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राजधानी के हृदय स्थल में हो रहा छत्तीसगढ़ महतारी का अपमान ! - chhattisgarh state building movement

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ महतारी का अपमान हो रहा है. शहर के बीचो-बीच कलेक्ट्रेट चौक में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा दुर्दशा का शिकार हो रही (Chhattisgarh Mahtari insulted in Raipur) है.

Chhattisgarh Mahtari is being insulted in the heart of the capital
राजधानी के हृदय स्थल में हो रहा छत्तीसगढ़ महतारी का अपमान !
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Published : Jul 4, 2022, 12:19 PM IST

Updated : Jul 4, 2022, 2:03 PM IST

रायपुर : हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने सरकारी भवनों में छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर लगाने का आदेश जारी किया है. एक ओर सरकार राज की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों में छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर प्रमुखता से लगाने के निर्देश दे रही है. तो वहीं दूसरी ओर राज्य गठन से पहले घड़ी चौक में स्थापित की गई थी. लेकिन छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा को वह सम्मान नहीं मिल पा रहा (Chhattisgarh Mahtari insulted in Raipur) है.

राजधानी के हृदय स्थल में हो रहा छत्तीसगढ़ महतारी का अपमान
कहां प्रतिमा का हुआ अपमान : हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ महतारी की उस प्रतिमा के बारे में जो राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान आंदोलकारियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनीं थी. लेकिन आज उसी छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा को सम्मान नहीं मिल रहा (statue is a witness to the Chhattisgarh movement) है. घड़ी चौक के पास स्थित यह प्रतिमा के आसपास गंदगी पसरी रहती है. प्रतिमा के आसपास इतनी गंदगी है कि इस प्रतिमा के आसपास खड़े होना भी मुश्किल है.
क्या है प्रतिमा का इतिहास : इतिहासकार रामेंद्र नाथ मिश्र ने बताया "छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन (chhattisgarh state building movement ) के समय दाऊ आनंद अग्रवाल धरना स्थल के तौर पर कलेक्ट्रेट के पास एक ही स्थान पर बैठते थे. जब आंदोलन बढ़ता गया. तब स्थान घड़ी चौक (Clock Chowk the heart of Raipur) के पास रखा गया. इस दौरान छत्तीसगढ़ महतारी का एक छोटा सा मंदिर बना कर धरना स्थल पर अखंड धरना प्रदर्शन करते थे. छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन के समय लोगों के मन में यह कल्पना आई कि हम छत्तीसगढ़ महतारी के रूप में मूर्ति स्थापित करें. निश्चित रूप से लोगों के मन में भक्ति भाव के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में समर्पण के साथ लोगों का काम करेंगे. उस दृष्टिकोण से राजश्री महंत राम सुंदर दास स्वर्गीय आचार्य सरयू कांत झा के समक्ष विधिवत रूप से छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति स्थापित की गई थी. जब तक वह धरना स्थल पर लोग आते जाते थे. सभी राजनेता और आंदोलनकारियों से घर पर आकर बैठा करते थे."
आज के समय स्थिति ठीक नहीं : इतिहास का रामेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि ''आज के समय में वहां की स्थिति ठीक नहीं है. एक छोटे रूप में साफ सुथरा स्थल कर वहां मंदिर का निर्माण बना दिया जाए. ताकि लोग एक धरोहर के रूप में याद रखें कि यह हमारा राज्य आंदोलन का एक महत्वपूर्ण बैठक का केंद्र था.



हर रविवार होती है पूजा : बदहाल स्थिति में पड़े छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा को शहर के कुछ युवाओं ने संजोकर रखने का काम शुरू किया. मनोज कुमार साहू ने बताया ''1998 में घड़ी चौक के पास छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा स्थापित की गई थी. यह मंदिर कब बना, कैसे बना इसकी जानकारी हमें नही है. लेकिन जिस बदहाल अवस्था में हमने इसे देखा था तो यह देखकर हमें बहुत पीड़ा हुई. हमने कोशिश की है कि यहां साफ-सफाई से इसे सुंदर बनाया जाए. यहां जितने भी लोग आए हुए हैं और मदद करते हैं वो यहां के रहने वाले नहीं हैं. सभी 10 -15 किलोमीटर दूर से आते हैं.''

कहां से मिली जानकारी : मनोज साहू ने कहा कि ''हमें जानकारी मिली थी कि चार हाथ वाले छत्तीसगढ़ महतारी का मंदिर है.लेकिन इसकी स्थिति इतनी बदहाल थी. यहां बहुत गंदगी का अंबार लगा हुआ था. हमने यह सोचा कि हम हर रविवार यहां आए साफ सफाई करें. माता की आरती करते हैं. हर रविवार हम सभी युवा यहां आते हैं. और छत्तीसगढ़ महतारी की आरती करते हैं.


सरकार से लगाई युवाओं ने गुहार : कामेश्वर धनगर का कहना है" छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सभी कार्यालय में छत्तीसगढ़ महतारी की फोटो लगाना अनिवार्य कर दिया है, इस फैसले का हम सभी स्वागत करते हैं. आज छत्तीसगढ़ महतारी की मंदिर उचित है. लेकिन आसपास दरिद्रता है. आसपास काम्प्लेक्स मौजदू हैं.लेकिन वहां कचरा फेकने की भी व्यवस्था नहीं हैं. मंदिर के बगल में लोक शौच के लिए जाते है. हमारी मांग है कि '' नगर निगम प्रशासन, सरकार इस ओर ध्यान दे और सप्ताह में 4 से 5 बार यहां सफाई कराई जाए. जो गलत तरह से कचरा फेंक रहे हैं. मंदिर आसपास शौच किया जा रहा है उसे बंद करवाया जाए."


क्यों है प्रतिमा जरुरी : छत्तीसगढ़ महतारी के चार भुजाओं वाली यह प्रतिमा राज्य निर्माण आंदोलन की गवाह है. जिस उद्देश्य से इस प्रतिमा को लगाया गया था. आज वह उद्देश्य पूर्ण होकर छत्तीसगढ़ राज्य को बने 22 साल हो गए है. एक ओर सरकार छत्तीसगढ़ महतारी के फोटो सरकारी दफ्तरों में लगाना अनिवार्य कर दी है. लेकिन आज इस ऐतिहासिक मंदिर को संजोने की दरकार है ताकि आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास को याद रखे.

रायपुर : हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने सरकारी भवनों में छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर लगाने का आदेश जारी किया है. एक ओर सरकार राज की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों में छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर प्रमुखता से लगाने के निर्देश दे रही है. तो वहीं दूसरी ओर राज्य गठन से पहले घड़ी चौक में स्थापित की गई थी. लेकिन छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा को वह सम्मान नहीं मिल पा रहा (Chhattisgarh Mahtari insulted in Raipur) है.

राजधानी के हृदय स्थल में हो रहा छत्तीसगढ़ महतारी का अपमान
कहां प्रतिमा का हुआ अपमान : हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ महतारी की उस प्रतिमा के बारे में जो राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान आंदोलकारियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनीं थी. लेकिन आज उसी छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा को सम्मान नहीं मिल रहा (statue is a witness to the Chhattisgarh movement) है. घड़ी चौक के पास स्थित यह प्रतिमा के आसपास गंदगी पसरी रहती है. प्रतिमा के आसपास इतनी गंदगी है कि इस प्रतिमा के आसपास खड़े होना भी मुश्किल है.
क्या है प्रतिमा का इतिहास : इतिहासकार रामेंद्र नाथ मिश्र ने बताया "छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन (chhattisgarh state building movement ) के समय दाऊ आनंद अग्रवाल धरना स्थल के तौर पर कलेक्ट्रेट के पास एक ही स्थान पर बैठते थे. जब आंदोलन बढ़ता गया. तब स्थान घड़ी चौक (Clock Chowk the heart of Raipur) के पास रखा गया. इस दौरान छत्तीसगढ़ महतारी का एक छोटा सा मंदिर बना कर धरना स्थल पर अखंड धरना प्रदर्शन करते थे. छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन के समय लोगों के मन में यह कल्पना आई कि हम छत्तीसगढ़ महतारी के रूप में मूर्ति स्थापित करें. निश्चित रूप से लोगों के मन में भक्ति भाव के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में समर्पण के साथ लोगों का काम करेंगे. उस दृष्टिकोण से राजश्री महंत राम सुंदर दास स्वर्गीय आचार्य सरयू कांत झा के समक्ष विधिवत रूप से छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति स्थापित की गई थी. जब तक वह धरना स्थल पर लोग आते जाते थे. सभी राजनेता और आंदोलनकारियों से घर पर आकर बैठा करते थे."
आज के समय स्थिति ठीक नहीं : इतिहास का रामेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि ''आज के समय में वहां की स्थिति ठीक नहीं है. एक छोटे रूप में साफ सुथरा स्थल कर वहां मंदिर का निर्माण बना दिया जाए. ताकि लोग एक धरोहर के रूप में याद रखें कि यह हमारा राज्य आंदोलन का एक महत्वपूर्ण बैठक का केंद्र था.



हर रविवार होती है पूजा : बदहाल स्थिति में पड़े छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा को शहर के कुछ युवाओं ने संजोकर रखने का काम शुरू किया. मनोज कुमार साहू ने बताया ''1998 में घड़ी चौक के पास छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा स्थापित की गई थी. यह मंदिर कब बना, कैसे बना इसकी जानकारी हमें नही है. लेकिन जिस बदहाल अवस्था में हमने इसे देखा था तो यह देखकर हमें बहुत पीड़ा हुई. हमने कोशिश की है कि यहां साफ-सफाई से इसे सुंदर बनाया जाए. यहां जितने भी लोग आए हुए हैं और मदद करते हैं वो यहां के रहने वाले नहीं हैं. सभी 10 -15 किलोमीटर दूर से आते हैं.''

कहां से मिली जानकारी : मनोज साहू ने कहा कि ''हमें जानकारी मिली थी कि चार हाथ वाले छत्तीसगढ़ महतारी का मंदिर है.लेकिन इसकी स्थिति इतनी बदहाल थी. यहां बहुत गंदगी का अंबार लगा हुआ था. हमने यह सोचा कि हम हर रविवार यहां आए साफ सफाई करें. माता की आरती करते हैं. हर रविवार हम सभी युवा यहां आते हैं. और छत्तीसगढ़ महतारी की आरती करते हैं.


सरकार से लगाई युवाओं ने गुहार : कामेश्वर धनगर का कहना है" छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सभी कार्यालय में छत्तीसगढ़ महतारी की फोटो लगाना अनिवार्य कर दिया है, इस फैसले का हम सभी स्वागत करते हैं. आज छत्तीसगढ़ महतारी की मंदिर उचित है. लेकिन आसपास दरिद्रता है. आसपास काम्प्लेक्स मौजदू हैं.लेकिन वहां कचरा फेकने की भी व्यवस्था नहीं हैं. मंदिर के बगल में लोक शौच के लिए जाते है. हमारी मांग है कि '' नगर निगम प्रशासन, सरकार इस ओर ध्यान दे और सप्ताह में 4 से 5 बार यहां सफाई कराई जाए. जो गलत तरह से कचरा फेंक रहे हैं. मंदिर आसपास शौच किया जा रहा है उसे बंद करवाया जाए."


क्यों है प्रतिमा जरुरी : छत्तीसगढ़ महतारी के चार भुजाओं वाली यह प्रतिमा राज्य निर्माण आंदोलन की गवाह है. जिस उद्देश्य से इस प्रतिमा को लगाया गया था. आज वह उद्देश्य पूर्ण होकर छत्तीसगढ़ राज्य को बने 22 साल हो गए है. एक ओर सरकार छत्तीसगढ़ महतारी के फोटो सरकारी दफ्तरों में लगाना अनिवार्य कर दी है. लेकिन आज इस ऐतिहासिक मंदिर को संजोने की दरकार है ताकि आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास को याद रखे.

Last Updated : Jul 4, 2022, 2:03 PM IST

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