कोरबा : NTPC की उदासीनता का खामियाजा पिछले कई सालों से शहर की जनता भुगत रही है. मामला मेजर ध्यानचंद चौक से गोपालपुर तक बनने वाली सड़क का है. इस सड़क को लेकर पिछले 5 सालों में कई आंदोलन हुए. फाइलें टेबल पर घूमीं. लेकिन दो दिन पहले NTPC ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसका सारा ठीकरा पीडब्ल्यूडी पर फोड़ (Clashes between Korba NTPC and PWD over road construction) दिया. NTPC ने कार्यादेश की कॉपी नहीं मिलने का हवाला देते हुए कहा कि उनकी तरफ से सड़क निर्माण के लिए 26 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं. लेकिन पीडब्ल्यूडी ने अभी तक प्रबंधन को सड़क निर्माण की कार्यादेश कॉपी उपलब्ध नहीं कराई है. लेकिन इसके उलट पीडब्ल्यूडी ने कार्यादेश की कॉपी सार्वजनिक कर दी.
CSR के तहत होता है क्षेत्र का विकास : कोरबा जिला कोयले के अकूत भंडार के साथ ही बाल्को, एनटीपीसी, एसईसीएल, सीएसईबी जैसे सार्वजनिक उपक्रमों के लिए भी पहचाना जाता है. कंपनियों को इस शर्त पर काम करने की अनुमति दी जाती है कि वह कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) के तहत अपने आसपास के इलाकों का विकास करेंगे. सामाजिक कार्यों के अलावा चिकित्सा, शिक्षा और अधोसंरचनात्मक विकास करेंगे. इसी के तहत देश की महारत्न कंपनियों में शुमार NTPC ने मेजर ध्यानचंद चौक से गोपालपुर तक के सड़क निर्माण के लिए 26 करोड़ रुपये की की राशि स्वीकृत की, लेकिन इसे कभी भी राज्य शासन को नहीं दिया.
NTPC ने क्या कहा था : NTPC के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बिस्वरूप बसु ने कहा था कि सीएसआर के तहत सड़कों के विकास के लिए हम वचनबद्ध हैं. मेजर ध्यानचंद चौक से गोपालपुर तक सड़क निर्माण के लिए वह 26 करोड़ की राशि स्वीकृत किए हैं. लेकिन राज्य शासन की ओर से इस सड़क निर्माण का कार्यदेश जारी नहीं किया गया है. जब तक टेंडर प्रक्रिया पूरी होकर कार्यादेश की प्रति हमारे पास नहीं आएगी. तब तक हम राशि जारी करने में असमर्थ हैं. संभवत: कार्यादेश अवॉर्ड नहीं हुआ होगा इसलिए मुझे इसकी कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई है.
PWD ने खोली NPTC की पोल : NPTC के इस बयान के बाद पीडब्ल्यूडी ने वर्क ऑर्डर के संबंध में अपनी प्रतिक्रिया दी है. पीडब्ल्यूडी की माने तो उन्होंने एक महीने पहले ही वर्क ऑर्डर जारी कर दिए थे. बावजूद इसके NTPC ने फंड जारी करने में कोई भी तेजी नहीं दिखाई. अब छत्तीसगढ़ रोड डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड यानी CGRIDCL ने पूरे प्रदेश की सड़क के लिए 5 हजार रुपए जारी किए हैं . जिसके तहत मेजर ध्यानचंद चौक और गोपालपुर सड़क निर्माण के लिए 40 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिल गई है. इस सड़क के निर्माण के लिए एजेंसी भी चुन ली गई है. एक माह पहले ही ठेका कंपनी से एग्रीमेंट पूरा किया गया है. अब एक दो दिन के अंदर काम पूरा कर लिया जाएगा. अब NTPC अपने फंड का क्या करेगी. इसे लेकर PWD को कोई सरोकार नहीं है. ये सारी जानकारी एग्जिक्यूटी इंजीनियर एके वर्मा ने ईटीवी भारत को दी है.
विभाग की आपसी खींचतान : मेजर ध्यानचंद चौक से गोपालपुर तक कुल 10 किलोमीटर सड़क बदहाल है. ध्यानचंद चौक से कुछ ही दूरी पर हरदेव डैम का दर्री बैराज है. अब सड़क निर्माण के समय दर्री बैराज की भी सड़क बनाई जाएगी. आपको बता दें पिछले पांच साल से सड़क को लेकर आंदोलन जारी है. लेकिन विभागीय उदासीनता के आगे सारे आंदोलन नाकाफी साबित हुए है. विभागों की आपसी खींचतान के कारण सड़क और भी ज्यादा जर्जर होती चली गई. नगर निगम और सिंचाई विभाग के बीच भी इस सड़क को लेकर कई बार टकराव हुए. कई स्तर पर विभागीय पत्राचारों के बाद यह तय हुआ कि निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी होगी. पीडब्ल्यूडी ने 23 फरवरी को इस सड़क के लिए कार्यादेश जारी कर दिया गया था. कुल 37 करोड़ की लागत से ठेकेदार अशोक कुमार मित्तल को इस सड़क को बनाने का ठेका दिया गया है. जिससे ये पता चलता है कि NTPC के दावों में कितनी सच्चाई है ?
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अधिकारी भी मामले में हैं चुप : पिछले दिनों बिलासपुर संभाग के आयुक्त संजय अलंग कोरबा पहुंचे थे. जहां पर उन्होंने कलेक्टर समेत जिले के बड़े अधिकारियों की समीक्षा बैठक ली. जब उनसे मेजर ध्यानचंद चौक से गोपालपुर तक सड़क निर्माण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सारी जानकारी जिला प्रशासन के पास होने की बात कही. अलंग ने कहा कि सड़क को लेकर जिला प्रशासन काम देख रहा है. यानी एक तरह से बड़े अधिकारी भी NTPC और PWD की खींचतान से वाकिफ हैं और कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.