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सरकारी अस्पताल में दवाईयों का टोटा, गरीब महंगी दवा खरीदने को मजबूर - Patients upset in Mahasamund Medical College

महासमुंद के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय में प्रशासन अब तक जरुरी दवाईयां उपलब्ध नहीं करा सका (Shortage of medicines in Mahasamund Government Hospital) है. जिसके कारण मरीजों को प्राइवेट जगहों से अधिक कीमत में दवाईयां खरीदनी पड़ रही है.

Shortage of medicines in Mahasamund Government Hospital
सरकारी अस्पताल में दवाईयों का टोटा
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Published : Jul 15, 2022, 2:57 PM IST

Updated : Jul 15, 2022, 4:48 PM IST

महासमुंद : जिले के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय (Government Medical College of Mahasamund) में प्रशासनिक लापरवाही के कारण सभी प्रकार की दवाईयां उपलब्ध नहीं हो पा रही (Shortage of medicines in Mahasamund Government Hospital)है. जिसके कारण मरीजों को बाहर के मेडिकल स्टोर पर पैसे खर्च कर दवा लेनी पड़ रही है. जिससे आर्थिक रुप से कमजोर परिवार परेशान हैं. जहां दूर-दूर से शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में आकर इलाज कराने वाले मरीज भटकने को मजबूर हैं.वहीं अस्पताल प्रबंधन इसे अपनी मजबूरी बता रहा है.

सरकारी अस्पताल में दवाईयों का टोटा, गरीब महंगी दवा खरीदने को मजबूर


कितनी है अस्पताल की व्यवस्था: महासमुंद जिले में 100 बिस्तर वाला जिला अस्पताल वर्ष 2006 में शुरु हुआ.लगभग डेढ़ साल पहले जिला अस्पताल को शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध चिकित्सालय महासमुंद कर दिया गया. बेड की संख्या 330 हो गयी. शासन के नियमानुसार अस्पताल में मरीजों को दवा मुफ्त में मिलती है और चिकित्सकों को वही दवा मरीज को लिखनी होती है ,जो अस्पताल में होती है. लेकिन अस्पताल में सभी प्रकार की दवा नही होने के कारण चिकित्सक बाहर की दवा लिख रहे हैं. जिससे आर्थिक रुप से कमजोर मरीजों को परेशानी के साथ आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

कितने मरीजों की होती है ओपीडी : शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में रोजाना 300 से 400 मरीज ओपोडी में रहते हैं.मरीज शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय ये सोचकर आते हैं कि उनका इलाज कम पैसों या मुफ्त में होगा. लेकिन यहां आकर दवाईयों खरीदने में ही उनकी जान पर बन आती है.डॉक्टर मरीजों को जो दवा लिखते हैं उनमें से अधिकतर अस्पताल के बाहर प्राइवेट मेडिकल स्टोर में मिलती (Patients upset in Mahasamund Medical College) हैं.

फार्मासिस्ट ने बताया स्टॉक : शासकीय चिकित्सा महा विद्यालय संबद्ध चिकित्सालय के फार्मासिस्ट पंकज साहू का कहना है कि ''अस्पताल में 154 किस्म की दवाएं होने की सूची शासन ने दी है. जिसमें जीवन रक्षक , बुखार , दर्द की दवाएं होती हैं.लेकिन वर्तमान में मात्र 60 किस्म की दवाएं ही हमारे पास उपलब्ध (No necessary medicines in Mahasamund Medical College) हैं.''

ये भी पढ़ें- मरीज को मिलने वाले खाने में शिकायत, संसदीय सचिव ने किया अस्पताल का निरीक्षण


क्या कहते हैं जिम्मेदार : इस पूरे समस्याओं पर अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर ओंकार कश्यप अस्पताल में जरूरी दवाएं नही होने की बात स्वीकारते हुए बाहर से दवाएं लेने की बात कह रहे हैं. गौरतलब है कि अस्पताल में दवाईयां नही होने के कारण ही आर्थिक रुप से कमजोर मरीज सही से इलाज नही करा पाता है. स्वास्थ्य विभाग अच्छा और सस्ता इलाज का दंभ भरती है. पर दवाईयां भरपूर मात्रा में नहीं होने के कारण शासकीय दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.

महासमुंद : जिले के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय (Government Medical College of Mahasamund) में प्रशासनिक लापरवाही के कारण सभी प्रकार की दवाईयां उपलब्ध नहीं हो पा रही (Shortage of medicines in Mahasamund Government Hospital)है. जिसके कारण मरीजों को बाहर के मेडिकल स्टोर पर पैसे खर्च कर दवा लेनी पड़ रही है. जिससे आर्थिक रुप से कमजोर परिवार परेशान हैं. जहां दूर-दूर से शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में आकर इलाज कराने वाले मरीज भटकने को मजबूर हैं.वहीं अस्पताल प्रबंधन इसे अपनी मजबूरी बता रहा है.

सरकारी अस्पताल में दवाईयों का टोटा, गरीब महंगी दवा खरीदने को मजबूर


कितनी है अस्पताल की व्यवस्था: महासमुंद जिले में 100 बिस्तर वाला जिला अस्पताल वर्ष 2006 में शुरु हुआ.लगभग डेढ़ साल पहले जिला अस्पताल को शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध चिकित्सालय महासमुंद कर दिया गया. बेड की संख्या 330 हो गयी. शासन के नियमानुसार अस्पताल में मरीजों को दवा मुफ्त में मिलती है और चिकित्सकों को वही दवा मरीज को लिखनी होती है ,जो अस्पताल में होती है. लेकिन अस्पताल में सभी प्रकार की दवा नही होने के कारण चिकित्सक बाहर की दवा लिख रहे हैं. जिससे आर्थिक रुप से कमजोर मरीजों को परेशानी के साथ आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

कितने मरीजों की होती है ओपीडी : शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में रोजाना 300 से 400 मरीज ओपोडी में रहते हैं.मरीज शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय ये सोचकर आते हैं कि उनका इलाज कम पैसों या मुफ्त में होगा. लेकिन यहां आकर दवाईयों खरीदने में ही उनकी जान पर बन आती है.डॉक्टर मरीजों को जो दवा लिखते हैं उनमें से अधिकतर अस्पताल के बाहर प्राइवेट मेडिकल स्टोर में मिलती (Patients upset in Mahasamund Medical College) हैं.

फार्मासिस्ट ने बताया स्टॉक : शासकीय चिकित्सा महा विद्यालय संबद्ध चिकित्सालय के फार्मासिस्ट पंकज साहू का कहना है कि ''अस्पताल में 154 किस्म की दवाएं होने की सूची शासन ने दी है. जिसमें जीवन रक्षक , बुखार , दर्द की दवाएं होती हैं.लेकिन वर्तमान में मात्र 60 किस्म की दवाएं ही हमारे पास उपलब्ध (No necessary medicines in Mahasamund Medical College) हैं.''

ये भी पढ़ें- मरीज को मिलने वाले खाने में शिकायत, संसदीय सचिव ने किया अस्पताल का निरीक्षण


क्या कहते हैं जिम्मेदार : इस पूरे समस्याओं पर अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर ओंकार कश्यप अस्पताल में जरूरी दवाएं नही होने की बात स्वीकारते हुए बाहर से दवाएं लेने की बात कह रहे हैं. गौरतलब है कि अस्पताल में दवाईयां नही होने के कारण ही आर्थिक रुप से कमजोर मरीज सही से इलाज नही करा पाता है. स्वास्थ्य विभाग अच्छा और सस्ता इलाज का दंभ भरती है. पर दवाईयां भरपूर मात्रा में नहीं होने के कारण शासकीय दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.

Last Updated : Jul 15, 2022, 4:48 PM IST
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