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व्यापारियों की जेब पर भारी पड़ रहीं रायपुर में निगम की दुकानें

रायपुर नगर निगम (Municipal council) ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में दुकानों का निर्माण (building shops) करवाया. लेकिन उनका किराया अधिक होने वजह से दुकानदार दुकानें नहीं ले पा रहे हैं. तकरीबन 100 से ज्यादा दुकानें आज तक खाली पड़ी हुई हैं. जिसके चलते नगर निगम को राजस्व (Revenue) का करोड़ों रुपए नुकसान (Harm) हो रहा है.

Corporation shops are heavy on the pockets of traders
व्यापारियों की जेब पर भारी पड़ रहीं निगम की दुकानें
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Published : Sep 18, 2021, 7:51 PM IST

Updated : Sep 18, 2021, 9:06 PM IST

रायपुरः नगर निगम द्वारा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में दुकानें निर्मित कराई गई हैं. वहीं नगर निगम की दुकानें (municipal shops) नहीं बिकने के कारण तकरीबन 100 से ज्यादा दुकानें खाली पड़ी हुई हैं. जिसके चलते नगर निगम को राजस्व (Revenue) का करोड़ों रुपए नुकसान हो रहा है.

समय-समय पर नगर निगम द्वारा टेंडर (Tender) के माध्यम से दुकानों के लिए निविदा (tender) निकाली जाती हैं. लेकिन दुकान खरीदने को लेकर व्यापारी वर्ग खासा रुचि नहीं दिखा रहा है. कारण है कि दुकानों के मूल्य ज्यादा होने के कारण व्यापारी (Businessman) दुकान नहीं ले पा रहे हैं. निविदाओं (tenders) में भाग नहीं लेने को लेकर व्यापारियों का कहना है कि जिस तरह से नगर निगम द्वारा दुकानें बनाई गई हैं, रेट निर्धारण को ले कर आम नागरिकों का ध्यान नहीं रखा गया.

जिस तरह से नगर निगम की दुकानों के दाम रखे गए हैं, ऐसे में एक आम नागरिक के लिए दुकान खरीद पाना बहुत मुश्किल है. नगर निगम को रियायत देते हुए इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि एक आम व्यापारी भी दुकान लेकर अपना व्यवसाय शुरू कर सके.

व्यापारियों की जेब पर भारी पड़ रहीं निगम की दुकानें
दुकानें नहीं बिकने से राजस्व का नुकसानएक ओर नगर निगम के पास पढ़ने की कमी होने के कारण कई विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं. वहीं, निगम द्वारा बनाई गई दुकानें नहीं बिकने के कारण निगम को करोड़ों रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा है. इसके कारण नगर निगम के और भी अन्य कार्य प्रभावित हो रहे हैं. नगर निगम ने फिर से निकाला टेंडररायपुर नगर निगम के अलग-अलग क्षेत्रों में बनीं दुकानों के लिए एक बार फिर से टेंडर निकाला गया है. इस बार 117 दुकानों के लिए एक साथ टेंडर निकाला गया है. जिसमें डूमर तराई में 1 दुकान, जवाहर बाजार हॉल में 16 दुकानें, मोहबा बाजार में 14 दुकानें, नेताजी सुभाष स्टेडियम में 17 दुकानें, गांधी मैदान कांजी हाउस में 55 दुकानें, कंकाली अस्पताल वेबसाइट (hospital website) परिसर में तीन दुकान, जवाहर बाजार की 1 दुकान के लिए टेंडर (Tender) निकाला गया है. इन दुकानों के लिए निविदाकरों से निविदा 1 अक्टूबर तक जमा करने का समय दिया गया है. वहीं 4 अक्टूबर को 12 बजे नगर निगम के बाजार विभाग (market department) में निविदाएं खोली जाएंगी.


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भाजपा नेता ने कहा, सीएम की असफलता
दुकानें नहीं बिकने को लेकर भाजपा पार्षद दल के प्रवक्ता मृत्युंजय दुबे इसे महापौर और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की असफलता बता रहे हैं. उनका कहना हैं कि जहां दुकानें बिकती नहीं हैं वहीं पर नगर निगम प्रशासन ने दुकानों का निर्माण करवाया. इसके अलावा दुकानों के इतने ज्यादा दाम हैं कि एक आम नागरिक को दुकान खरीदने से पहले उसे सोचना पड़ेगा. दुकान बेचने के अलावा दुकान का किराया भी निर्धारित किया गया है. जिस तरह से नगर निगम ने दुकानों के दाम रखे हैं, उसके आधे से भी कम दाम में दुकानें मिल जाती हैं. नगर निगम प्रशासन, महापौर और मुख्यमंत्री को इस दिशा में सोचने की जरूरत है.

महापौर ने कहा, कम किया गया है दुकानों का किराया

इस मामले पर नगर निगम महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि प्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार आई है, नगर निगम की दुकानें बिक रही हैं. जहां दुकानें नहीं बिक रही हैं वहां रिटेंड करवाया जा रहा है. ऐसा कहीं पर भी देखने को नहीं मिला है कि दुकानें नहीं बिक रही. चाहे सुभाष स्टेडियम हो या अन्य जगहों पर, हमारी दुकानें बिक रही हैं. दुकानों के दाम ज्यादा होने को लेकर महापौर ने कहा कि पहले साढ़े सात परसेंट किराया देना पड़ता था लेकिन किराया भी घटा कर 2 प्रतिशत किया गया है. दुकानों के मूल्य का निर्धारण नगर निगम नहीं करता है. वहां जो ऑफसेट मूल्य चल रहा है, उसके आधार पर दुकानों के दाम तय होते हैं. दाम तय करने का अधिकार मेरे पास नहीं है.

रायपुरः नगर निगम द्वारा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में दुकानें निर्मित कराई गई हैं. वहीं नगर निगम की दुकानें (municipal shops) नहीं बिकने के कारण तकरीबन 100 से ज्यादा दुकानें खाली पड़ी हुई हैं. जिसके चलते नगर निगम को राजस्व (Revenue) का करोड़ों रुपए नुकसान हो रहा है.

समय-समय पर नगर निगम द्वारा टेंडर (Tender) के माध्यम से दुकानों के लिए निविदा (tender) निकाली जाती हैं. लेकिन दुकान खरीदने को लेकर व्यापारी वर्ग खासा रुचि नहीं दिखा रहा है. कारण है कि दुकानों के मूल्य ज्यादा होने के कारण व्यापारी (Businessman) दुकान नहीं ले पा रहे हैं. निविदाओं (tenders) में भाग नहीं लेने को लेकर व्यापारियों का कहना है कि जिस तरह से नगर निगम द्वारा दुकानें बनाई गई हैं, रेट निर्धारण को ले कर आम नागरिकों का ध्यान नहीं रखा गया.

जिस तरह से नगर निगम की दुकानों के दाम रखे गए हैं, ऐसे में एक आम नागरिक के लिए दुकान खरीद पाना बहुत मुश्किल है. नगर निगम को रियायत देते हुए इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि एक आम व्यापारी भी दुकान लेकर अपना व्यवसाय शुरू कर सके.

व्यापारियों की जेब पर भारी पड़ रहीं निगम की दुकानें
दुकानें नहीं बिकने से राजस्व का नुकसानएक ओर नगर निगम के पास पढ़ने की कमी होने के कारण कई विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं. वहीं, निगम द्वारा बनाई गई दुकानें नहीं बिकने के कारण निगम को करोड़ों रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा है. इसके कारण नगर निगम के और भी अन्य कार्य प्रभावित हो रहे हैं. नगर निगम ने फिर से निकाला टेंडररायपुर नगर निगम के अलग-अलग क्षेत्रों में बनीं दुकानों के लिए एक बार फिर से टेंडर निकाला गया है. इस बार 117 दुकानों के लिए एक साथ टेंडर निकाला गया है. जिसमें डूमर तराई में 1 दुकान, जवाहर बाजार हॉल में 16 दुकानें, मोहबा बाजार में 14 दुकानें, नेताजी सुभाष स्टेडियम में 17 दुकानें, गांधी मैदान कांजी हाउस में 55 दुकानें, कंकाली अस्पताल वेबसाइट (hospital website) परिसर में तीन दुकान, जवाहर बाजार की 1 दुकान के लिए टेंडर (Tender) निकाला गया है. इन दुकानों के लिए निविदाकरों से निविदा 1 अक्टूबर तक जमा करने का समय दिया गया है. वहीं 4 अक्टूबर को 12 बजे नगर निगम के बाजार विभाग (market department) में निविदाएं खोली जाएंगी.


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दुकानें नहीं बिकने को लेकर भाजपा पार्षद दल के प्रवक्ता मृत्युंजय दुबे इसे महापौर और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की असफलता बता रहे हैं. उनका कहना हैं कि जहां दुकानें बिकती नहीं हैं वहीं पर नगर निगम प्रशासन ने दुकानों का निर्माण करवाया. इसके अलावा दुकानों के इतने ज्यादा दाम हैं कि एक आम नागरिक को दुकान खरीदने से पहले उसे सोचना पड़ेगा. दुकान बेचने के अलावा दुकान का किराया भी निर्धारित किया गया है. जिस तरह से नगर निगम ने दुकानों के दाम रखे हैं, उसके आधे से भी कम दाम में दुकानें मिल जाती हैं. नगर निगम प्रशासन, महापौर और मुख्यमंत्री को इस दिशा में सोचने की जरूरत है.

महापौर ने कहा, कम किया गया है दुकानों का किराया

इस मामले पर नगर निगम महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि प्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार आई है, नगर निगम की दुकानें बिक रही हैं. जहां दुकानें नहीं बिक रही हैं वहां रिटेंड करवाया जा रहा है. ऐसा कहीं पर भी देखने को नहीं मिला है कि दुकानें नहीं बिक रही. चाहे सुभाष स्टेडियम हो या अन्य जगहों पर, हमारी दुकानें बिक रही हैं. दुकानों के दाम ज्यादा होने को लेकर महापौर ने कहा कि पहले साढ़े सात परसेंट किराया देना पड़ता था लेकिन किराया भी घटा कर 2 प्रतिशत किया गया है. दुकानों के मूल्य का निर्धारण नगर निगम नहीं करता है. वहां जो ऑफसेट मूल्य चल रहा है, उसके आधार पर दुकानों के दाम तय होते हैं. दाम तय करने का अधिकार मेरे पास नहीं है.

Last Updated : Sep 18, 2021, 9:06 PM IST
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