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केंद्र सरकार की 124 कोल ब्लॉक में करतला भी शामिल, उठने लगे विरोध के स्वर

कमर्शियल माइनिंग के तहत कोरबा का करतला कोल ब्लॉक नीलामी की सूची में शामिल हो गया है. जिसका विरोध भी शुरू हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि आदिवासियों की सभी जरूरतें जंगल से जुड़ी हुई हैं. यदि जंगल खत्म हुआ तो, उनकी संस्कृति खत्म हो जाएगी. इसलिए किसी भी हाल में कोल ब्लॉक को करतला में नहीं खुलने दिया जाएगा. पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने भी ग्रामीणों का साथ दिया है.

protest for Kartala coal block Korba
करतला कोल ब्लॉक का विरोध
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Published : Jun 19, 2022, 12:51 PM IST

Updated : Jun 19, 2022, 8:21 PM IST

कोरबा: देशभर में कोयला क्राइसिस के चर्चाओं के बीच केंद्र सरकार ने देशभर में 124 नई कोयला खदानों को शुरू करने की प्रक्रिया शुरू की है. देशभर के 124 कोल ब्लॉक को नीलामी के लिए अधिसूचित कर दिया गया है. इसके लिए विधिवत टेंडर आमंत्रित किया गया है. जिसमें कोरबा जिले का करतला कोल ब्लॉक भी शामिल है. करतला के 4 गांव में 21 वर्ग किलोमीटर के इलाके में कोयले का भंडार है. इसकी नीलामी की सूचना मिलते ही ग्रामीण इसके विरोध में उतर आए हैं. एक दिन पहले ही गांव गेराव में ग्रामीणों ने बैठक कर कोयला खदान का विरोध किया. यह भी कहा कि किसी भी हाल में वह गांव और जंगल की जमीन पर कोयला उत्खनन नहीं होने देंगे". (protest for Kartala coal block Korba )

करतला कोल ब्लॉक के 4 गांव में 1050 मिलियन टन कोयले का भंडार : कमर्शियल माइनिंग के तहत केंद्र सरकार ने देश के 124 कोल ब्लॉक की सूची नीलामी के लिए जारी की है. जिसमें छत्तीसगढ़ के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों के कोल ब्लॉक शामिल हैं. इसी सूची में करतला को भी शामिल किया गया है. जहां 21.3 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कोयले का उत्खनन होना प्रस्तावित है. जिससे टिमनभवना, बड़मार, कोटमेर और करतला गांव प्रभावित होंगे. करतला कोल ब्लॉक के कुल क्षेत्रफल का 40 प्रतिशत हिस्सा वन भूमि है. पहले किए गए सर्वे रिपोर्ट के अनुसार यहां 1050 मिलियन टन कोयले का भंडार है. (coal deposits in kartala)

करतला कोल ब्लॉक का विरोध

ननकी बोले राष्ट्रीय संपत्ति का दोहन जरूरी लेकिन अधिकारों का हनन मंजूर नहीं : कोरबा जिले के पांच विकास खंडों में सभी जगहों पर कम से कम एक कोयला खदान संचालित है. करतला ही एकमात्र ऐसा विकासखंड है. जहां अब तक कोयला खदान नहीं खुली है. ये क्षेत्र प्रदेश के दिग्गज आदिवासी नेता पूर्व गृह मंत्री व वर्तमान रामपुर विधायक ननकीराम कंवर का है. ननकीराम कंवर से जब करतला कोल ब्लॉक के बारे में सवाल पूछा गया तब उन्होंने कहा कि "राष्ट्रीय संपत्ति का दोहन जरूरी है. इसलिए कोयले का भंडारण जहां-जहां है. केंद्र सरकार इसका दोहन जरूर करेगी. पेड़ काटने के बाद इसके विकल्प पर भी काम होना चाहिए. ज्यादा से ज्यादा तादाद में पेड़ लगाए जाने चाहिए. यदि बिजली चाहिए तो कोयला भी जरूरी है. विकास तभी होगा जब बिजली आएगी. लेकिन जमीन अधिग्रहण के बाद यदि ग्रामीणों को नौकरी, पुनर्वास संबंधी कोई समस्या आती है, तो मैं उनके साथ खड़ा रहूंगा. ग्रामीणों ने बैठक की है. वह मेरे पास भी आए थे. लेकिन मैंने उन्हें बता दिया कि इस परियोजना का विरोध नहीं करूंगा. केंद्र सरकार की योजना के लिए 1, 2 गांव ज्यादा मायने नहीं रखते". (Nankiram Kanwar statement on Kartala coal block)

हसदेव बचाओ आंदोलन में कौन किस पाले में.. सियासत का किसे मिलेगा फायदा

करतला में हाथियों का निवास स्थान : करतला क्षेत्र के निवासी और आदिवासी नेता टिकेश्वर राठिया का कहना है कि "करतला में कोयला ब्लॉक की नीलामी की शुरुआत हुई है. ग्रामीणों को जबसे इसकी सूचना मिली है. विरोध शुरू हो गया है. 2 दिन पहले गांव में बैठक भी हुई थी. हम आदिवासी प्रकृति पूजक होते हैं. हमारी सभी जरूरतें जंगल से जुड़ी हुई हैं. यदि जंगल खत्म हुआ तो, आजीविका का भी सर्वनाश हो जाएगा. इसलिए हम किसी भी हाल में इस कोयला ब्लॉक को करतला में नहीं खुलने देंगे". करतला क्षेत्र के ही निवासी आकाश सक्सेना का कहना है कि "करतला के 4 गांव इस परियोजना में शामिल है. जिन गांव में कोयला उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहित होगी. उससे लगा हुआ वन क्षेत्र भी है. जहां हाथियों का आना जाना रहता है. हाथी काफी तादाद में करतला क्षेत्र में निवास करते हैं. कोयला उत्खनन शुरू हुआ तो वनों को नुकसान पहुंचेगा. अब तक जो प्रदूषण करतला में नहीं आया है. उसका प्रवेश शुरू होगा. ग्रामीण इसका लगातार विरोध कर रहे हैं. हम ग्रामीणों के साथ मिलकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे".

पहले भी सूची से 5 कोल ब्लॉक हटाए गए थे : कोरबा और सरगुजा की सीमा से लगे हुए हसदेव अरण्य क्षेत्र का मामला अभी गरमाया हुआ है. फिलहाल इसकी प्रक्रिया पर रोक जरूर लगी है, लेकिन यहां भी कोयले का उत्खनन शुरू होना है. हसदेव क्षेत्र में प्रस्तावित परसा कोल ब्लॉक को राज्य और केंद्र सरकार की सभी तरह की अनुमति मिल चुकी है. लेकिन करतला कोल ब्लॉक को फिलहाल सिर्फ नीलामी के लिए सूचीबद्ध किया गया है. किसी भी तरह की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. केंद्र सरकार ने कमर्शियल माइनिंग के तहत विभिन्न औद्योगिक घरों से निविदाएं आमंत्रित की हैं. यह निविदा इसी माह के अंत में खुलेंगी. दरअसल कमर्शियल माइनिंग के तहत ही पहले चरण में जब नीलामी के लिए कोल ब्लॉक की सूची जारी हुई थी. तब भी कोरबा की सीमा से लगे मोरगा साउथ मोरगा 2, मदनपुर नॉर्थ, श्यांग और फतेहपुर ईस्ट सूची में शामिल थे. जिसे लेकर भी विरोध हुआ था. जनप्रतिनिधियों ने पत्राचार किया था. तब केंद्र सरकार ने भारी विरोध के बाद इन 5 कोल ब्लॉक के नाम सूची से हटा दिए थे. ठीक इसी तरह अब करतला कोल ब्लॉक का भी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं.

कोरबा: देशभर में कोयला क्राइसिस के चर्चाओं के बीच केंद्र सरकार ने देशभर में 124 नई कोयला खदानों को शुरू करने की प्रक्रिया शुरू की है. देशभर के 124 कोल ब्लॉक को नीलामी के लिए अधिसूचित कर दिया गया है. इसके लिए विधिवत टेंडर आमंत्रित किया गया है. जिसमें कोरबा जिले का करतला कोल ब्लॉक भी शामिल है. करतला के 4 गांव में 21 वर्ग किलोमीटर के इलाके में कोयले का भंडार है. इसकी नीलामी की सूचना मिलते ही ग्रामीण इसके विरोध में उतर आए हैं. एक दिन पहले ही गांव गेराव में ग्रामीणों ने बैठक कर कोयला खदान का विरोध किया. यह भी कहा कि किसी भी हाल में वह गांव और जंगल की जमीन पर कोयला उत्खनन नहीं होने देंगे". (protest for Kartala coal block Korba )

करतला कोल ब्लॉक के 4 गांव में 1050 मिलियन टन कोयले का भंडार : कमर्शियल माइनिंग के तहत केंद्र सरकार ने देश के 124 कोल ब्लॉक की सूची नीलामी के लिए जारी की है. जिसमें छत्तीसगढ़ के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों के कोल ब्लॉक शामिल हैं. इसी सूची में करतला को भी शामिल किया गया है. जहां 21.3 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कोयले का उत्खनन होना प्रस्तावित है. जिससे टिमनभवना, बड़मार, कोटमेर और करतला गांव प्रभावित होंगे. करतला कोल ब्लॉक के कुल क्षेत्रफल का 40 प्रतिशत हिस्सा वन भूमि है. पहले किए गए सर्वे रिपोर्ट के अनुसार यहां 1050 मिलियन टन कोयले का भंडार है. (coal deposits in kartala)

करतला कोल ब्लॉक का विरोध

ननकी बोले राष्ट्रीय संपत्ति का दोहन जरूरी लेकिन अधिकारों का हनन मंजूर नहीं : कोरबा जिले के पांच विकास खंडों में सभी जगहों पर कम से कम एक कोयला खदान संचालित है. करतला ही एकमात्र ऐसा विकासखंड है. जहां अब तक कोयला खदान नहीं खुली है. ये क्षेत्र प्रदेश के दिग्गज आदिवासी नेता पूर्व गृह मंत्री व वर्तमान रामपुर विधायक ननकीराम कंवर का है. ननकीराम कंवर से जब करतला कोल ब्लॉक के बारे में सवाल पूछा गया तब उन्होंने कहा कि "राष्ट्रीय संपत्ति का दोहन जरूरी है. इसलिए कोयले का भंडारण जहां-जहां है. केंद्र सरकार इसका दोहन जरूर करेगी. पेड़ काटने के बाद इसके विकल्प पर भी काम होना चाहिए. ज्यादा से ज्यादा तादाद में पेड़ लगाए जाने चाहिए. यदि बिजली चाहिए तो कोयला भी जरूरी है. विकास तभी होगा जब बिजली आएगी. लेकिन जमीन अधिग्रहण के बाद यदि ग्रामीणों को नौकरी, पुनर्वास संबंधी कोई समस्या आती है, तो मैं उनके साथ खड़ा रहूंगा. ग्रामीणों ने बैठक की है. वह मेरे पास भी आए थे. लेकिन मैंने उन्हें बता दिया कि इस परियोजना का विरोध नहीं करूंगा. केंद्र सरकार की योजना के लिए 1, 2 गांव ज्यादा मायने नहीं रखते". (Nankiram Kanwar statement on Kartala coal block)

हसदेव बचाओ आंदोलन में कौन किस पाले में.. सियासत का किसे मिलेगा फायदा

करतला में हाथियों का निवास स्थान : करतला क्षेत्र के निवासी और आदिवासी नेता टिकेश्वर राठिया का कहना है कि "करतला में कोयला ब्लॉक की नीलामी की शुरुआत हुई है. ग्रामीणों को जबसे इसकी सूचना मिली है. विरोध शुरू हो गया है. 2 दिन पहले गांव में बैठक भी हुई थी. हम आदिवासी प्रकृति पूजक होते हैं. हमारी सभी जरूरतें जंगल से जुड़ी हुई हैं. यदि जंगल खत्म हुआ तो, आजीविका का भी सर्वनाश हो जाएगा. इसलिए हम किसी भी हाल में इस कोयला ब्लॉक को करतला में नहीं खुलने देंगे". करतला क्षेत्र के ही निवासी आकाश सक्सेना का कहना है कि "करतला के 4 गांव इस परियोजना में शामिल है. जिन गांव में कोयला उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहित होगी. उससे लगा हुआ वन क्षेत्र भी है. जहां हाथियों का आना जाना रहता है. हाथी काफी तादाद में करतला क्षेत्र में निवास करते हैं. कोयला उत्खनन शुरू हुआ तो वनों को नुकसान पहुंचेगा. अब तक जो प्रदूषण करतला में नहीं आया है. उसका प्रवेश शुरू होगा. ग्रामीण इसका लगातार विरोध कर रहे हैं. हम ग्रामीणों के साथ मिलकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे".

पहले भी सूची से 5 कोल ब्लॉक हटाए गए थे : कोरबा और सरगुजा की सीमा से लगे हुए हसदेव अरण्य क्षेत्र का मामला अभी गरमाया हुआ है. फिलहाल इसकी प्रक्रिया पर रोक जरूर लगी है, लेकिन यहां भी कोयले का उत्खनन शुरू होना है. हसदेव क्षेत्र में प्रस्तावित परसा कोल ब्लॉक को राज्य और केंद्र सरकार की सभी तरह की अनुमति मिल चुकी है. लेकिन करतला कोल ब्लॉक को फिलहाल सिर्फ नीलामी के लिए सूचीबद्ध किया गया है. किसी भी तरह की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. केंद्र सरकार ने कमर्शियल माइनिंग के तहत विभिन्न औद्योगिक घरों से निविदाएं आमंत्रित की हैं. यह निविदा इसी माह के अंत में खुलेंगी. दरअसल कमर्शियल माइनिंग के तहत ही पहले चरण में जब नीलामी के लिए कोल ब्लॉक की सूची जारी हुई थी. तब भी कोरबा की सीमा से लगे मोरगा साउथ मोरगा 2, मदनपुर नॉर्थ, श्यांग और फतेहपुर ईस्ट सूची में शामिल थे. जिसे लेकर भी विरोध हुआ था. जनप्रतिनिधियों ने पत्राचार किया था. तब केंद्र सरकार ने भारी विरोध के बाद इन 5 कोल ब्लॉक के नाम सूची से हटा दिए थे. ठीक इसी तरह अब करतला कोल ब्लॉक का भी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं.

Last Updated : Jun 19, 2022, 8:21 PM IST
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