बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के कोरबा (उरगा) से धरमजयगढ़ तक रेलवे लाईन (Korba-Dharamjaygarh rail line ) बिछाए जाने को लेकर मंगलवार को SECR और एसईसीएल के बीच कन्सेशन एग्रीमेन्ट पर हस्ताक्षर किए गए. रेल कॉरीडोर परियोजना छत्तीसगढ़ ईस्ट रेलवे लिमिटेड के द्वितीय चरण के तहत कोरबा के उरगा से धरमजयगढ़ तक 62.05 किलोमीटर की नई रेलवे लाईन का निर्माण किया जाएगा. इस परियोजना के पूर्ण होने से छत्तीसगढ़ के सूदूर अंचलों में यातायात और माल ढुलाई को बल मिलेगा.इस परियोजना के लिए पहले ही केंद्र से हरी झंडी मिल चुकी है. साथ ही 62.05 किलोमीटर की लंबी रेललाइन के लिए सर्वे का काम भी हो चुका है.इस रेल मार्ग से जहां कोल ढुलाई का काम तेजी से होगा वहीं दूसरी तरफ यात्रियों को भी लंबी दूरी बस या निजी वाहनों से पूरी नहीं करनी होगी.
कैसा है रेलवे का प्लान ?
छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा (उरगा) से धरमजयगढ़ तक रेलवे लाईन बिछाए जाने के लिए मंगलवार को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे मुख्यालय, बिलासपुर में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे एवं एसईसीएल के छत्तीसगढ़ ईस्ट रेलवे लिमिटेड (सीईआरएल) के मध्य कन्सेशन एग्रीमेन्ट पर साइन हुए. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे तथा एसईसीएल की सहायक कंपनी छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल लिमिटेड के अन्य अधिकारियों के मध्य एमओयू हुआ. इस एग्रीमेन्ट के बाद कोरबा (उरगा) से धरमजयगढ़ तक लगभग 62.05 किलोमीटर की नयी रेलवे लाईन के काम में तेजी आएगी.इस एग्रीमेन्ट के जरिए छत्तीसगढ़ ईस्ट रेलवे लिमिटेड लगभग 30 साल तक ढुलाई राजस्व भारतीय रेल के साथ शेयर करेगी. जिसके एवज में रेल व्यवस्था का संचालन, रख-रखाव और निर्माण उपलब्ध कराया जाएगा. छत्तीसगढ़ ईस्ट रेलवे लिमिटेड कम्पनी को ’स्पेशल पर्पस व्हीकल’ (SPV) मॉडल पर विकसित किया गया है. इसमें एसईसीएल के साथ-साथ ईरकॉन इन्टरनेशनल लिमिटेड और छत्तीसगढ़ शासन के छत्तीसगढ़ स्टेट इन्डस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड की सहभागिता है.
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कब पूरी होगी परियोजना ?
लगभग 1700 करोड़ रूपये की संभावित लागत से विकसित की जा रही ईस्ट रेल कॉरीडोर परियोजना मार्च 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है.छत्तीसगढ़ के सूदूर अंचलों में यातायात और माल ढुलाई के लिहाज से यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण है. इस परियोजना से जुड़े भूमि अधिग्रहण का अधिकतम कार्य पूरा कर लिया गया है, वहीं वन स्वीकृति भी अग्रिम चरण में है. ईस्ट रेल कॉरीडोर के संचालित होने से एसईसीएल के माण्ड-रायगढ़ कोलफील्ड केप्टिव ब्लॉक और कमर्शियल माईनिंग की परियोजनाओं से कोयले के ढुलाई में भी तेजी आएगी.यह प्रोजेक्ट माण्ड-रायगढ़ कोलफील्ड्स और वसुन्धरा कोलफील्ड्स में कोयले के डिस्पैच के लिए अतिरिक्त रूट उपलब्ध कराएगा.