रायपुर: 1989 के आईपीएस ऑफिसर अशोक जुनेजा (IPS officer Ashok Juneja) को छत्तीसगढ़ का नया डीजीपी बनाया गया (New Dgp of chhattisgarh) है. अशोक जुनेजा वर्तमान डीजीपी डीएम अवस्थी का स्थान लेंगे. इससे पहले जुनेजा के पास नक्सल ऑपरेशन की कमान थी.
बताया जा रहा है कि डीएम अवस्थी (DM Awasthi) के काम काज से सीएम खुश नहीं थे. अभी कुछ दिनों पहले पुलिस अधिकारियों के साथ सीएम ने समीक्षा बैठक की थी. उस बैठक में सीएम ने कई मामलों में अपनी नाराजगी जाहिर की थी. सूत्रों के मुताबिक सीएम भूपेश बघेल की समीक्षा (CM Bhupesh Baghel review) बैठक के बाद बताया गया है कि वर्तमान डीजीपी डीएम अवस्थी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे थे. इसलिए राज्य की कानून व्यवस्था के हित में डीजीपी को बदलने का फैसला किया गया. सूत्रों के मुताबिक, चिटफंड के पीड़ितों के पैसा वापसी और एजेंटों के खिलाफ केस वापस लेना, राजनीतिक प्रकरणों की वापसी, निर्दोष आदिवासियों के खिलाफ दर्ज नक्सली मामलों की वापसी, पुलिस बल को साप्ताहिक अवकाश, ये कुछ ऐसे मुद्दे थे जिन पर वह काम नहीं कर पाए. इस वजह से डीएम अवस्थी को डीजीपी (DGP) के पद से हटाया गया है.
अचानक हटाए गए डीएम अवस्थी
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद से डीजीपी की जिम्मेदारी संभाल रहे डीएम अवस्थी आज शाम हटा दिए गए. उनकी जगह पर सीनियर आईपीएस अफसर अशोक जुनेजा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है. डीएम अवस्थी के इस तरह अचानक हटाए जाने को जानकार सरकार की नाराजगी से जोड़कर देख रहे हैं. हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गृह विभाग की जो समीक्षा बैठक ली उसमें पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर उन्होने नाराजगी व्यक्त की थी. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि, पुलिस विभाग के जिम्मेदार लोग अपने कामकाज को ठीक कर लें, वरना उन्हें, ठीक करना आता है, जिसके बाद जानकार कयास लगा ही रहे थे कि मुख्यमंत्री के गुस्से की गाज किस अधिकारी पर गिरने वाली है, तभी गुरुवार शाम अवस्थी को हटाने का बड़ा फैसला आ गया और उनकी जगह पर डीजीपी का दायित्व जुनेजा को सौंपा गया.
कौन है अशोक जुनेजा, क्या है इनका प्रोफाइल ?
अशोक जुनेजा 1989 बैच के आईपीएस अफसर हैं. वे रायगढ़ में एडिशनल एसपी और बिलासपुर में एसपी रहे हैं. उसके बाद दुर्ग और रायपुर में एसएसपी रहे हैं. फिर बिलासपुर और दुर्ग संभाग के आईजी भी रहे. जुनेजा करीब ढाई साल तक खुफिया चीफ भी रह चुके हैं. यदि जुनेजा की पुलिस विभाग में पोस्टिंग की बात की जाए तो वह विभाग से संबंधित लगभग सारी पोस्टिंग का दायित्व पूरा कर चुके हैं. उन्हें मंत्रालय में भी गृह सचिव की जिम्मेदारी मिली थी. इसके साथ ही वे खेल विभाग की भी बड़ी जिम्मेदारी निभा चुके हैं. उन्हें परिवहन विभाग में एडिशनल कमिश्नर भी बनाया जा चुका है. इसके साथ ही पुलिस मुख्यालय में खुफिया के साथ सशस्त्र बल, प्रशासन, ट्रेनिंग विभाग भी संभाल चुके हैं. इसके अलावा जुनेजा सेंट्रल में डेप्यूटेशन के तौर पर सेवा दे चुके हैं. दो साल तक वे दिल्ली में नारकोटिक्स विभाग में भी रहे. अशोक जुनेजा नक्सल ऑपरेशन की भी कमान संभाल चुके हैं. अभी वर्तमान में वह नक्सल ऑपरेशन के अधिकारी के तौर पर काम कर रहे थे.
कॉमनवेल्थ गेम्स में संभाला सुरक्षा का जिम्मा
छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी अशोक जुनेजा ने कॉमनवेल्थ गेम्स के सिक्युरिटी प्रमुख की जिम्मेदारी भी निभाई है. आईपीएस अफसर अशोक जुनेजा की सरकार से नजदीकियां और विश्वास अधिक है. चूंकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह जिला दुर्ग है और जुनेजा दुर्ग में एसएसपी और आईजी रह चुके हैं.
क्यों हटाए गए अवस्थी, कवर्धा विवाद या सीएम की नाराजगी
छत्तीसगढ़ में आईपीएस डीएम अवस्थी को डीजीपी के पद से हटाए जाने को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा है. सूत्रों की माने तो प्रदेश में बीते कुछ दिनों से धर्मांतरण का मुद्दा काफी गरमाया हुआ था. वह भी एक वजह हो सकती है. कुछ दिनों पहले ही सीएम बघेल ने सभी जिलों के एसपी और आईजी की बैठक ली थी. उस दौरान सीएम ने सख्त निर्देश दिए थे, कि प्रदेश में गांजे की एक पत्ती भी नहीं आनी चाहिए. बावजूद उसके लगातार गांजे का मामला भी प्रकाश में आ रहा है. इसके साथ ही सड़कों पर हो रही चाकूबाजी, जुआ-सट्टा का अवैध कारोबार, चिटफंड पर कार्रवाई में ढिलाई महसूस की जा रही थी. इन सभी मामलों को भी डीजीपी के खिलाफ मुख्यमंत्री की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है. यही वजह बताई जा रही है कि आईजी और एसपी की बैठक को सप्ताह भर भी नहीं हुआ था कि सीएम ने गृह विभाग की समीक्षा बैठक में पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर की थी.
अपराधिक मामलों का बढ़ना भी हो सकती है कप्तान को हटाने की बड़ी वजह
छत्तीसगढ़ में साल दर साल अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. जागरूकता अभियान समेत अनेक कार्यक्रम करने के बावजूद अपराध का ग्राफ कम होने का नाम नहीं ले रहा है. राज्य में 2019 की तुलना में 2020 में अपराध बढ़े हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल छत्तीसगढ़ में कुल 65,216 आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं. जो 2019 में दर्ज 61,256 की तुलना में करीब 3,960 अधिक है. वहीं 2018 में यह आंकड़ा 60,178 था. रिपोर्ट के अनुसार संख्या के लिहाज से पड़ोसी राज्यों की तुलना में यहां अपराध कम हुए हैं, लेकिन आबादी के अनुपात में यह आंकड़ा अधिक है, जो चिंता का विषय है.
बढ़ते नक्सली गतिविधियों से भी थी नाराजगी
देश में 8 राज्य ऐसे हैं, जो नक्सल प्रभावित राज्यों की सूची में गिने जाते हैं. उनमें से एक छत्तीसगढ़ का नाम भी शामिल है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार देश में नक्सल प्रभावित राज्यों में 2020 में नक्सल वारदात की कुल 533 घटनाएं हुई है. इनमें अकेले छत्तीसगढ़ में 296 मामले शामिल हैं. वहीं झारखंड में 133 और महाराष्ट्र में कुल 32 अपराध दर्ज किए गए हैं. नक्सली वारदातों में हत्या की यदि बात की जाए तो रिपोर्ट के मुताबिक 74 घटनाएं हुई है. इसमें 65 प्रकरण छत्तीसगढ़ में हुई, तो वहीं लूट के 41 प्रकरण में 39 छत्तीसगढ़ में हुए हैं.