रायपुर: राजधानी के कंकालीन मठ में विजयादशमी के अवसर पर अस्त्र शस्त्रों की पूजा अर्चना विधि विधान से की गई. पूजा अर्चना के पश्चात श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए अस्त्र शस्त्रों को सजाया गया था. भक्तों को अस्त्र शस्त्रों के दर्शन साल में एक बार विजयादशमी के दिन ही होता है. बाकी समय कंकालीन मठ के जिस कमरे में अस्त्र-शस्त्र रखे गए हैं, वह द्वार बंद कर दिए जाते हैं. साल में एक बार विजयादशमी के दिन खुलने वाले द्वार की प्रतीक्षा भक्तों को हमेशा रहती है. कोरोना काल में पिछले 2 सालों तक कंकालिन मठ का यह द्वार पूरी तरह से बंद था. Kankalin Math of Raipur
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साल में एक दिन माता के अस्त्र शस्त्रों की होती है पूजा: राजधानी के ब्राह्मण पारा स्थित कंकालीन मठ का द्वार साल में 1 दिन विजयादशमी के दिन ही खोला जाता है. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन माता कंकालीन और माता दुर्गा अस्त्र शस्त्रों के साथ विराजमान रहती है. माता के इस रूप को देखने के लिए भक्तों की भीड़ सुबह से लेकर रात 12 बजे तक रहती है. माता के अस्त्र शस्त्रों का दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु चित्रसेन सिंह ठाकुर ने बताया कि "साल में 364 दिन कंकाली माता मंदिर में कंकाली माता की पूजा होती है और साल में 1 दिन कंकालीन मठ में माता के अस्त्र शस्त्र के पूजन के पश्चात भक्तों के लिए द्वार खोल दिए जाते हैं."
मठ के प्रथम महंत के स्वप्न में आयी थी काली माता, तब से चली आ रही यह परंपरा: कंकालिन मठ के महंत हरभूषण गिरी गोस्वामी बताते हैं कि "यहां सैकड़ों साल पहले नागा साधुओं के अस्त्र शस्त्र हैं. जिसका अर्चना साल में एक बार विजयादशमी के दिन ही किया जाता है. अस्त्र शस्त्रों का दर्शन करने के लिए द्वार खुलने का इंतजार भक्त साल भर करते हैं. अस्त्र शस्त्रों का दर्शन पाने की लालसा में आज के दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है."