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मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे 'कका या बाबा', बताएगा फ्लोर टेस्ट?

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री (Chief Minister in Chhattisgarh) की कुर्सी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले को ले कर आए दिन उठा-पटक जारी है. कभी कोई मंत्री, विधायक दिल्ली जाता है तो कभी कोई दिल्ली से वापस आता है. एक बार फिर यह बात सामने आ रही है कि यह विधायक (MLA) हाईकमान (high command) से मिलने जा रहे हैं. ऐसे में सीएम कुर्सी पर आसीन होने की दिशा में अब कांग्रेस हाईकमान (Congress High Command) के सामने फ्लोर टेस्ट (floor test) की संभावना बढ़ती जा रही है. इसे लेकर राज्य में राजनीतिक हलचल (political turmoil) पूरे शबाब पर है.

Kaka or Baba will sit on the Chief Minister's chair
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे कका या बाबा
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Published : Oct 1, 2021, 9:15 PM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत (majority) के बावजूद कांग्रेस सरकार के अंदर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 'कका या बाबा' बैठेंगे, उसे लेकर कांग्रेस हाईकमान के सामने फ्लोर टेस्ट (Floor Test) कराए जाने जैसी स्थिति बन गई है. राजनीतिक गलियारों (Political Corridors) में चर्चा है कि कांग्रेस हाईकमान के सामने काका और बाबा में से जो बहुमत साबित कर देगा, वही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा.

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे कका या बाबा

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की कुर्सी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले को ले कर आए दिन उठा-पटक जारी है. कभी कोई मंत्री, विधायक दिल्ली जाता है तो कभी कोई दिल्ली से वापस आता है. एक बार फिर यह बात सामने आ रही है कि यह विधायक हाईकमान से मिलने जा रहे हैं. कुछ का कहना है कि वह छत्तीसगढ़ की वास्तविक स्थिति की जानकारी देने दिल्ली जा रहे हैं. तो कुछ भूपेश बघेल के समर्थन (Bhupesh Baghel Support) में उपस्थिति दर्ज कराने जा रहे हैं. लेकिन इस बीच ढाई-ढाई साल का फार्मूला (Two And A Half Year Formula) और कप्तान बदलने को लेकर सियासत गरमाई रहती है.

इसी कड़ी में एक बार फिर कुछ विधायक दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं. यह बात सामने आ रही है कि इन्होंने विधायकों का हस्ताक्षर युक्त एक पत्र तैयार किया है. हालांकि पत्र में हस्ताक्षर करने वाले विधायकों की संख्या स्पष्ट नहीं है. यह पत्र दिल्ली में हाईकमान को सौंपेंगे. इस पत्र में उन विधायकों के हस्ताक्षर हैं जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का समर्थन (Support Of Chief Minister Bhupesh Baghel) कर रहे हैं.

अब होगा सकता है 'फ्लोर टेस्ट'
इस पत्र के चर्चा में आने के बाद कयास लगाया जा रहा है कि हो सकता है कि आने वाले समय में हाईकमान छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 'कका या बाबा' बैठेंगे, उसका निर्णय 'फ्लोर टेस्ट' से करेगा. यानी कि विधायक हाईकमान के सामने उपस्थित होकर बताएंगे कि वह किसको मुख्यमंत्री बनाने के समर्थन में हैं और किसके विपक्ष में. उसके बाद हाईकमान इस बात का निर्णय लेगा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कका और बाबा में से किसको दें.

कांग्रेस हाईकमान के सामने फ्लोर टेस्ट की चर्चाओं को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी कहते हैं कि सीएम पद के लिए अधिकार कांग्रेस हाईकमान (Congress High Command) और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया (State In-Charge PL Punia) के पास है. वह लोग किस तरह से इस मामले को सुलझाते हैं, आने वाला समय ही बताएगा. इस पर लोगों ने भी टकटकी लगाए हुए हैं.

हाईकमान करेगा फैसला

उन्होंने कहा कि कांग्रेसी और भाजपा में हर आदमी मुख्यमंत्री बनना चाहता है, मंत्री बनना चाहता है. उसके लिए लॉबिंग करता है और लॉबिंग का जो हिस्सा है, लाफिंग हो रही होगी. इस तरीके से कैसे अपने पक्ष में बहुमत दिखाया जाय, लोकतंत्र में बहुमत किसकी तरफ है, इस पर हाईकमान को ही फैसला करना है. मुख्यमंत्री चयन में गुप्त मतदान भी होता है.

अलग-अलग विधायकों से राय भी ली जाती है. कांग्रेस हाईकमान विधायकों की राय के बावजूद भी कई बार किसी और को भी नियुक्त कर देती है. तो मुख्यमंत्री की नियुक्ति का अधिकार हाईकमान को है. इसकी कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है. कांग्रेस हाईकमान (Congress High Command) की पसंद-नापसंद, जिसने मैदान में संघर्ष किया है, उनको वरीयता देने की परंपरा रही है. उसके अनुसार नीति बना कर निर्णय लिए जाते हैं.


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क्या होता है फ्लोर टेस्ट
फ्लोर टेस्ट हिंदी में विश्वासमत को कहते हैं. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पता लगाया जाता है कि मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले व्यक्ति या उसकी पार्टी के पास पद पर बने रहने के लिए पर्याप्त बहुमत (substantial majority) है या नहीं. उस व्यक्ति या पार्टी को सदन में बहुमत साबित करना होता है. अगर राज्य सरकार की बात की जाए तो विधानसभा और केंद्र का मुद्दा (Assembly And Center Issue) है, तो लोकसभा में बहुमत साबित करना होता है.

फ्लोर टेस्ट में विधायकों या सांसदों को सदन में व्यक्तिगत रूप से मौजूद होना होता है और सबके सामने अपना वोट देना होता है. कुछ इसी तरह की स्थिति इन दिनों कांग्रेस में बनी हुई है लेकिन यह फ्लोर टेस्ट लोकसभा या विधानसभा में नहीं बल्कि कांग्रेस हाईकमान के सामने होने की संभावना है. जिससे यह पता चल सके कि कितने विधायक कका के साथ हैं और कितने बाबा के साथ. जिसके बाद हाईकमान निर्णय कर सकेगा कि किसे कुर्सी पर बैठाया जाए और किसे नहीं.

रायपुरः छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत (majority) के बावजूद कांग्रेस सरकार के अंदर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 'कका या बाबा' बैठेंगे, उसे लेकर कांग्रेस हाईकमान के सामने फ्लोर टेस्ट (Floor Test) कराए जाने जैसी स्थिति बन गई है. राजनीतिक गलियारों (Political Corridors) में चर्चा है कि कांग्रेस हाईकमान के सामने काका और बाबा में से जो बहुमत साबित कर देगा, वही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा.

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे कका या बाबा

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की कुर्सी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले को ले कर आए दिन उठा-पटक जारी है. कभी कोई मंत्री, विधायक दिल्ली जाता है तो कभी कोई दिल्ली से वापस आता है. एक बार फिर यह बात सामने आ रही है कि यह विधायक हाईकमान से मिलने जा रहे हैं. कुछ का कहना है कि वह छत्तीसगढ़ की वास्तविक स्थिति की जानकारी देने दिल्ली जा रहे हैं. तो कुछ भूपेश बघेल के समर्थन (Bhupesh Baghel Support) में उपस्थिति दर्ज कराने जा रहे हैं. लेकिन इस बीच ढाई-ढाई साल का फार्मूला (Two And A Half Year Formula) और कप्तान बदलने को लेकर सियासत गरमाई रहती है.

इसी कड़ी में एक बार फिर कुछ विधायक दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं. यह बात सामने आ रही है कि इन्होंने विधायकों का हस्ताक्षर युक्त एक पत्र तैयार किया है. हालांकि पत्र में हस्ताक्षर करने वाले विधायकों की संख्या स्पष्ट नहीं है. यह पत्र दिल्ली में हाईकमान को सौंपेंगे. इस पत्र में उन विधायकों के हस्ताक्षर हैं जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का समर्थन (Support Of Chief Minister Bhupesh Baghel) कर रहे हैं.

अब होगा सकता है 'फ्लोर टेस्ट'
इस पत्र के चर्चा में आने के बाद कयास लगाया जा रहा है कि हो सकता है कि आने वाले समय में हाईकमान छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 'कका या बाबा' बैठेंगे, उसका निर्णय 'फ्लोर टेस्ट' से करेगा. यानी कि विधायक हाईकमान के सामने उपस्थित होकर बताएंगे कि वह किसको मुख्यमंत्री बनाने के समर्थन में हैं और किसके विपक्ष में. उसके बाद हाईकमान इस बात का निर्णय लेगा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कका और बाबा में से किसको दें.

कांग्रेस हाईकमान के सामने फ्लोर टेस्ट की चर्चाओं को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी कहते हैं कि सीएम पद के लिए अधिकार कांग्रेस हाईकमान (Congress High Command) और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया (State In-Charge PL Punia) के पास है. वह लोग किस तरह से इस मामले को सुलझाते हैं, आने वाला समय ही बताएगा. इस पर लोगों ने भी टकटकी लगाए हुए हैं.

हाईकमान करेगा फैसला

उन्होंने कहा कि कांग्रेसी और भाजपा में हर आदमी मुख्यमंत्री बनना चाहता है, मंत्री बनना चाहता है. उसके लिए लॉबिंग करता है और लॉबिंग का जो हिस्सा है, लाफिंग हो रही होगी. इस तरीके से कैसे अपने पक्ष में बहुमत दिखाया जाय, लोकतंत्र में बहुमत किसकी तरफ है, इस पर हाईकमान को ही फैसला करना है. मुख्यमंत्री चयन में गुप्त मतदान भी होता है.

अलग-अलग विधायकों से राय भी ली जाती है. कांग्रेस हाईकमान विधायकों की राय के बावजूद भी कई बार किसी और को भी नियुक्त कर देती है. तो मुख्यमंत्री की नियुक्ति का अधिकार हाईकमान को है. इसकी कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है. कांग्रेस हाईकमान (Congress High Command) की पसंद-नापसंद, जिसने मैदान में संघर्ष किया है, उनको वरीयता देने की परंपरा रही है. उसके अनुसार नीति बना कर निर्णय लिए जाते हैं.


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फ्लोर टेस्ट हिंदी में विश्वासमत को कहते हैं. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पता लगाया जाता है कि मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले व्यक्ति या उसकी पार्टी के पास पद पर बने रहने के लिए पर्याप्त बहुमत (substantial majority) है या नहीं. उस व्यक्ति या पार्टी को सदन में बहुमत साबित करना होता है. अगर राज्य सरकार की बात की जाए तो विधानसभा और केंद्र का मुद्दा (Assembly And Center Issue) है, तो लोकसभा में बहुमत साबित करना होता है.

फ्लोर टेस्ट में विधायकों या सांसदों को सदन में व्यक्तिगत रूप से मौजूद होना होता है और सबके सामने अपना वोट देना होता है. कुछ इसी तरह की स्थिति इन दिनों कांग्रेस में बनी हुई है लेकिन यह फ्लोर टेस्ट लोकसभा या विधानसभा में नहीं बल्कि कांग्रेस हाईकमान के सामने होने की संभावना है. जिससे यह पता चल सके कि कितने विधायक कका के साथ हैं और कितने बाबा के साथ. जिसके बाद हाईकमान निर्णय कर सकेगा कि किसे कुर्सी पर बैठाया जाए और किसे नहीं.

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