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कोरबा में भू विस्थापित कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंचे, पुनर्वास की मांग - कुसमुंडा कोयला खदान

Land displaced protest in korba सोमवार को एसईसीएल की कोयला खदानों प्रभावित भू विस्थापित कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंचे थे. भारी बारिश के बीच वह सड़क पर बैठे रहे और कलेक्टर से मिलने की मांग पर अड़े रहे. एसईसीएल, विस्थापितों और प्रशासन की मौजूदगी में त्रिपक्षीय वार्ता के लिए तिथि निर्धारित कर दी गई है. विस्थापितों को कलेक्टर से मुलाकात का समय भी दिया गया है.

Land displaced protest in korba
भू विस्थापित कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंचे
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Published : Oct 17, 2022, 9:44 PM IST

कोरबा: सोमवार को एसईसीएल की कोयला खदानों से प्रभावित भू विस्थापित कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंचे थे. बड़ी तादाद में मुख्यालय पहुंचे विस्थापितों को कलेक्ट्रेट से लगभग 500 मीटर की दूरी पर रोकने की तैयारी थी. कोसाबड़ी चौक में रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्था कर बैरिकेड लगा दिए थे. जिससे विस्थापित मुख्य सड़क मार्ग पर ही धरना देकर बैठ गए. भारी बारिश के बीच वह सड़क पर बैठे रहे और कलेक्टर से मिलने की मांग पर अड़े रहे. Land displaced protest in korba

30 साल पुरानी है विस्थापितों की मांग: विस्थापितों का आंदोलन छत्तीसगढ़ किसान सभा की अगुवाई में किया जा रहा था. जिन्होंने 20 सूत्रीय ज्ञापन प्रशासन को सौंपा है. पहले भी इस तरह का ज्ञापन सौंपा गया था.

एसईसीएल और प्रशासन की मिलीभगत: किसान सभा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रशांत झा ने बताया कि "एसईसीएल की बड़ी परियोजनाएं, जमीन के बिना संभव नहीं हो सकती. एसईसीएल ने किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया और कोयला खदानों को खोला है. लेकिन विडंबना यह है कि अधिग्रहण के 30 साल बाद भी किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिला, ना ही नौकरी मिला और ना पुनर्वास ही हुआ. जमीन अधिग्रहण में प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. जब भी हम एसईसीएल के खिलाफ आंदोलन करते हैं. प्रशासन बीच में आकर खड़ा हो जाता है. इसलिए हम मानते हैं कि प्रशासन हमें हमारा हक दिलाने में पूरी तरह से फेल रहा है. जिसकी वजह से आज हमें यहां आना पड़ा है. जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी हम यहां बैठे रहेंगे."

यह भी पढ़ें: कोरबा के कटघोरा में उठाईगिरी, दिनदहाड़े 5 लाख पार

स्कूल बसों को भी कराया बंद: विस्थापितों ने यह भी बताया कि "कुसमुंडा कोयला खदान के महाप्रबंधक कार्यालय के सामने वह पिछले 300 से भी अधिक दिनों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं. यहां 40 गांव से प्रभावित किसान, जिनकी जमीन एसईसीएल ने कोयला खदानों के लिए अधिग्रहित की है, वह धरने पर बैठे हुए हैं. बावजूद इसके मांगे पूरी नहीं की जा रही हैं. हाल ही में विस्थापितों के बच्चे जिन बसों के जरिए स्कूल जाते थे, उन स्कूल बसों को भी बंद कर दिया गया है. जिसके कारण बच्चों के भविष्य से भी खिलवाड़ हो रहा है.

कलेक्टर से मुलाकात और त्रिपक्षीय वार्ता के बाद आंदोलन स्थगित: कोसाबाड़ी चौक में कई थानों के टीआई और स्थानीय प्रशासन पुलिस बल के साथ तैनात थे. मौके पर मौजूद कोरबा एसडीएम सीमा पात्रे ने कहा कि "एसईसीएल, विस्थापितों और प्रशासन की मौजूदगी में त्रिपक्षीय वार्ता के लिए तिथि निर्धारित कर दी गई है. विस्थापितों को कलेक्टर से मुलाकात का समय भी दिया गया है. रही बात स्कूल बस को बंद कराने या छोटी मोटी मांग की, तो उसके लिए तत्काल प्रयास किए जा रहे हैं. बाकी नौकरी, पुनर्वास और अन्य मामलों के लिए त्रिपक्षीय वार्ता निर्धारित की गई है. इस बात पर आंदोलन समाप्त हो गया है."

कोरबा: सोमवार को एसईसीएल की कोयला खदानों से प्रभावित भू विस्थापित कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंचे थे. बड़ी तादाद में मुख्यालय पहुंचे विस्थापितों को कलेक्ट्रेट से लगभग 500 मीटर की दूरी पर रोकने की तैयारी थी. कोसाबड़ी चौक में रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्था कर बैरिकेड लगा दिए थे. जिससे विस्थापित मुख्य सड़क मार्ग पर ही धरना देकर बैठ गए. भारी बारिश के बीच वह सड़क पर बैठे रहे और कलेक्टर से मिलने की मांग पर अड़े रहे. Land displaced protest in korba

30 साल पुरानी है विस्थापितों की मांग: विस्थापितों का आंदोलन छत्तीसगढ़ किसान सभा की अगुवाई में किया जा रहा था. जिन्होंने 20 सूत्रीय ज्ञापन प्रशासन को सौंपा है. पहले भी इस तरह का ज्ञापन सौंपा गया था.

एसईसीएल और प्रशासन की मिलीभगत: किसान सभा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रशांत झा ने बताया कि "एसईसीएल की बड़ी परियोजनाएं, जमीन के बिना संभव नहीं हो सकती. एसईसीएल ने किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया और कोयला खदानों को खोला है. लेकिन विडंबना यह है कि अधिग्रहण के 30 साल बाद भी किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिला, ना ही नौकरी मिला और ना पुनर्वास ही हुआ. जमीन अधिग्रहण में प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. जब भी हम एसईसीएल के खिलाफ आंदोलन करते हैं. प्रशासन बीच में आकर खड़ा हो जाता है. इसलिए हम मानते हैं कि प्रशासन हमें हमारा हक दिलाने में पूरी तरह से फेल रहा है. जिसकी वजह से आज हमें यहां आना पड़ा है. जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी हम यहां बैठे रहेंगे."

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स्कूल बसों को भी कराया बंद: विस्थापितों ने यह भी बताया कि "कुसमुंडा कोयला खदान के महाप्रबंधक कार्यालय के सामने वह पिछले 300 से भी अधिक दिनों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं. यहां 40 गांव से प्रभावित किसान, जिनकी जमीन एसईसीएल ने कोयला खदानों के लिए अधिग्रहित की है, वह धरने पर बैठे हुए हैं. बावजूद इसके मांगे पूरी नहीं की जा रही हैं. हाल ही में विस्थापितों के बच्चे जिन बसों के जरिए स्कूल जाते थे, उन स्कूल बसों को भी बंद कर दिया गया है. जिसके कारण बच्चों के भविष्य से भी खिलवाड़ हो रहा है.

कलेक्टर से मुलाकात और त्रिपक्षीय वार्ता के बाद आंदोलन स्थगित: कोसाबाड़ी चौक में कई थानों के टीआई और स्थानीय प्रशासन पुलिस बल के साथ तैनात थे. मौके पर मौजूद कोरबा एसडीएम सीमा पात्रे ने कहा कि "एसईसीएल, विस्थापितों और प्रशासन की मौजूदगी में त्रिपक्षीय वार्ता के लिए तिथि निर्धारित कर दी गई है. विस्थापितों को कलेक्टर से मुलाकात का समय भी दिया गया है. रही बात स्कूल बस को बंद कराने या छोटी मोटी मांग की, तो उसके लिए तत्काल प्रयास किए जा रहे हैं. बाकी नौकरी, पुनर्वास और अन्य मामलों के लिए त्रिपक्षीय वार्ता निर्धारित की गई है. इस बात पर आंदोलन समाप्त हो गया है."

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