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बचपन पर खतरा: वीडियो और मोबाइल गेम की लत का शिकार हो रहे बच्चे

लगातार बढ़ते मोबाइल और वीडियो गेम्स (Video and mobile games) के चलन ने बच्चों (Effect of video games on children) पर सबसे बुरा प्रभाव (bad effect on children) डाला है. आज के दौर में बच्चे ज्यादातर समय इन गेम्स को खेलने में बिताते हैं. ऐसी लत से बचपन पर खतरा मंडरा रहा है

mobile game addiction in kids
मोबाइल और वीडियो गेम्स की लत से बचपन पर खतरा
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Published : Sep 22, 2021, 6:28 PM IST

हैदराबाद/ रायपुर: वीडियो और मोबाइल गेम (Video and mobile games) बच्चों के लिए घातक होता जा रहा है. जैसे-जैसे इस तरह के गेम का चलन बढ़ रहा है वैसे वैसे लगातार बच्चों की (bad effect on children) मानसिक स्थिति (mental Situation of children) खराब होती जा रही है. वीडियो और मोबाइल गेम की वजह से कई बच्चे मौत का शिकार (child death) हो रहे हैं. इसे लेकर बीते दिनों पीएम मोदी ने भी चिंता जताई थी. एक्सपर्ट की माने तो इस तरह के गेम से बच्चे हिंसक (children violent) हो रहे हैं और खतरनाक कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं. कई बार वीडियो और मोबाइल गेम (Video and mobile games) खेलते वक्त बच्चों को किसी तरह का कोई सुध नहीं रहता और वह दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. जैसा अभी कोरबा में हुआ. वहां फ्री फायर गेम खेलते वक्त एक बच्चा गेट पार कर रहा था. वो भी छलांग लगाकर, इस दौरान उसका पैर फिसल गया और सरिया उसके पेट में घुस गया. जिससे उसकी मौत हो गई.

कोरोना काल (corona period) में स्कूल कई दिनों तक बंद रहे इस दौरान बच्चों को मोबाइल और कंप्यूटर (mobile and computer) की लत लग गई. मोबाइल और कम्प्यूटर में गेम्स खेलने से बच्चे इसके आदि होते चले गए. गेम के नशे में बच्चे लगातार घातक कदम उठा रहे हैं.ऑनलाइन क्लास (online class) और घरों में कैद होने के कारण वे दूसरी एक्टिविटी से बिल्कुल दूर हैं. बच्चे मानते हैं कि वीडियो गेम्स में लड़ाई, झगड़ा, फायरिंग जैसे हिंसक स्टोरीज टास्क होते हैं. लेकिन उन्हें यह अच्छा और रोमांचित करने वाला लगता है. इसलिए वह इसे खेलते हैं. लेकिन यह लगातार खतरनाक साबित होता जा रहा है. पैरेंट्स की मानें तो ऑनलाइन और डिजिटल वीडियो गेम्स की वजह से बच्चे लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. अभिभावक (Guardian) के लिए भी कई बार इन गेम पर लगाम लगाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन इस दौर में पैरेंट्स को बच्चों की इस लत पर रोक लगानी होगी.

बीमारी की तरह फैल रही वीडियो गेम की लत

मनोचिकित्सक (psychiatrist) भी बच्चों के गेम खेलने की आदत को एक बीमारी मान रहे हैं और इससे छुटकारा दिलाने के लिए कई तरह के उपाय सुझा रहे हैं. मनोचिकित्सक की माने तो ज्यादातर बच्चे ऑनलाइन गेम्स (online games) खेलते हैं. इसमें कई हिंसक चीजें और मुश्किल टास्क दिखाए जाते हैं. जो बच्चों के माइंड पर बुरा प्रभाव डालते हैं.

इस तरह के गेम की लत में हैं बच्चे

ब्लू व्हेल

पब्जी

मोमो गेम

फ्री फायर

मैंडक्राफ्ट

कॉल ऑफ ड्यूटी

बैटललैंड रॉयल सहित कई अन्य ऐसे गेम्स हैं, जिसे बच्चे ज्यादा खेल रहे हैं

कैसे छुड़ाए बच्चों के वीडियो गेम्स की लत ?

मनोवैज्ञानिक (psychologist) की बात करें तो बच्चों को वीडियो गेम्स की लत छुड़ाना जरूरी है. इसके लिए पैरेंट्स को उनके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बीताना पड़ेगा. उन्हें आउटडोर गेम्स के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रेरित करना पड़ेगा. इंनडोर गेम्स के नए-नए कॉन्सेप्ट बताने होंगे. तब जाकर यह आदत छूट सकती है. आईटी एक्सपर्ट के मुताबिक गेम में भी रेटिंग दी जाती है, जिसके आधार पर तय किया जाता है कि इसमें कितनी हिंसा है और कितना नहीं. पैरंट्स को चाहिए कि वह यदि कोई गेम खरीदते या फिर डाउनलोड करते हैं तो उसकी रेटिंग देख लें, जैसे 3,7, 18 , इस तरह की रेटिंग आती है और उसमें उसका नेचर दिया रहता है. खतरनाक रेटिंग के गेम्स न खरीदें

हैदराबाद/ रायपुर: वीडियो और मोबाइल गेम (Video and mobile games) बच्चों के लिए घातक होता जा रहा है. जैसे-जैसे इस तरह के गेम का चलन बढ़ रहा है वैसे वैसे लगातार बच्चों की (bad effect on children) मानसिक स्थिति (mental Situation of children) खराब होती जा रही है. वीडियो और मोबाइल गेम की वजह से कई बच्चे मौत का शिकार (child death) हो रहे हैं. इसे लेकर बीते दिनों पीएम मोदी ने भी चिंता जताई थी. एक्सपर्ट की माने तो इस तरह के गेम से बच्चे हिंसक (children violent) हो रहे हैं और खतरनाक कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं. कई बार वीडियो और मोबाइल गेम (Video and mobile games) खेलते वक्त बच्चों को किसी तरह का कोई सुध नहीं रहता और वह दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. जैसा अभी कोरबा में हुआ. वहां फ्री फायर गेम खेलते वक्त एक बच्चा गेट पार कर रहा था. वो भी छलांग लगाकर, इस दौरान उसका पैर फिसल गया और सरिया उसके पेट में घुस गया. जिससे उसकी मौत हो गई.

कोरोना काल (corona period) में स्कूल कई दिनों तक बंद रहे इस दौरान बच्चों को मोबाइल और कंप्यूटर (mobile and computer) की लत लग गई. मोबाइल और कम्प्यूटर में गेम्स खेलने से बच्चे इसके आदि होते चले गए. गेम के नशे में बच्चे लगातार घातक कदम उठा रहे हैं.ऑनलाइन क्लास (online class) और घरों में कैद होने के कारण वे दूसरी एक्टिविटी से बिल्कुल दूर हैं. बच्चे मानते हैं कि वीडियो गेम्स में लड़ाई, झगड़ा, फायरिंग जैसे हिंसक स्टोरीज टास्क होते हैं. लेकिन उन्हें यह अच्छा और रोमांचित करने वाला लगता है. इसलिए वह इसे खेलते हैं. लेकिन यह लगातार खतरनाक साबित होता जा रहा है. पैरेंट्स की मानें तो ऑनलाइन और डिजिटल वीडियो गेम्स की वजह से बच्चे लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. अभिभावक (Guardian) के लिए भी कई बार इन गेम पर लगाम लगाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन इस दौर में पैरेंट्स को बच्चों की इस लत पर रोक लगानी होगी.

बीमारी की तरह फैल रही वीडियो गेम की लत

मनोचिकित्सक (psychiatrist) भी बच्चों के गेम खेलने की आदत को एक बीमारी मान रहे हैं और इससे छुटकारा दिलाने के लिए कई तरह के उपाय सुझा रहे हैं. मनोचिकित्सक की माने तो ज्यादातर बच्चे ऑनलाइन गेम्स (online games) खेलते हैं. इसमें कई हिंसक चीजें और मुश्किल टास्क दिखाए जाते हैं. जो बच्चों के माइंड पर बुरा प्रभाव डालते हैं.

इस तरह के गेम की लत में हैं बच्चे

ब्लू व्हेल

पब्जी

मोमो गेम

फ्री फायर

मैंडक्राफ्ट

कॉल ऑफ ड्यूटी

बैटललैंड रॉयल सहित कई अन्य ऐसे गेम्स हैं, जिसे बच्चे ज्यादा खेल रहे हैं

कैसे छुड़ाए बच्चों के वीडियो गेम्स की लत ?

मनोवैज्ञानिक (psychologist) की बात करें तो बच्चों को वीडियो गेम्स की लत छुड़ाना जरूरी है. इसके लिए पैरेंट्स को उनके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बीताना पड़ेगा. उन्हें आउटडोर गेम्स के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रेरित करना पड़ेगा. इंनडोर गेम्स के नए-नए कॉन्सेप्ट बताने होंगे. तब जाकर यह आदत छूट सकती है. आईटी एक्सपर्ट के मुताबिक गेम में भी रेटिंग दी जाती है, जिसके आधार पर तय किया जाता है कि इसमें कितनी हिंसा है और कितना नहीं. पैरंट्स को चाहिए कि वह यदि कोई गेम खरीदते या फिर डाउनलोड करते हैं तो उसकी रेटिंग देख लें, जैसे 3,7, 18 , इस तरह की रेटिंग आती है और उसमें उसका नेचर दिया रहता है. खतरनाक रेटिंग के गेम्स न खरीदें

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