कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के पुलिस विभाग में एक ऐसा ईमानदार, निष्ठावान और जांबाज सिपाही पदस्थ है, जो पुलिस के लिए किसी चिराग से निकले जिन्न से कम नहीं है. ये जांबाज सिपाही अगर कोरबा पुलिस के पास नहीं होता तो ना जाने कितने मामले अनसुलझे ही रह जाते. ये जांबाज हैं बाघा. बाघा एक स्नीफर डॉग है. जो अपनी श्रेणी का सर्वोत्तम ट्रैकर डॉग है. ये ना सिर्फ पुलिस के लिए उपयोगी है बल्कि प्रदेश में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुका है. राज्य भर के पुलिस डॉग में से सर्वश्रेष्ठ चुना गया था. (Korba Police Department Tracker Dog Bagha )
50 जटिल मामलों को सुलझाया, राज्य में सर्वश्रेष्ठ : बाघा की उम्र 5 से 6 साल है. अभी वह अपने पूरे शबाब पर है. पुलिस डॉग को रिटायर कब किया जाएगा यह उसकी फिटनेस पर निर्भर करता है. हालांकि अधिकतम उम्र 14 से 15 साल होती है. बाघा को कोरबा पुलिस में 9 जून 2017 से नियुक्त किया गया है. तब से लेकर बाघा का प्रदर्शन अविश्वसनीय रहा है. बाघा ने जिले में हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती और चोरी के लगभग 50 मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई है. यह सभी ऐसे मामले थे, जिसमें बाघा ने पुलिस को अहम सुराग दिया. जिससे पुलिस इन मामलों को सुलझा पाई.
बाघा पूरे प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ पुलिस डॉग का अवॉर्ड हासिल कर चुका है (Tracker Dog Bagha got Chhattisgarh Best Police Dog Award ). भिलाई में आयोजित कॉम्पटीशन में राज्य भर के 18 जिलों से पुलिस डॉग को इकट्ठा किया गया था. जहां बाघा का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा. बाघा को छत्तीसगढ़ का सर्वश्रेष्ठ पुलिस डॉग का अवॉर्ड मिला है. पिछले कुछ सालों में जिले में पदस्थ रहे पुलिस अधीक्षक जितेंद्र मीणा, अभिषेक मीणा के साथ ही वर्तमान पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने भी अलग-अलग अवसरों पर बाघा को सम्मानित किया है.
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हर 15 दिन में रूटीन चेकअप : बाघा की फिटनेस को बनाए रखने के लिए हर 15 दिन में पशु चिकित्सक रूटीन चेकअप करते हैं. पुलिस लाइन में पदस्थ आरआई भी बाघा की सेहत का निरीक्षण करते हैं. डाइट के साथ ही दो टाइम मालिश भी की जाती है.
रोज 2 घंटे का अभ्यास : जिले के डॉग स्कवॉयड के प्रभारी और बाघा के मेंटर सुनील कहते हैं कि 'बाघा को रोज सुबह और शाम एक-एक 1 घंटे की प्रैक्टिस कराई जाती है. बाघा 2017 में पुलिस महकमे में पदस्थ हुआ है. तब भी उसे 9 महीने की कठिन ट्रेनिंग दी गई थी. सूंघने के साथ ही व्यक्तियों की पहचान करना, चीजों को ढूंढना इस जैसे जितनी भी ट्रेनिंग की गतिविधियां हैं. हम रोज 2 घंटे अभ्यास करते हैं. जिससे कि बाघा की फिटनेस बनी रहे'
बाघा के मेंटर सुनील ने आगे बताया कि 'ट्रैकर डॉग की श्रेणी में आने वाले कुत्ते बेहद एग्रसिव होते हैं. बाघा का चरित्र भी बेहद आक्रमक है. कई बार तो जब हम फील्ड पर ऑपरेशन को अंजाम देते हैं. तब वह आरोपी को पकड़ने के लिए इतना बेचैन हो जाता है कि वह उस पर अटैक कर देता है. ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि आरोपियों को सुरक्षित रखा जाए और बाघा के अग्रेशन को कंट्रोल किया जाए. बाघा का प्रदर्शन इतने सालों में बेहद लाजवाब रहा है'.
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इन मामलों में बाघा ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका : -
केस- 1- गेटकीपर हत्याकांड : कोरबा जिले के उरगा थाना अंतर्गत भैसमा के करीब रेलवे के गेटकीपर की उसके साथियों ने हत्या कर दी थी. लगभग 1 साल पहले बाघा ने हत्यारों के छोड़े हुए सामान से पुलिस को अहम सुराग दिया. जिसके बाद आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए. इस हत्याकांड के लिए हाल ही में न्यायालय ने हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा भी सुना दी है.
केस- 2- युवती की बलात्कार और हत्या की गुत्थी : जिले के बांगो थाना क्षेत्र के माचाडोली में एक युवती की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. सुराग ढूंढने बाघा को बुलाया गया. बाघा ने परिस्थितियों का जायजा लिया और आरोपियों तक जा पहुंचा. इस अंधे कत्ल की गुत्थी को सुलझाने में पुलिस के पसीने छूट गए थे. बाघा की मदद से आरोपी पकड़ लिए गए.
केस 3- 4 वर्ष के बच्चे का हत्याकांड : जिले में कुछ दिन पहले ही एक 11 वर्ष के बालक ने 4 वर्षीय बच्चे की हत्या कर दी थी. पुलिस को रात के 11:00 बजे इस घटना की सूचना मिली. बाघा को मौके पर बुलाया गया. उसने आरोपी 11 साल के बच्चे को ढूंढ निकाला. उस पर अटैक भी कर दिया था. इस मामले में भी बाघा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.