रायपुरः नगर निगम द्वारा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में दुकानें निर्मित कराई गई हैं. वहीं नगर निगम की दुकानें (municipal shops) नहीं बिकने के कारण तकरीबन 100 से ज्यादा दुकानें खाली पड़ी हुई हैं. जिसके चलते नगर निगम को राजस्व (Revenue) का करोड़ों रुपए नुकसान हो रहा है.
समय-समय पर नगर निगम द्वारा टेंडर (Tender) के माध्यम से दुकानों के लिए निविदा (tender) निकाली जाती हैं. लेकिन दुकान खरीदने को लेकर व्यापारी वर्ग खासा रुचि नहीं दिखा रहा है. कारण है कि दुकानों के मूल्य ज्यादा होने के कारण व्यापारी (Businessman) दुकान नहीं ले पा रहे हैं. निविदाओं (tenders) में भाग नहीं लेने को लेकर व्यापारियों का कहना है कि जिस तरह से नगर निगम द्वारा दुकानें बनाई गई हैं, रेट निर्धारण को ले कर आम नागरिकों का ध्यान नहीं रखा गया.
जिस तरह से नगर निगम की दुकानों के दाम रखे गए हैं, ऐसे में एक आम नागरिक के लिए दुकान खरीद पाना बहुत मुश्किल है. नगर निगम को रियायत देते हुए इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि एक आम व्यापारी भी दुकान लेकर अपना व्यवसाय शुरू कर सके.
भाजपा नेता ने कहा, सीएम की असफलता
दुकानें नहीं बिकने को लेकर भाजपा पार्षद दल के प्रवक्ता मृत्युंजय दुबे इसे महापौर और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की असफलता बता रहे हैं. उनका कहना हैं कि जहां दुकानें बिकती नहीं हैं वहीं पर नगर निगम प्रशासन ने दुकानों का निर्माण करवाया. इसके अलावा दुकानों के इतने ज्यादा दाम हैं कि एक आम नागरिक को दुकान खरीदने से पहले उसे सोचना पड़ेगा. दुकान बेचने के अलावा दुकान का किराया भी निर्धारित किया गया है. जिस तरह से नगर निगम ने दुकानों के दाम रखे हैं, उसके आधे से भी कम दाम में दुकानें मिल जाती हैं. नगर निगम प्रशासन, महापौर और मुख्यमंत्री को इस दिशा में सोचने की जरूरत है.
महापौर ने कहा, कम किया गया है दुकानों का किराया
इस मामले पर नगर निगम महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि प्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार आई है, नगर निगम की दुकानें बिक रही हैं. जहां दुकानें नहीं बिक रही हैं वहां रिटेंड करवाया जा रहा है. ऐसा कहीं पर भी देखने को नहीं मिला है कि दुकानें नहीं बिक रही. चाहे सुभाष स्टेडियम हो या अन्य जगहों पर, हमारी दुकानें बिक रही हैं. दुकानों के दाम ज्यादा होने को लेकर महापौर ने कहा कि पहले साढ़े सात परसेंट किराया देना पड़ता था लेकिन किराया भी घटा कर 2 प्रतिशत किया गया है. दुकानों के मूल्य का निर्धारण नगर निगम नहीं करता है. वहां जो ऑफसेट मूल्य चल रहा है, उसके आधार पर दुकानों के दाम तय होते हैं. दाम तय करने का अधिकार मेरे पास नहीं है.