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SPECIAL: दुनिया का बोझ उठाने वाले कुलियों के सिर चढ़ा कर्ज का भार - रायपुर रेलवे स्टेशन में कुली

सभी का बोझ उठाने वाले कुली आज कर्ज के तले दबने लगे हैं. स्टेशन में ट्रेन कम होने के साथ ही अब कुलियों की इनकम भी घटने लगी है. ये कुली अब अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी दिन रात संघर्ष कर रहे है.ETV भारत की टीम ने इन कुलियों से बात कर उनकी स्थिति की जानकारी ली.

coolie facing financial crisis in raipur
कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जुझ रहे कुली
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Published : Sep 24, 2020, 4:29 PM IST

रायपुर: लॉकडाउन ने अमीर हो या गरीब.व्यापारी हो या कर्मचारी सभी की जिंदगी बदल दी है. कुछ काम की तलाश में हैं, तो कुछ काम होते हुए भी तंगी के शिकार हैं. लोगों का बोझ उठाकर घर चलाने वाले कुली आज कर्ज तले दब गए हैं. स्टेशन पर सन्नाटा पसरा तो इन कुलियों की जिंदगी में भी मंदी का अंधेरा छा गया. हालात ऐसे हो गए कि अब इनके घर में खाने को राशन भी नहीं है. राजधानी रायपुर में जून महीने से यात्री ट्रेनों की शुरुआत हुई है, लेकिन ट्रेनों की संख्या कम होने की वजह से रेलवे स्टेशन पर सामान ढोने वाले कुली की संख्या भी घट गई है. अब इन कुली की आर्थिक स्थिति भी धीरे-धीरे बिगड़कती जा रही है.

कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे कुली

पढ़ें- रायपुर: लॉकडाउन में परेशानी, 20 के बजाय 200 देना पड़ रहा किराया

राजधानी रायपुर के रेलवे स्टेशन में 112 कुली हैं, लॉकडाउन के बाद वर्तमान स्थिति में इनकी संख्या घटकर 102 हो गई है. स्टेशन में ट्रेनों की संख्या कम हो गई है. इस वजह से यात्रियों की आवाजाही भी कम हो गई है. यात्रियों को स्टेशन में कुली तो मिल रहे हैं, लेकिन महामारी के डर से लोग इनसे काम लेने से कतरा रहे हैं. राजधानी के रेलवे स्टेशन पर ETV भारत ने कुछ यात्रियों से कुली के संबंध में बात की तो उन यात्रियों का कहना है कि रेलवे स्टेशन पर सामान ढोने वाले कुली तो नजर आ रहे हैं, लेकिन इन कुलियों की संख्या कम है. कुछ यात्री यह भी बताते हैं कि इन कुलियों के पास किसी तरह का काम नहीं होने से भी स्टेशन पर कम दिख रहे हैं.

मुश्किल से मिलते हैं ग्राहक

सामान्य दिनों में यात्रियों की संख्या भी अधिक हुआ करती थी और स्टेशन में सामान ढोने के काम करने वाले कुली की भी अच्छी खासी कमाई हो जाया करती थी, लेकिन कोरोना की वजह से पिछले 6 महीने से कुलियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है और इन्हें अब रेलवे स्टेशन में सुबह से शाम तक इंतजार के बाद भी मुश्किल से कोई काम मिल पाता है.

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परेशान कुली

नहीं मिल रही कोई मदद

ट्रेन का परिचालन कम होने से धीरे-धीरे इन कुलियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है. आर्थिक सहायता या किसी तरह की मदद की बात की जाए तो इनको रेलवे प्रशासन या फिर सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिली है. लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में इनको एनजीओ की मदद से कुछ राशन मिला था, लेकिन इसके बाद इन कुलियों की दशा और दिशा देखने वाला कोई नहीं है.

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कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे कुली

रेलवे स्टेशन पर कुलियों को कोई मनाही नहीं

कुलियों का कहना है कि कहीं न कहीं यात्रियों के मन में भी कोरोना को लेकर डर बैठा हुआ है. जिसकी वजह से उन्हें सामान ढोने के लिए नहीं बोला जाता. उन्हें भी कोरोना संक्रमण का डर है फिर भी रोजी रोटी के लिए वे हर रोज जोखिम उठा रहे हैं. इस मसले में रेलवे स्टेशन के डायरेक्टर का कहना है कि कुलियों को सामान ढोने की अनुमति दी गई है. कई कुली छत्तीसगढ़ से बाहर दूसरे राज्य के रहने वाले हैं इसलिए कुली की संख्या राजधानी के रेलवे स्टेशन पर कम नजर आ रही है. स्टेशन डायरेक्टर भी मानते हैं कि ट्रेनों की संख्या कम होने के कारण कुली की संख्या भी कम हुई है. आर्थिक मदद के बारे में उनका कहना है कि एनजीओ के माध्यम से कुछ महीने पहले आर्थिक सहायता की गई थी.

रायपुर: लॉकडाउन ने अमीर हो या गरीब.व्यापारी हो या कर्मचारी सभी की जिंदगी बदल दी है. कुछ काम की तलाश में हैं, तो कुछ काम होते हुए भी तंगी के शिकार हैं. लोगों का बोझ उठाकर घर चलाने वाले कुली आज कर्ज तले दब गए हैं. स्टेशन पर सन्नाटा पसरा तो इन कुलियों की जिंदगी में भी मंदी का अंधेरा छा गया. हालात ऐसे हो गए कि अब इनके घर में खाने को राशन भी नहीं है. राजधानी रायपुर में जून महीने से यात्री ट्रेनों की शुरुआत हुई है, लेकिन ट्रेनों की संख्या कम होने की वजह से रेलवे स्टेशन पर सामान ढोने वाले कुली की संख्या भी घट गई है. अब इन कुली की आर्थिक स्थिति भी धीरे-धीरे बिगड़कती जा रही है.

कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे कुली

पढ़ें- रायपुर: लॉकडाउन में परेशानी, 20 के बजाय 200 देना पड़ रहा किराया

राजधानी रायपुर के रेलवे स्टेशन में 112 कुली हैं, लॉकडाउन के बाद वर्तमान स्थिति में इनकी संख्या घटकर 102 हो गई है. स्टेशन में ट्रेनों की संख्या कम हो गई है. इस वजह से यात्रियों की आवाजाही भी कम हो गई है. यात्रियों को स्टेशन में कुली तो मिल रहे हैं, लेकिन महामारी के डर से लोग इनसे काम लेने से कतरा रहे हैं. राजधानी के रेलवे स्टेशन पर ETV भारत ने कुछ यात्रियों से कुली के संबंध में बात की तो उन यात्रियों का कहना है कि रेलवे स्टेशन पर सामान ढोने वाले कुली तो नजर आ रहे हैं, लेकिन इन कुलियों की संख्या कम है. कुछ यात्री यह भी बताते हैं कि इन कुलियों के पास किसी तरह का काम नहीं होने से भी स्टेशन पर कम दिख रहे हैं.

मुश्किल से मिलते हैं ग्राहक

सामान्य दिनों में यात्रियों की संख्या भी अधिक हुआ करती थी और स्टेशन में सामान ढोने के काम करने वाले कुली की भी अच्छी खासी कमाई हो जाया करती थी, लेकिन कोरोना की वजह से पिछले 6 महीने से कुलियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है और इन्हें अब रेलवे स्टेशन में सुबह से शाम तक इंतजार के बाद भी मुश्किल से कोई काम मिल पाता है.

coolie are facing-financial-crisis-during-corona-pandemic-in raipur
परेशान कुली

नहीं मिल रही कोई मदद

ट्रेन का परिचालन कम होने से धीरे-धीरे इन कुलियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है. आर्थिक सहायता या किसी तरह की मदद की बात की जाए तो इनको रेलवे प्रशासन या फिर सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिली है. लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में इनको एनजीओ की मदद से कुछ राशन मिला था, लेकिन इसके बाद इन कुलियों की दशा और दिशा देखने वाला कोई नहीं है.

coolie are facing-financial-crisis-during-corona-pandemic-in raipur
कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे कुली

रेलवे स्टेशन पर कुलियों को कोई मनाही नहीं

कुलियों का कहना है कि कहीं न कहीं यात्रियों के मन में भी कोरोना को लेकर डर बैठा हुआ है. जिसकी वजह से उन्हें सामान ढोने के लिए नहीं बोला जाता. उन्हें भी कोरोना संक्रमण का डर है फिर भी रोजी रोटी के लिए वे हर रोज जोखिम उठा रहे हैं. इस मसले में रेलवे स्टेशन के डायरेक्टर का कहना है कि कुलियों को सामान ढोने की अनुमति दी गई है. कई कुली छत्तीसगढ़ से बाहर दूसरे राज्य के रहने वाले हैं इसलिए कुली की संख्या राजधानी के रेलवे स्टेशन पर कम नजर आ रही है. स्टेशन डायरेक्टर भी मानते हैं कि ट्रेनों की संख्या कम होने के कारण कुली की संख्या भी कम हुई है. आर्थिक मदद के बारे में उनका कहना है कि एनजीओ के माध्यम से कुछ महीने पहले आर्थिक सहायता की गई थी.

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