हार अपने परिवार के साथ मिलकर चार महीने पहले से ही इस पर्व की तैयारी करते हैं. वे बाजार में बेचने के लिए मिट्टी के रंग-बिरंगे खिलौने और बैल लाते हैं, लेकिन इसकी सही कीमत उन्हें नहीं मिलने से उन्हें काफी आर्थिक परेशानी होती है.

पढ़ें - पोला के लिए मिट्टी के रंग-बिरंगे बैलों से सजा बलौदाबाजार

शुक्रवार को मिट्टी के बैलों की पूजा की जाएगी. घर में ठेठरी, खुरमी जैसे पकवान बनाए जाएंगे. इस दिन बच्चों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा से अवगत कराया जाता है. मिट्टी से बने खिलौनों और बैलों का महत्व बताया जाता है. पूजा के बाद बच्चे मिट्टी के बैलों से खेलते हैं. बता दें कि किसान खरीफ फसल से निवृत्त होकर इस उत्सव को पर्व के रूप में मनाते हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से पोला एक मुख्य त्योहार है, जिसे यहां के लोग बड़े ही धूमधाम से भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाते हैं. राजधानी में भी पोला पर बाजार की रौनक देखते ही बन रही है. पर्व को लेकर बाजारों में मिट्टी के बर्तन और बैल सज चुके हैं.

कुम्हार अपने परिवार के साथ मिलकर चार महीने पहले से ही इस पर्व की तैयारी करते हैं. वे बाजार में बेचने के लिए मिट्टी के रंग-बिरंगे खिलौने और बैल लाते हैं, लेकिन इसकी सही कीमत उन्हें नहीं मिलने से उन्हें काफी आर्थिक परेशानी होती है.

पढ़ें - पोला के लिए मिट्टी के रंग-बिरंगे बैलों से सजा बलौदाबाजार

शुक्रवार को मिट्टी के बैलों की पूजा की जाएगी. घर में ठेठरी, खुरमी जैसे पकवान बनाए जाएंगे. इस दिन बच्चों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा से अवगत कराया जाता है. मिट्टी से बने खिलौनों और बैलों का महत्व बताया जाता है. पूजा के बाद बच्चे मिट्टी के बैलों से खेलते हैं. बता दें कि किसान खरीफ फसल से निवृत्त होकर इस उत्सव को पर्व के रूप में मनाते हैं.

Intro:रायपुर राजधानी रायपुर सहित पूरे प्रदेश में बड़े धूमधाम से कल मनाया जाएगा पोला पर्व पोला पर्व को लेकर मिट्टी के बर्तन और बैलों से बाजार सज चुका है और कल पोला पर्व के दिन मिट्टी के बने इन खिलौनों और बैलों की पूजा की जाएगी और घर में ठेठरी खुरमी जैसे पकवान बनाए जाएंगे कुम्हार परिवार मिट्टी के खिलौने और बैल बनाकर बाजार में अपनी दुकाने सजा चुके हैं कुम्हार परिवार पिछले 4 दिनों से अपने दूसरे कामों को छोड़कर मिट्टी के खिलौने और बैल बाजारों में बेचने आए हैं


Body:ताकि लोग पोला पर्व बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास से मना सकें पोला पर्व की तैयारी कुम्हार परिवारों के द्वारा 4 महीने पहले से की जाती है लेकिन आज के दौर में जितनी मेहनत कुम्हार परिवार द्वारा इस मिट्टी के खिलौने और बैल को बनाने में लगता है उससे इनकी मजदूरी भी ठीक से इन कुम्हार परिवारों को नहीं मिल पाती


Conclusion:लेकिन लोगों को पोला पर्व का इंतजार रहता है जिसके कारण कुम्हार परिवार के सभी सदस्य मिट्टी के खिलौने और बैल इत्यादि बाजारों में बेचने के लिए लाते हैं मेहनत के हिसाब से उनको पैसा नहीं मिल पाता है पोला पर्व भारत देश में भाद्री मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि जिसे कुशोद पाटिनी कुशगृहिणी पोला के नाम से जाना जाता है और छत्तीसगढ़ में बच्चों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा से मिट्टी से बने इन खिलौनों और बैलों का महत्त्व बताया जाता है और किसान खरीफ फसल से निवृत्त होकर इस उत्सव को पर्व के रूप में मनाते हैं


बाइट फुलेश्वरी खिलौना बेचने वाली


बाइट मीराबाई खिलौना बेचने वाली


बाइट थान सिंह चक्रधारी खिलौना बेचने वाला


बाइट पंडित मनोज शर्मा महामाया मंदिर रायपुर


रितेश तंबोली ईटीवी भारत रायपुर
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