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कोल इंडिया बंद पड़ी खदानों को कर रहा है शुरु, इधर कोरबा में चालू खदान को बंद करने की तैयारी

कोयला संकट दूर करने कोल इंडिया लिमिटेड (Coal india limited ) ने बंद पड़ी खदानों से एक बार फिर कोयला निकालने की तैयारी की है. जिससे देश में कोयले की आपूर्ति होगी. लेकिन कोरबा में एसईसीएल प्रबंधन एक चालू खदान को बंद करने में तुला है.

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Published : May 13, 2022, 12:25 PM IST

Updated : May 13, 2022, 3:12 PM IST

Preparations for closure of Korba Surakchar mine
कोरबा सुराकछार खदान को बंद करने की तैयारी

कोरबा : कोल इंडिया लिमिटेड (Coal india limited ) देशभर में बंद पड़ी 20 अंडरग्राउंड कोल माइन्स को चालू करने की तैयारी कर रहा है. एसईसीएल ने छत्तीसगढ़ में ऐसी 4 खदानों को शुरू करने के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है. ट्रेड यूनियन के कर्मचारी नेताओं के मुताबिक इसके ठीक विपरीत कोरबा जिले में मौजूद सुराकछार कोयला खदान को अधिकारी बंद कर देना चाहते हैं. इसके लिए ट्रेड यूनियन की बैठक भी बुलाई जा चुकी है. मजदूर नेता इस दोहरे रवैये का विरोध कर रहे हैं. मजदूर नेता कहते हैं कि जब देश में कोयला क्राइसिस की बात हो रही है तब चालू खदान को बंद करना ठीक नहीं है. मजदूरों का रोजगार प्रभावित होगा. कोयले का उत्पादन भी घटेगा.

3000 लोगों के रोजगार पर असर : सुराकछार कोयला खदान (Korba Surakchar coal mine ) में एसईसीएल के नियमित 350 मजदूर काम कर रहे हैं. जिन पर अब तबादले की तलवार लटक रही है. कर्मचारी नेता रंजय सिंह के मुताबिक ''खदान से ट्रांसपोर्ट, होटल का व्यवसाय करने वाले, राशन दुकान वाले सहित लगभग 3000 लोगों की आजीविका अप्रत्यक्ष तौर पर खदान पर आश्रित है. खदान बंद हुई तो सभी मुश्किल में पड़ेंगे. इसके अलावा यहां काम करने वाले अधिकतर मजदूरों की उम्र 50 वर्ष से अधिक है. प्रबंधन का मानना है कि इसके कारण भी प्रोडक्टिविटी पर फर्क पड़ रहा है. अब यह सभी मजदूर उम्र के इस पड़ाव पर प्रबंधन की बेरुखी से आहत भी हैं.''

बंद पड़ी खदानों को शुरू करने के लिए टेंडर : कोल संकट से निपटने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड(CIL)ने देश भर की 20 बंद बड़ी अंडरग्राउंड माइन्स को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है. जिसमें छत्तीसगढ़ की 4 खदानें भी शामिल हैं. यह सभी एसईसीएल के चिरमिरी, भटगांव और जोहिला क्षेत्र में है. बरतुंगा, अंजना हिल, कल्याणी और बिरसिंहपुर खदानों को शुरू किए जाने की तैयारी चल रही है. एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी डॉ सनीश चंद्र का कहना है कि ''इन चारों से 31.44 मिलियन टन कोयला उत्खनन की उम्मीद है. इतने कोयले से देश के लिए 15 दिन की बिजली का इंतजाम किया जा सकता है. कोयला मंत्रालय के निर्देश पर एमडीओ मोड पर रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर 4 अंडरग्राउंड माइन्स के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है. जहां उत्खनन का काम निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा. चारों खदानों से उच्च क्वालिटी का नॉन कोकिंग कोयला निकलने की उम्मीद है. हालांकि इन खदानों में 6 से 12 साल पहले ही काम बंद कर दिया गया था.''

क्यों हो रही है खदान बंद : ट्रेड यूनियन एटक के राष्ट्रीय सचिव दीपेश मिश्रा ने बताया कि ''प्रबंधन घाटे की माइंस को बंद कर रहा है. अधिकारी शुरू से ही इसी टारगेट को पूरा करना चाहते हैं. हाल ही में सुराकछार के 3 और 4 नंबर खदानों को बंद करने के लिए तैयारी को लगभग पूरा कर लिया है. प्रबंधन का कहना है कि एनटीपीसी के साथ में हमारा राखड़ सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट था. एनटीपीसी ने राख देना बंद कर दिया है.अंडरग्राउंड माइन्स में खुदाई के बाद जो गड्ढा बचता है, उसमें राख को भरकर गड्ढे को रिस्टोर किया जाता है. अब यह प्रक्रिया बंद हो गई है. राख नहीं मिलने की वजह से प्रबंधन को खदान बंद करने का एक बहाना मिल गया है. बिना रीस्टोरिंग के खदान से कोयला नहीं निकाला जा सकता.''

कोरबा में सुराकछार खदान को बंद करने की तैयारी

अंडर ग्राउंड खदानें घाटे का सौदा : एसईसीएल प्रबंधन के लिए अंडरग्राउंड माइन्स घाटे का सौदा साबित होती रही है. एसईसीएल की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार प्रबंधन की ओर से चरणबद्ध तरीके से अंडर ग्राउंड खदान को बंद करने की योजना बनाई जा रही है. कोरबा एरिया के अधीन ना सिर्फ सुराकछार बल्कि सिंघाली, बगदेवा, बलगी और रजगामार जैसी अंडर ग्राउंड खदानें संचालित हैं. लेकिन इनमें से कोई भी खदान फायदे में नहीं है. प्रबंधन की मानें तो अंडरग्राउंड खदान के कारण ही वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोरबा एरिया का घाटा 250 करोड़ रुपए था. जबकि आगे चलकर यह घाटा बढ़कर 400 करोड़ रुपए हो गया है. अधिकारी इस घाटे को कम करने के कारण भी अंडरग्राउंड खदानों को बंद करना चाहते हैं.

कोयला चोरी रोकना बड़ी चुनौती : कुछ दिन पहले ही सुराकछार खदान के अधिकारियों ने श्रमिक संगठनों की बैठक बुलाई थी. जिसमें सभी कोयले की चोरी को लेकर चिंतित थे. किसी भी अंडरग्राउंड माइन्स से कोयला उत्खनन करके जमीन के नीचे से इसे सतह पर पर भेजा जाता है. सतह पर आने के बाद प्रतिदिन सैकड़ों टन कोयले की चोरी होती है. जबकि उत्पादन बमुश्किल 200 से 300 टन हो रहा है. इतनी ही तादाद में कोयले की चोरी हो रही है. राज्य से लेकर केंद्र स्तर की सुरक्षा एजेंसियां कोयला चोरी को रोकने में नाकाम हैं.

Preparations for closure of Korba Surakachar mine
सुराकछार खदान को बंद करने की तैयारी

सुराकछार माइन्स की कब हुई शुरुआत : सुराकछार अंडरग्राउंड कोल माइन्स एसईसीएल के अधीन संचालित माइन है. इसका संचालन 1963-64 में शुरू हुआ था. यहां से 0.21 मिलीयन टन कोयले का उत्पादन सालाना होता है. जिसका कुल फैलाव 1045.86 हेक्टेयर में है. 6 दशक से भी अधिक समय से सुराकछार अंडरग्राउंड कोल माइंस का संचालन एसईसीएल कर रहा है. लेकिन अब फीलिंग, रीस्टोरिंग और कोल की चोरी के कारण ये खदान घाटे में चल रही है. इसलिए प्रबंधन ने सुराकछार खदान में ताला लगाने की तैयारी की है.

कोरबा : कोल इंडिया लिमिटेड (Coal india limited ) देशभर में बंद पड़ी 20 अंडरग्राउंड कोल माइन्स को चालू करने की तैयारी कर रहा है. एसईसीएल ने छत्तीसगढ़ में ऐसी 4 खदानों को शुरू करने के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है. ट्रेड यूनियन के कर्मचारी नेताओं के मुताबिक इसके ठीक विपरीत कोरबा जिले में मौजूद सुराकछार कोयला खदान को अधिकारी बंद कर देना चाहते हैं. इसके लिए ट्रेड यूनियन की बैठक भी बुलाई जा चुकी है. मजदूर नेता इस दोहरे रवैये का विरोध कर रहे हैं. मजदूर नेता कहते हैं कि जब देश में कोयला क्राइसिस की बात हो रही है तब चालू खदान को बंद करना ठीक नहीं है. मजदूरों का रोजगार प्रभावित होगा. कोयले का उत्पादन भी घटेगा.

3000 लोगों के रोजगार पर असर : सुराकछार कोयला खदान (Korba Surakchar coal mine ) में एसईसीएल के नियमित 350 मजदूर काम कर रहे हैं. जिन पर अब तबादले की तलवार लटक रही है. कर्मचारी नेता रंजय सिंह के मुताबिक ''खदान से ट्रांसपोर्ट, होटल का व्यवसाय करने वाले, राशन दुकान वाले सहित लगभग 3000 लोगों की आजीविका अप्रत्यक्ष तौर पर खदान पर आश्रित है. खदान बंद हुई तो सभी मुश्किल में पड़ेंगे. इसके अलावा यहां काम करने वाले अधिकतर मजदूरों की उम्र 50 वर्ष से अधिक है. प्रबंधन का मानना है कि इसके कारण भी प्रोडक्टिविटी पर फर्क पड़ रहा है. अब यह सभी मजदूर उम्र के इस पड़ाव पर प्रबंधन की बेरुखी से आहत भी हैं.''

बंद पड़ी खदानों को शुरू करने के लिए टेंडर : कोल संकट से निपटने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड(CIL)ने देश भर की 20 बंद बड़ी अंडरग्राउंड माइन्स को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है. जिसमें छत्तीसगढ़ की 4 खदानें भी शामिल हैं. यह सभी एसईसीएल के चिरमिरी, भटगांव और जोहिला क्षेत्र में है. बरतुंगा, अंजना हिल, कल्याणी और बिरसिंहपुर खदानों को शुरू किए जाने की तैयारी चल रही है. एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी डॉ सनीश चंद्र का कहना है कि ''इन चारों से 31.44 मिलियन टन कोयला उत्खनन की उम्मीद है. इतने कोयले से देश के लिए 15 दिन की बिजली का इंतजाम किया जा सकता है. कोयला मंत्रालय के निर्देश पर एमडीओ मोड पर रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर 4 अंडरग्राउंड माइन्स के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है. जहां उत्खनन का काम निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा. चारों खदानों से उच्च क्वालिटी का नॉन कोकिंग कोयला निकलने की उम्मीद है. हालांकि इन खदानों में 6 से 12 साल पहले ही काम बंद कर दिया गया था.''

क्यों हो रही है खदान बंद : ट्रेड यूनियन एटक के राष्ट्रीय सचिव दीपेश मिश्रा ने बताया कि ''प्रबंधन घाटे की माइंस को बंद कर रहा है. अधिकारी शुरू से ही इसी टारगेट को पूरा करना चाहते हैं. हाल ही में सुराकछार के 3 और 4 नंबर खदानों को बंद करने के लिए तैयारी को लगभग पूरा कर लिया है. प्रबंधन का कहना है कि एनटीपीसी के साथ में हमारा राखड़ सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट था. एनटीपीसी ने राख देना बंद कर दिया है.अंडरग्राउंड माइन्स में खुदाई के बाद जो गड्ढा बचता है, उसमें राख को भरकर गड्ढे को रिस्टोर किया जाता है. अब यह प्रक्रिया बंद हो गई है. राख नहीं मिलने की वजह से प्रबंधन को खदान बंद करने का एक बहाना मिल गया है. बिना रीस्टोरिंग के खदान से कोयला नहीं निकाला जा सकता.''

कोरबा में सुराकछार खदान को बंद करने की तैयारी

अंडर ग्राउंड खदानें घाटे का सौदा : एसईसीएल प्रबंधन के लिए अंडरग्राउंड माइन्स घाटे का सौदा साबित होती रही है. एसईसीएल की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार प्रबंधन की ओर से चरणबद्ध तरीके से अंडर ग्राउंड खदान को बंद करने की योजना बनाई जा रही है. कोरबा एरिया के अधीन ना सिर्फ सुराकछार बल्कि सिंघाली, बगदेवा, बलगी और रजगामार जैसी अंडर ग्राउंड खदानें संचालित हैं. लेकिन इनमें से कोई भी खदान फायदे में नहीं है. प्रबंधन की मानें तो अंडरग्राउंड खदान के कारण ही वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोरबा एरिया का घाटा 250 करोड़ रुपए था. जबकि आगे चलकर यह घाटा बढ़कर 400 करोड़ रुपए हो गया है. अधिकारी इस घाटे को कम करने के कारण भी अंडरग्राउंड खदानों को बंद करना चाहते हैं.

कोयला चोरी रोकना बड़ी चुनौती : कुछ दिन पहले ही सुराकछार खदान के अधिकारियों ने श्रमिक संगठनों की बैठक बुलाई थी. जिसमें सभी कोयले की चोरी को लेकर चिंतित थे. किसी भी अंडरग्राउंड माइन्स से कोयला उत्खनन करके जमीन के नीचे से इसे सतह पर पर भेजा जाता है. सतह पर आने के बाद प्रतिदिन सैकड़ों टन कोयले की चोरी होती है. जबकि उत्पादन बमुश्किल 200 से 300 टन हो रहा है. इतनी ही तादाद में कोयले की चोरी हो रही है. राज्य से लेकर केंद्र स्तर की सुरक्षा एजेंसियां कोयला चोरी को रोकने में नाकाम हैं.

Preparations for closure of Korba Surakachar mine
सुराकछार खदान को बंद करने की तैयारी

सुराकछार माइन्स की कब हुई शुरुआत : सुराकछार अंडरग्राउंड कोल माइन्स एसईसीएल के अधीन संचालित माइन है. इसका संचालन 1963-64 में शुरू हुआ था. यहां से 0.21 मिलीयन टन कोयले का उत्पादन सालाना होता है. जिसका कुल फैलाव 1045.86 हेक्टेयर में है. 6 दशक से भी अधिक समय से सुराकछार अंडरग्राउंड कोल माइंस का संचालन एसईसीएल कर रहा है. लेकिन अब फीलिंग, रीस्टोरिंग और कोल की चोरी के कारण ये खदान घाटे में चल रही है. इसलिए प्रबंधन ने सुराकछार खदान में ताला लगाने की तैयारी की है.

Last Updated : May 13, 2022, 3:12 PM IST
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