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हॉलमार्क ने बढ़ाई सर्राफा व्यापारियों की परेशानी - भारतीय मानक ब्यूरो

छत्तीसगढ़ में सर्राफा व्यापारी हॉलमार्किंग अनिवार्य (hallmarking mandatory) किए जाने का विरोध कर रहे हैं. सर्राफा व्यापारियों (bullion trader chhattisgarh) का कहना है कि सरकार मापदंड को सरल करें या फिर इस फैसले को वापस ले. प्रदेश में रायपुर और दुर्ग में फिलहाल हॉलमार्किंग (Hallmarking facility in Chhattisgarh) अनिवार्य की गई है.

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हॉलमार्क ने बढ़ाई परेशानी
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Published : Jul 13, 2021, 11:24 PM IST

रायपुर : केंद्र सरकार ने 16 जून से सोने के जेवरों पर हॉलमार्किंग (hallmarking) अनिवार्य कर दिया है. 14,18 और 22 कैरेट सोने के जेवर अब बगैर हॉलमार्क के नहीं बेचे जा सकते हैं. सरकार के इस फैसले का सर्राफा व्यापारी(bullion trader) विरोध कर रहे हैं. सर्राफा कारोबारी भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) के बनाए गए मापदंड को सरल करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार या तो मापदंड सरल करें या फिर इस फैसले को वापस लें, जिससे की वे आसानी से जेवर बेच पाए.

सर्राफा व्यापारियों की बढ़ी परेशानी

छत्तीसगढ़ में केवल रायपुर और दुर्ग जिले में ही हॉलमार्किंग की सुविधा (Hallmarking facility in Chhattisgarh) उपलब्ध है. राजधानी में 5 हॉलमार्किंग सेंटर और दुर्ग में 1 हॉलमार्किंग सेंटर बना हुआ है. इन सेंटर्स से सोने के जेवर पर हॉलमार्किंग किया जा रहा है. प्रदेश में इन दोनों जिलों में ही हॉलमार्किंग अनिवार्य की गई है. बाकी जगहों पर सर्राफा व्यापारी सोना बगैर हॉलमार्क के बेच सकते हैं.

gold hallmarking: बिना रजिस्ट्रेशन 15 जून के बाद व्यापार नहीं कर पाएंगे सराफा कारोबारी

पीयूष गोयल को लिखा पत्र

रायपुर सराफा एसोसिएशन का कहना है कि हॉलमार्किंग को अनिवार्य किए जाने का स्वागत जरूर करता है, लेकिन भारतीय मानक ब्यूरो और केंद्र सरकार के हालमार्किंग को लेकर बनाए गए मापदंड काफी कठिन और इसकी जटिल प्रक्रिया है. जिसे सरल बनाने या फिर उसे वापस लेने की मांग सराफा एसोसिएशन कर रहा है. इसके लिए रायपुर सराफा एसोसिएशन ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इसे वापस लेने की मांग की है.

Bullion traders upset by making hallmarking mandatory on gold jewellery  in raipur
हॉलमार्क

Bullion Market: 15 जून के बाद सोने पर hallmarking होगा जरूरी, सरकार ने जारी की नई तारीख

रायपुर और दुर्ग में हॉलमार्किंग अनिवार्य

पूरे छत्तीसगढ़ में लगभग 5500 सर्राफा व्यापारी हैं और पूरे छत्तीसगढ़ में हॉल मार्किंग सेंटर की बात की जाए तो 6 है. प्रदेश के दुर्ग और रायपुर में हॉलमार्किंग सेंटर होने के कारण दुर्ग और रायपुर में ही सोने के जेवर में हॉलमार्किंग जरूरी है. बाकी जिलों में हॉलमार्किंग सेंटर नहीं होने के कारण फिलहाल छूट दी गई है.

हॉलमार्किंग के नियम कठिन

हॉलमार्किंग के मापदंड के बारे में सराफा एसोसिएशन ने बताया कि हॉलमार्किंग नियमों के अंतर्गत एचयूआईडी के नियम में कई तरह की कठिनाई हैं. जिसके कारण सर्राफा कारोबारी परेशान हैं. हॉलमार्किंग सिस्टम में यूनिक एचयूआईडी प्रक्रिया बहुत ही ज्यादा कठिन है. इस प्रक्रिया के अनुसार सबसे पहले सर्राफा व्यापारी को पोर्टल में जानकारी देनी है. उसके बाद सूचना के आधार पर उसे हॉलमार्किंग सेंटर भेजा जाएगा. जिसके बाद हॉलमार्किंग सेंटर इसे स्वीकार करेगा या नहीं इस तरह की दिक्कतें सर्राफा कारोबारियों को आ रही है.

क्या होती है गोल्ड हॉलमार्किंग?

हॉलमार्क सोने की शुद्धता का पैमाना होता है. BIS यानि भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) अपने निशान (mark) से शुद्धता की गारंटी देता है. सोने के गहनों पर BIS हॉलमार्क ये प्रमाणित करता है कि, सोने के गहने, सिक्के या ईंट आदि तय मानकों के आधार पर तैयार की गई है. सरकार के गोल्ड हॉलमार्किंग के फैसले के बाद 256 जिलों में ज्वैलर्स केवल 14, 18 और 22 कैरेट के हॉलमार्क युक्त सोने के आभूषणों की ही बिक्री कर सकेंगे. हालांकि 20, 23 और 24 कैरेट के सोने पर भी हॉलमार्किंग की अनुमति है.

कैसे होती है हॉलमार्किंग ?

सोने पर हॉलमार्किंग से पता चलता है कि उस गहने या आभूषण को बनाने में इस्तेमाल की गई धातु BIS द्वारा निर्धारित मानकों और निर्देशों के मुताबिक हुआ है. BIS ज्वैलर्स को लाइसेंस देता है, जिसके बाद ज्वैलर्स BIS से मान्यता प्राप्त किसी भी तरह के आभूषणों पर हॉलमार्किंग सेंटर से हॉलमार्क करवा सकते हैं. आभूषणों का मूल्यांकन और परीक्षण सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हॉलमार्किंग केंद्रों पर ही किया जाता है. ये केंद्र प्रमाणित करते हैं कि गहनों में इस्तेमाल हुई हर धातु शुद्धता समेत हर गुणवत्ता के तय पैमानों पर खरी उतरती है.

कोई भी शख्स BIS की आधिकारिक वेबसाइट से मान्यता प्राप्त ज्वैलर्स के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है. यहां ज्वैलर्स के नाम, पते के अलावा BIS से मिले लाइसेंस की मान्यता की अवधि भी जान सकते हैं. BIS साल 2000 से गोल्ड हॉलमार्किंग की योजना चला रही है और फिलहाल देश में सिर्फ 40 फीसदी सोने के गहने ही हॉलमार्क युक्त हैं.

आप कैसे पहचानेंगे हॉलमार्क ?

हॉलमार्क आभूषणों की पहचान बहुत आसान होगी. हॉलमार्क युक्त ज्वैलरी पर अलग-अलग तरह के निशान होंगे. जिन्हें आप छूकर महसूस करने के साथ देख भी सकते हैं. किसी सोने के आभूषण पर BIS का लोगो, सोने की शुद्धता (22 कैरेट, 18 कैरेट आदि), हॉलमार्क सेंटर का लोगों के अलावा हॉलमार्किंग का साल और ज्वैलर्स का पहचान नंबर होगा.

रायपुर : केंद्र सरकार ने 16 जून से सोने के जेवरों पर हॉलमार्किंग (hallmarking) अनिवार्य कर दिया है. 14,18 और 22 कैरेट सोने के जेवर अब बगैर हॉलमार्क के नहीं बेचे जा सकते हैं. सरकार के इस फैसले का सर्राफा व्यापारी(bullion trader) विरोध कर रहे हैं. सर्राफा कारोबारी भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) के बनाए गए मापदंड को सरल करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार या तो मापदंड सरल करें या फिर इस फैसले को वापस लें, जिससे की वे आसानी से जेवर बेच पाए.

सर्राफा व्यापारियों की बढ़ी परेशानी

छत्तीसगढ़ में केवल रायपुर और दुर्ग जिले में ही हॉलमार्किंग की सुविधा (Hallmarking facility in Chhattisgarh) उपलब्ध है. राजधानी में 5 हॉलमार्किंग सेंटर और दुर्ग में 1 हॉलमार्किंग सेंटर बना हुआ है. इन सेंटर्स से सोने के जेवर पर हॉलमार्किंग किया जा रहा है. प्रदेश में इन दोनों जिलों में ही हॉलमार्किंग अनिवार्य की गई है. बाकी जगहों पर सर्राफा व्यापारी सोना बगैर हॉलमार्क के बेच सकते हैं.

gold hallmarking: बिना रजिस्ट्रेशन 15 जून के बाद व्यापार नहीं कर पाएंगे सराफा कारोबारी

पीयूष गोयल को लिखा पत्र

रायपुर सराफा एसोसिएशन का कहना है कि हॉलमार्किंग को अनिवार्य किए जाने का स्वागत जरूर करता है, लेकिन भारतीय मानक ब्यूरो और केंद्र सरकार के हालमार्किंग को लेकर बनाए गए मापदंड काफी कठिन और इसकी जटिल प्रक्रिया है. जिसे सरल बनाने या फिर उसे वापस लेने की मांग सराफा एसोसिएशन कर रहा है. इसके लिए रायपुर सराफा एसोसिएशन ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इसे वापस लेने की मांग की है.

Bullion traders upset by making hallmarking mandatory on gold jewellery  in raipur
हॉलमार्क

Bullion Market: 15 जून के बाद सोने पर hallmarking होगा जरूरी, सरकार ने जारी की नई तारीख

रायपुर और दुर्ग में हॉलमार्किंग अनिवार्य

पूरे छत्तीसगढ़ में लगभग 5500 सर्राफा व्यापारी हैं और पूरे छत्तीसगढ़ में हॉल मार्किंग सेंटर की बात की जाए तो 6 है. प्रदेश के दुर्ग और रायपुर में हॉलमार्किंग सेंटर होने के कारण दुर्ग और रायपुर में ही सोने के जेवर में हॉलमार्किंग जरूरी है. बाकी जिलों में हॉलमार्किंग सेंटर नहीं होने के कारण फिलहाल छूट दी गई है.

हॉलमार्किंग के नियम कठिन

हॉलमार्किंग के मापदंड के बारे में सराफा एसोसिएशन ने बताया कि हॉलमार्किंग नियमों के अंतर्गत एचयूआईडी के नियम में कई तरह की कठिनाई हैं. जिसके कारण सर्राफा कारोबारी परेशान हैं. हॉलमार्किंग सिस्टम में यूनिक एचयूआईडी प्रक्रिया बहुत ही ज्यादा कठिन है. इस प्रक्रिया के अनुसार सबसे पहले सर्राफा व्यापारी को पोर्टल में जानकारी देनी है. उसके बाद सूचना के आधार पर उसे हॉलमार्किंग सेंटर भेजा जाएगा. जिसके बाद हॉलमार्किंग सेंटर इसे स्वीकार करेगा या नहीं इस तरह की दिक्कतें सर्राफा कारोबारियों को आ रही है.

क्या होती है गोल्ड हॉलमार्किंग?

हॉलमार्क सोने की शुद्धता का पैमाना होता है. BIS यानि भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) अपने निशान (mark) से शुद्धता की गारंटी देता है. सोने के गहनों पर BIS हॉलमार्क ये प्रमाणित करता है कि, सोने के गहने, सिक्के या ईंट आदि तय मानकों के आधार पर तैयार की गई है. सरकार के गोल्ड हॉलमार्किंग के फैसले के बाद 256 जिलों में ज्वैलर्स केवल 14, 18 और 22 कैरेट के हॉलमार्क युक्त सोने के आभूषणों की ही बिक्री कर सकेंगे. हालांकि 20, 23 और 24 कैरेट के सोने पर भी हॉलमार्किंग की अनुमति है.

कैसे होती है हॉलमार्किंग ?

सोने पर हॉलमार्किंग से पता चलता है कि उस गहने या आभूषण को बनाने में इस्तेमाल की गई धातु BIS द्वारा निर्धारित मानकों और निर्देशों के मुताबिक हुआ है. BIS ज्वैलर्स को लाइसेंस देता है, जिसके बाद ज्वैलर्स BIS से मान्यता प्राप्त किसी भी तरह के आभूषणों पर हॉलमार्किंग सेंटर से हॉलमार्क करवा सकते हैं. आभूषणों का मूल्यांकन और परीक्षण सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हॉलमार्किंग केंद्रों पर ही किया जाता है. ये केंद्र प्रमाणित करते हैं कि गहनों में इस्तेमाल हुई हर धातु शुद्धता समेत हर गुणवत्ता के तय पैमानों पर खरी उतरती है.

कोई भी शख्स BIS की आधिकारिक वेबसाइट से मान्यता प्राप्त ज्वैलर्स के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है. यहां ज्वैलर्स के नाम, पते के अलावा BIS से मिले लाइसेंस की मान्यता की अवधि भी जान सकते हैं. BIS साल 2000 से गोल्ड हॉलमार्किंग की योजना चला रही है और फिलहाल देश में सिर्फ 40 फीसदी सोने के गहने ही हॉलमार्क युक्त हैं.

आप कैसे पहचानेंगे हॉलमार्क ?

हॉलमार्क आभूषणों की पहचान बहुत आसान होगी. हॉलमार्क युक्त ज्वैलरी पर अलग-अलग तरह के निशान होंगे. जिन्हें आप छूकर महसूस करने के साथ देख भी सकते हैं. किसी सोने के आभूषण पर BIS का लोगो, सोने की शुद्धता (22 कैरेट, 18 कैरेट आदि), हॉलमार्क सेंटर का लोगों के अलावा हॉलमार्किंग का साल और ज्वैलर्स का पहचान नंबर होगा.

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