कोरबा: जिले के कटघोरा वन मंडल में इन दिनों हाथियों के दो अलग-अलग दल घूम रहे हैं. खास तौर पर पसान वन परिक्षेत्र में 14 हाथियों के दल ने उत्पात मचा रखा है. हाथी किसानों की फसल, घर और अनाज को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. ग्रामीण विवश होकर रतजगा और हाथियों से निपटने के लिए चंदा कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग से कोई मदद नहीं मिल रही है. जिसके कारण वह चंदा कर खुद संसाधन जुटाने में लगे हुए हैं. जबकि कटघोरा डीएफओ का कहना है कि हाल ही में पसान में ही 300 टॉर्च बांटे गए हैं. विभाग के कर्मचारी प्रभावित ग्रामीणों को हर संभव सहयोग कर रहे हैं. Chhattisgarh village Terror of wild elephants
14 हाथियों का दल अब भी पसान में : कटघोरा वन मंडल के अंतर्गत आने वाले पसान वन परिक्षेत्र में 14 हाथियों का दल पिछले एक पखवाड़े से डेरा जमाए हुए हैं. यहां के गांव खमरिया से होते हुए हाथियों का दल वर्तमान में गांव सेन्हा के इर्द गिर्द मंडरा रहा है. वन विभाग हाथियों की लोकेशन की लगातार निगरानी करने में लगा हुआ है. हाथियों का यह दल दिन में जंगल में रहता है. जबकि शाम और देर रात होते ही रिहायशी इलाकों में गांव के पास पहुंच जाता है. जिससे ग्रामीण बेहद परेशान हैं.
फसल और घरों को पहुंचा रहे नुकसान : ग्रामीणों की मानें तो बीते कुछ समय से हाथियों के दल ने गांव में दहशत कायम कर दी है. रात होते ही हाथी ग्रामीणों के घर के पास जाते हैं. किसानों के अनाज को अपना भोजन बना रहे हैं. खेत में लगी फसल को भी बरबाद कर रहे हैं. हाथियों के इस दल से गांव खमरिया व आधा दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित हैं. हाथियों ने कई मकानों को भी तोड़ा है.
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मई तक दर्ज हुए हैं 2500 से अधिक प्रकरण : हाथियों का उत्पात कटघोरा वन मंडल में किस कदर जारी है. इसका अंदाजा वन विभाग से मिले आंकड़ों से लगाया जा सकता है. इस साल जनवरी से लेकर मार्च तक वन विभाग ने हाथियों के द्वारा जनहानि, फसल, मकान और अन्य संपत्तियों के नुकसान के लिए 2244 प्रकरण दर्ज किये हैं. जिसके एवज में ग्रामीणों को विभाग की ओर से 12 लाख रुपए का भुगतान किया गया है. इसी तरह अप्रैल से लेकर 10 मई तक की स्थिति में 279 प्रकरण और दर्ज किए गए. जिसके एवज में 2 लाख 46 हजार 953 रुपये की मुआवजा राशि ग्रामीणों को वितरित की गई है. इस दौरान हाथी के हमले से 7 लोगों की मौत भी हुई है.
हाथियों को खदेड़ने के लिए इकट्ठा कर रहे चंदा : गांव खमरिया के रामेश्वर कंवर का कहना है कि "हाथी लगातार गांव के आसपास मंडरा रहे हैं. वह हमें नुकसान पहुंचा रहे हैं. वन विभाग की ओर से मुआवजा प्रकरण बनाने में भी देरी की जा रही है. हमें वन विभाग से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. विवश होकर हम चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. इतना ही नहीं हमने 20 से 30 हजार रुपये की राशि आपस में मिलाकर चंदा किया है. जिससे हम मशाल और अन्य जरूरी संसाधन जुटा रहे हैं. जिससे कि हम स्वयं हाथी को गांव से दूर खदेड़ सकें. "
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कर रहे यथासंभव सहयोग : हाथी और उसके उत्पात के प्रश्न पर कटघोरा डीएफओ प्रेमलता यादव का कहना है कि "पसान क्षेत्र में फिलहाल 14 हाथियों का एक दल विचरण कर रहा है. वन विभाग की तरफ से प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को हर संभव सहयोग किया जा रहा है. मुआवजा प्रकरण तैयार करने में भी सिर्फ 10 दिनों का समय लग रहा है. हाल ही में टॉर्च और मशाल के लिए भी जरूरी सामान बांटा गया है. "कलेक्टर संजीव झा कहते हैं कि "कोरबा जिले के कुछ क्षेत्र हाथी से प्रभावित हैं. हालांकि वह स्थायी तौर पर एक स्थान पर नहीं रहते. घूमते रहते हैं. अलग-अलग तरह के नुकसान के लिए मुआवजे का भी प्रावधान है. वन विभाग के साथ मिलकर प्रशासन का प्रयास यही रहता है कि ग्रामीणों को इस समस्या से निजात दिलाई जा सके."