कोरबाः जिले में स्टाफ नर्स भर्ती में अनियमितता को लेकर दायर याचिका (petition) पर हाईकोर्ट (High Court) में सुनवाई हुई. इस दौरान शासन ने जवाब में कहा कि यह जनहित का मामला (matter of public interest) नहीं है, बल्कि सर्विस मैटर है.
लिहाजा याचिका को खारिज किया जाए. इस दौरान प्रति जवाब प्रस्तुत करने के लिए याचिकाकर्ता (petitioner) के अधिवक्ता (advocate) ने समय मांगा है. इसके चलते प्रकरण की सुनवाई तीन सप्ताह (Three weeks) तक टल गई है.
कोरबा जिले में 2012 में स्टाफ नर्स के 175 पदों पर भर्ती के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सीएमएचओ (CMHO) कार्यालय के माध्यम से विज्ञापन जारी किया था. इसके तहत सन्नू डहरिया सहित अन्य ने भी आवेदन पत्र (Application letter) जमा किया था.
इसमें नियम तय किया गया था कि जिले के मूल निवासियों (the natives) को ही नियुक्ति दी जाएगा. लेकिन जब सूची जारी हुई तब पता चला कि दूसरे जिले के साथ ही कई अपात्र आवेदकों (ineligible applicants) को भी नियुक्ति दे दी गई है. इस पर उन्होंने अधिवक्ता विजय देशमुख के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका (Public interest litigation) दायर की है.
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परीक्षा में शामिल नहीं हुए थे कई अभ्यर्थी
याचिकाकर्ताओं ने सूचना के अधिकार के तहत नियुक्ति की जानकारी जुटाई है. इसमें पता चला है कि 175 अभ्यर्थियों में से 36 उम्मीदवार दूसरे जिले से हैं. वहीं, कई ऐसे अभ्यर्थी भी हैं, जो परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए थे. नियुक्ति में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया गया है. साथ ही भर्ती मे गड़बड़ी के लिए दोषी तत्कालीन सीएमएचओ सहित अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. याचिका में यह भी बताया गया है कि इस मामले की शिकायत शासन व प्रशासन से की गई थी.
लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इस प्रकरण में कोर्ट ने राज्य शासन (state government) व स्वास्थ्य विभाग (health Department) के साथ ही सीएमएचओ (CMHO) से जवाब मांगा था. इस बीच शासन की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि यह जनहित याचिका नहीं है. बल्कि सर्विस मैटर है. लिहाजा याचिका चलने योग्य नहीं है. कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने काउंटर रिस्पॉन्स के लिए समय मांगा था जिस पर कोर्ट ने उन्हें 3 सप्ताह का समय दिया है.