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बच्चों के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन शिक्षा, कौनसा विकल्प है बेहतर? - Latest Chhattisgarh news

Corona time offline or online study: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर बच्चों का स्कूल बंद हो गया है. बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई बेहतर है या फिर ऑफलाइन. ईटीवी भारत ने शिक्षक, स्टूडेंट सहित अभिभावकों से बातचीत की.

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रडार पर बच्चों की शिक्षा
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Published : Jan 7, 2022, 5:18 PM IST

Updated : Jan 7, 2022, 11:04 PM IST

रायपुर: कोरोनाकाल ने मानो हर व्यवस्था को अव्यवस्थित कर दिया है. चाहे वो लोगों की दिनचर्या हो, लोगों का व्यापार हो या फिर बच्चों की शिक्षा. हर चीज मौजूदा समय में दांव पर लगी है. सबसे ज्यादा प्रभाव देश के भविष्य यानी की बच्चों की शिक्षा-व्यवस्था पर पड़ा है. ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों को सुटेबल नहीं. कई बच्चों को तो मोबाइल या फिर इंटरनेट तक की सुविधा नहीं मिल पाती है. ऐसे में उनके लिए कोरोनाकाल में पढ़ना मुश्किल सा हो गया है. कोरोना की दूसरी लहर के बाद बमुश्किल स्कूल खुले थे लेकिन ओमीक्रोन की एंट्री और कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक के बाद एक बार फिर स्कूल बंद हो गए हैं. अब बच्चे एक बार फिर ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मजबूर हो गए हैं. ईटीवी भारत ने ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई के सिस्टम को लेकर शिक्षक, स्टूडेंट सहित अभिभावकों से बातचीत की है.

ऑनलाइन या ऑफलाइन शिक्षा

फर्क कनेक्टिविटी का है

शिक्षा माध्यमों को लेकर गोपेन्द्रधर दीवान का कहना है कि, ''स्कूलों में ऑफलाइन या ऑनलाइन पढ़ाई में क्वालिटी का कोई फर्क नहीं है. फर्क है तो सिर्फ कनेक्टिविटी का. अगर स्कूल के पास अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर है और हाई स्पीड इंटरनेट है तो ऑनलाइन पढ़ाई और ऑफलाइन पढ़ाई में कोई फर्क नहीं है. हमारे यहां सरकारी या प्राइवेट स्कूलों में किसी ने भी बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं किया है. अभी ओमीक्रोन आने से स्कूल ने ऑनलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर को ठीक कर लिया है. अभी मजबूरी है ऑनलाइन पढ़ाई करने की. जो भी कदम सरकार उठा रही है, वह ठीक और बेहतर है.''

यह भी पढ़ेंः Corona Third Wave: जांजगीर चांपा में सबकुछ बंद, कोरोना संक्रमण को लेकर DM का आदेश

11वीं के छात्र चैतन्य ने बताया कि, ''ऑनलाइन माध्यम को बेहतर कहा जा सकता है, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में टीचर्स से ज्यादा इंटरेक्शन नहीं होता. ऑफलाइन पढ़ाई करने में टीचर और स्टूडेंट के बीच इंटरेक्शन ज्यादा रहता है. पूरा फोकस पढ़ाई पर ही रहता है. मोबाइल पर छोटा-छोटा दिखाई देता है. कभी-कभी जब इंटरनेट कनेक्शन अच्छा नहीं रहता, तब बहुत दिक्कत होती है.

ऑनलाइन में नहीं क्लियर होते डाउट्स

पांचवीं कक्षा के स्टूडेंट सन्देश बताते हैं कि उन्हें ऑफलाइन माध्यम से पढ़ना अच्छा लगता था. ऑनलाइन पढ़ाई में डाउट्स क्लियर नहीं हो पाते. ऑनलाइन में एक दिक्कत होती है. घर में रहकर हम पढ़ाई करते है. तो उस दौरान पढ़ाई की ओर पूरा फोकस नहीं हो पाता. बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण अभी स्कूल बंद है. ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई करना मजबूरी हो गई है.

एक के नेटवर्क की समस्या से डिस्टर्ब होता है पूरा क्लास

11वीं में पढ़ाई कर रहे विधान सिन्हा कहते हैं कि ऑनलाइन और ऑफलाइन में ऑफलाइन पढ़ाई अच्छी है. क्लास में टीचर्स पढ़ाते हैं तो इतना एक्सपीरियंस रहता है कि वे बच्चे को देखकर समझ जाते हैं कि बच्चों को क्या चीज समझ आ रही है या नहीं आ रही है. लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में ऐसा नहीं होता. कई बार नेटवर्क की समस्या रहती है. इसके साथ ही इंटरेक्शन नहीं हो पाता.ऑनलाइन क्लास में किसी एक का नेटवर्क प्रॉब्लम होता है, तो बाकी पूरी क्लास भी डिस्टर्ब हो जाती है. इसके अलावा ऑनलाइन पढ़ाई एक नई चीज है, जिसके कारण उनके पढ़ाई के तरीके में भी बदलाव हुआ है. जिसे पसंद नहीं करते हैं. ऑनलाइन पढ़ाई में डिफिकल्टी सभी को हो रही है. अभी ऑफलाइन पढ़ाई सबसे बेहतर है.

यह भी पढ़ेंः छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर: एक दिन में 2400 से ज्यादा मामले, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक कोरोना संक्रमित

ऑनलाइन कोरोनाकाल का बेहतर माध्यम

इस विषय में सरकारी स्कूल की शिक्षिका सुचिता साहू का कहना है कोरोना संक्रमण के कारण जो बच्चे पढ़ाई से दूर हो गए थे, बच्चे ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा ग्रहण करते थे. लेकिन शासकीय स्कूल के ऐसे बच्चे जिनके परिजनों के पास स्मार्टफोन नहीं था, वह ऑनलाइन क्लास से लाभान्वित नहीं हो पाए थे. ऑफलाइन माध्यम में बच्चे अच्छे से शिक्षा ग्रहण किया करते थे. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो, इसके लिए मोहल्ले में जाकर भी शिक्षक पढ़ाते थे. ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई की अगर बात की जाए तो ऑनलाइन माध्यम में कई बार नेटवर्क की समस्या होती है. जिसके कारण बच्चों को समझ नहीं आ पाता और बच्चों को पढ़ाई करने में असुविधा होती है. हालांकि इस कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाई से जुड़े रहने के लिए ऑनलाइन माध्यम वरदान के रूप में सामने आया है.

ऑनलाइन में बच्चे भूले अपनी लिखावट

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि पूरे देश में पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है. लेकिन इससे यह पता चलता है कि ऑफलाइन पढ़ाई बेहद अच्छी है. उसी से बच्चे सीख रहे हैं. उसी से अपनी तरक्की कर रहे हैं. लेकिन अभी कोई तरीका नहीं है. बच्चों की निरंतरता बनाए रखने के लिए ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है. ऑनलाइन पढ़ाई जब तक हो तब तक ठीक है, लेकिन जब कोरोना कि स्थिति ठीक हो तब तुरंत स्कूल खोले देना चाहिए. राजीव गुप्ता कहते हैं कि अगस्त में जब स्कूल की शुरूआत हुई, तो एक बात सामने आई कि जो तीसरी और चौथी कक्षा के बच्चे हैं वे अपनी लिखावट भूल गए है. शिक्षा बहुत ज्यादा प्रभावित हुई है और इसमें तमाम तरह की रिसर्च आ रही है. कोरोनाकाल में बच्चे पढ़ाई से बेहद प्रभावित हुए हैं. उन्हें आगे चलकर दुष्परिणाम झेलना पड़ेगा. इसलिए ऑफलाइन ही एक अच्छा माध्यम है. राज्य सरकार ने जो स्कूल खोलने और बंद करने की प्रक्रिया अपनाई है. वह देश में सबसे अच्छी है. जैसे ही संक्रमण कम होंगे सरकार को तुरंत ऑफलाइन क्लास शुरू करना चाहिए.

रायपुर: कोरोनाकाल ने मानो हर व्यवस्था को अव्यवस्थित कर दिया है. चाहे वो लोगों की दिनचर्या हो, लोगों का व्यापार हो या फिर बच्चों की शिक्षा. हर चीज मौजूदा समय में दांव पर लगी है. सबसे ज्यादा प्रभाव देश के भविष्य यानी की बच्चों की शिक्षा-व्यवस्था पर पड़ा है. ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों को सुटेबल नहीं. कई बच्चों को तो मोबाइल या फिर इंटरनेट तक की सुविधा नहीं मिल पाती है. ऐसे में उनके लिए कोरोनाकाल में पढ़ना मुश्किल सा हो गया है. कोरोना की दूसरी लहर के बाद बमुश्किल स्कूल खुले थे लेकिन ओमीक्रोन की एंट्री और कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक के बाद एक बार फिर स्कूल बंद हो गए हैं. अब बच्चे एक बार फिर ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मजबूर हो गए हैं. ईटीवी भारत ने ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई के सिस्टम को लेकर शिक्षक, स्टूडेंट सहित अभिभावकों से बातचीत की है.

ऑनलाइन या ऑफलाइन शिक्षा

फर्क कनेक्टिविटी का है

शिक्षा माध्यमों को लेकर गोपेन्द्रधर दीवान का कहना है कि, ''स्कूलों में ऑफलाइन या ऑनलाइन पढ़ाई में क्वालिटी का कोई फर्क नहीं है. फर्क है तो सिर्फ कनेक्टिविटी का. अगर स्कूल के पास अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर है और हाई स्पीड इंटरनेट है तो ऑनलाइन पढ़ाई और ऑफलाइन पढ़ाई में कोई फर्क नहीं है. हमारे यहां सरकारी या प्राइवेट स्कूलों में किसी ने भी बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं किया है. अभी ओमीक्रोन आने से स्कूल ने ऑनलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर को ठीक कर लिया है. अभी मजबूरी है ऑनलाइन पढ़ाई करने की. जो भी कदम सरकार उठा रही है, वह ठीक और बेहतर है.''

यह भी पढ़ेंः Corona Third Wave: जांजगीर चांपा में सबकुछ बंद, कोरोना संक्रमण को लेकर DM का आदेश

11वीं के छात्र चैतन्य ने बताया कि, ''ऑनलाइन माध्यम को बेहतर कहा जा सकता है, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में टीचर्स से ज्यादा इंटरेक्शन नहीं होता. ऑफलाइन पढ़ाई करने में टीचर और स्टूडेंट के बीच इंटरेक्शन ज्यादा रहता है. पूरा फोकस पढ़ाई पर ही रहता है. मोबाइल पर छोटा-छोटा दिखाई देता है. कभी-कभी जब इंटरनेट कनेक्शन अच्छा नहीं रहता, तब बहुत दिक्कत होती है.

ऑनलाइन में नहीं क्लियर होते डाउट्स

पांचवीं कक्षा के स्टूडेंट सन्देश बताते हैं कि उन्हें ऑफलाइन माध्यम से पढ़ना अच्छा लगता था. ऑनलाइन पढ़ाई में डाउट्स क्लियर नहीं हो पाते. ऑनलाइन में एक दिक्कत होती है. घर में रहकर हम पढ़ाई करते है. तो उस दौरान पढ़ाई की ओर पूरा फोकस नहीं हो पाता. बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण अभी स्कूल बंद है. ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई करना मजबूरी हो गई है.

एक के नेटवर्क की समस्या से डिस्टर्ब होता है पूरा क्लास

11वीं में पढ़ाई कर रहे विधान सिन्हा कहते हैं कि ऑनलाइन और ऑफलाइन में ऑफलाइन पढ़ाई अच्छी है. क्लास में टीचर्स पढ़ाते हैं तो इतना एक्सपीरियंस रहता है कि वे बच्चे को देखकर समझ जाते हैं कि बच्चों को क्या चीज समझ आ रही है या नहीं आ रही है. लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में ऐसा नहीं होता. कई बार नेटवर्क की समस्या रहती है. इसके साथ ही इंटरेक्शन नहीं हो पाता.ऑनलाइन क्लास में किसी एक का नेटवर्क प्रॉब्लम होता है, तो बाकी पूरी क्लास भी डिस्टर्ब हो जाती है. इसके अलावा ऑनलाइन पढ़ाई एक नई चीज है, जिसके कारण उनके पढ़ाई के तरीके में भी बदलाव हुआ है. जिसे पसंद नहीं करते हैं. ऑनलाइन पढ़ाई में डिफिकल्टी सभी को हो रही है. अभी ऑफलाइन पढ़ाई सबसे बेहतर है.

यह भी पढ़ेंः छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर: एक दिन में 2400 से ज्यादा मामले, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक कोरोना संक्रमित

ऑनलाइन कोरोनाकाल का बेहतर माध्यम

इस विषय में सरकारी स्कूल की शिक्षिका सुचिता साहू का कहना है कोरोना संक्रमण के कारण जो बच्चे पढ़ाई से दूर हो गए थे, बच्चे ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा ग्रहण करते थे. लेकिन शासकीय स्कूल के ऐसे बच्चे जिनके परिजनों के पास स्मार्टफोन नहीं था, वह ऑनलाइन क्लास से लाभान्वित नहीं हो पाए थे. ऑफलाइन माध्यम में बच्चे अच्छे से शिक्षा ग्रहण किया करते थे. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो, इसके लिए मोहल्ले में जाकर भी शिक्षक पढ़ाते थे. ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई की अगर बात की जाए तो ऑनलाइन माध्यम में कई बार नेटवर्क की समस्या होती है. जिसके कारण बच्चों को समझ नहीं आ पाता और बच्चों को पढ़ाई करने में असुविधा होती है. हालांकि इस कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाई से जुड़े रहने के लिए ऑनलाइन माध्यम वरदान के रूप में सामने आया है.

ऑनलाइन में बच्चे भूले अपनी लिखावट

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि पूरे देश में पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है. लेकिन इससे यह पता चलता है कि ऑफलाइन पढ़ाई बेहद अच्छी है. उसी से बच्चे सीख रहे हैं. उसी से अपनी तरक्की कर रहे हैं. लेकिन अभी कोई तरीका नहीं है. बच्चों की निरंतरता बनाए रखने के लिए ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है. ऑनलाइन पढ़ाई जब तक हो तब तक ठीक है, लेकिन जब कोरोना कि स्थिति ठीक हो तब तुरंत स्कूल खोले देना चाहिए. राजीव गुप्ता कहते हैं कि अगस्त में जब स्कूल की शुरूआत हुई, तो एक बात सामने आई कि जो तीसरी और चौथी कक्षा के बच्चे हैं वे अपनी लिखावट भूल गए है. शिक्षा बहुत ज्यादा प्रभावित हुई है और इसमें तमाम तरह की रिसर्च आ रही है. कोरोनाकाल में बच्चे पढ़ाई से बेहद प्रभावित हुए हैं. उन्हें आगे चलकर दुष्परिणाम झेलना पड़ेगा. इसलिए ऑफलाइन ही एक अच्छा माध्यम है. राज्य सरकार ने जो स्कूल खोलने और बंद करने की प्रक्रिया अपनाई है. वह देश में सबसे अच्छी है. जैसे ही संक्रमण कम होंगे सरकार को तुरंत ऑफलाइन क्लास शुरू करना चाहिए.

Last Updated : Jan 7, 2022, 11:04 PM IST
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