रायपुर: छत्तीसगढ़ में फिलहाल सीमेंट 300 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से बाजार में बिक रही है. पहले कीमत करीब 220 से 250 रुपये प्रति बोरी थी. सीमेंट की बढ़ती कीमतों की वजह से लोगों के घर बनाने का सपना टूटता जा रहा है. आम लोगों ने अपने मकान निर्माण कार्य की गति धीमी कर दी है या फिर रोक दी है. सीमेंट के दाम लगातार बढ़ने की वजह से अब इस मुद्दे पर सियासत भी गर्मा गई है.
भाजपा ने साधा निशाना
भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि सरकार अघोषित टैक्स ले रही है, जिसकी वजह से सीमेंट की कीमतें बढ़ रही हैं. इसकी मार प्रदेशवासियों पर पड़ रही है. आम आदमी अपना घर नहीं बना पाएगा. सरकार की नीतियों का खामियाजा प्रदेश की जनता को उठाना पड़ रहा है. भाजपा के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि आज गरीब आदमी अपने निर्माण कार्य नहीं कर पा रहा है. सरकारी योजनाओं के तहत हो रहे निर्माण कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं. सीमेंट के दाम बढ़ने से उन योजनाओं की लागत बढ़ रही है. आज प्रदेश में खाद, रेत, सीमेंट ओर लोहा ब्लैक में बेचा जा रहा है.
सीमेंट की बढ़ती कीमतों पर क्या कहती है सरकार
कुछ दिन पूर्व जब प्रदेश में लगातार बढ़ती सीमेंट की कीमतों को लेकर कृषि मंत्री व सरकार के प्रवक्ता रविंद्र चौबे से सवाल किया गया तो उन्होंने इसका कोई भी उत्तर नहीं दिया. हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले ही कह चुके हैं कि सीमेंट की बढ़ रही कीमतों के लिए राज्य सरकार नहीं बल्कि केंद्र सरकार जिम्मेदार है. बघेल ने कहा था कि जहां तक सीमेंट के दामों की बात है तो वह हमारे हाथ में नहीं है, यह भारत सरकार के अधीन है.
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छत्तीसगढ़ का पहला सीमेंट कारखाना
छत्तीसगढ़ में चूना पत्थर की अधिकता होने के कारण सीमेंट उद्योग का पर्याप्त विकास हुआ है. छत्तीसगढ़ में पहला सीमेंट कारखाना साल 1964 में एसीसी (Associated cement company) के द्वारा दुर्ग के जामुल नामक स्थान पर लगाया गया था. हालांकि उस समय छत्तीसगढ़ राज्य नहीं बना था. छत्तीसगढ़ के उद्योगों में लौह इस्पात के बाद सीमेंट उद्योग का स्थान है. छत्तीसगढ़ देश का बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य है. यहां 9 सीमेंट कंपनियों के 14 प्लांट हैं. जिसमें अंबुजा की 2, श्रीसीमेंट की 2, लाफार्ज और अल्ट्राटेक की 2-2, इमामी और सेंचुरी सीमेंट की 1-1 फैक्ट्री शामिल है. केवल बलौदा बाजार भाटापारा जिले में ही सीमेंट के 9 प्लांट हैं.
छत्तीसगढ़ में सीमेंट उत्पादन और खपत का आंकड़ा
छत्तीसगढ़ में प्रति महीने लगभग 60 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा सीमेंट का उत्पादन किया जाता है. इनमें से 7 से 8 लाख टन सीमेंट की खपत राज्य भर में होती है. देश की कुल जरूरत का करीब 20 फीसदी सीमेंट का उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है. छत्तीसगढ़ से ही बिहार झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, और ओडिशा सहित कई राज्यों में सीमेंट की सप्लाई की जाती है.
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सीमेंट बनाने के लिए चूना पत्थर और कोयले का इस्तेमाल
छत्तीसगढ़ में सीमेंट में उपयोग किए जाने वाले चूना पत्थर की कई खदानें हैं. सीमेंट बनाने के लिए चूना पत्थर और क्ले के मिश्रण को एक भट्टी में उच्च तापमान पर जलाया जाता है. इस प्रक्रिया से क्लिंकर तैयार होता है. क्लिंकर को जिप्सम के साथ मिलाकर महीन पिसा जाता है. इस तरह जो अंतिम उत्पाद तैयार होता है, उसे साधारण पोर्टलैंड सीमेंट (सपोसी) कहा जाता है. जानकारी के मुताबिक सीमेंट तैयार कर बाहर भेजने पर कई तरह के टैक्स लगते हैं, लेकिन क्लिंकर पर कम टैक्स लगता है. इसी वजह से ज्यादातर कंपनियां यहां से अपने दूसरे प्लांटों को क्लिंकर सप्लाई करती है. सीमेंट उद्योग के लिए जितना जरूरी चूना है, उतना ही जरूरी कोयला भी है. 1 टन सीमेंट का उत्पादन करने के लिए लगभग ढाई सौ किलो ग्राम कोयले की आवश्यकता पड़ती है.
भारी होने की वजह से परिवहन पर होता है अधिक व्यय
सीमेंट अधिक भार के साथ-साथ कम मूल्य वाला उत्पाद है, इसलिए परिवहन व्यय अधिक होने के कारण सीमेंट उद्योग की स्थापना प्राथमिकता के तौर पर अधिक मांग वाले क्षेत्रों में ही की जाती है.