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EXCLUSIVE: गेवरा के बाद दीपका खदान पहुंची CBI की टीम, 5 दिनों से जारी है जांच - दीपका खदान पहुंची CBI

सीबीआई की की टीम पिछले 5 दिनों से SECL में जांच कर रही है. गेवरा खदान(Gevra Mine Korba) के बाद अब CBI दीपका खदान (Deepka Mine Korba) पहुंच गई है. लगातार जांच जारी है. वहीं जनसंपर्क अधिकारी का कहना है कि CBI कोल स्टॉक की जांच पड़ताल करने पहुंची है.

CBI team reached Deepka mine After Gevra Mine for investigation
दीपका खदान पहुंची CBI की टीम
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Published : Jul 13, 2021, 5:14 PM IST

Updated : Jul 13, 2021, 8:05 PM IST

कोरबा : एसईसीएल(South eastern coal field) की 2 मेगा प्रोजेक्ट सीबीआई के जांच के दायरे में आ गई है. गेवरा न सिर्फ एसईसीएल बल्कि एशिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोल माइंस (Open Cast Coal Mines) है. दीपका भी देश की सबसे बड़ी खुली कोयला खदानों में शुमार है. यहां पिछले 5 दिनों से केंद्रीय जांच एजेंसी CBI की टीम ने डेरा डाला है. सीबीआई की टीम शुक्रवार को ही जिले में पहुंच गई थी. इसके बाद से ही कोल स्टॉक (Coal Stock) की जांच पड़ताल जारी है. पहले गेवरा खदान (Gevra Mine Korba) की जांच शुरू की गई थी अब जांच का दायरा बढ़ते हुए दीपका खदान (Deepka Mine Korba) तक पहुंच गया है. फिलहाल इस विषय में कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं.

दीपका खदान पहुंची CBI की टीम

कोल स्टॉक की हो रही जांच

आमतौर पर खदानों में कोयले के स्टॉक को लेकर गड़बड़ियों की बात सुर्खियों में रहती है. जिले के खदानों में बीते वित्तीय वर्ष में गेवरा खदान से 47.6 तो दीपिका से 35 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ है. इससे जुड़ी जानकारी एसईसीएल ने दी है. जिले की इन खदानों से देशभर के पावर प्लांट को कोयले की सप्लाई की जाती है, जिससे बिजली का निर्माण होता है. सीबीआई की टीम यहां कोयले के स्टॉक की जांच करने पहुंची है. रिकॉर्ड में जितना कोयला एसईसीएल के अफसरों ने दर्शाया है वास्तव में वह उपलब्ध है या नहीं? जो कोयला खदानों से डिस्पैच किया गया वह अपने गंतव्य तक उसी मात्रा में पहुंचा या नहीं? इसके साथ ही खदानों में अनुमानित कोयले का मेजरमेंट कितना है? इस दिशा में ही स्टॉक की जांच होती है.

कोयला स्टॉक से जुड़ी और भी कई तरह की जांच की जाती है, जिसमें अक्सर अफसरों की गड़बड़ी किए जाने की संभावना बनी रहती है. चर्चा यह भी है कि हाल ही में एसईसीएल के ही किसी अधिकारी ने केंद्रीय जांच एजेंसी को शिकायत कर दी थी. जिसके बाद सीबीआई की टीम कोरबा के खदानों की जांच करने पहुंची है. जिले की गेवरा और दीपका कोयला खदान फिलहाल सीबीआई के रडार पर है.

डीजल चोरी भी बड़ा मुद्दा

एसईसीएल की खदानों से चोरी होने वाला डीजल भी एक बड़ा मामला है. बड़े पैमाने पर खदानों से डीजल चोरी की वारदात को अंजाम दिया जाता है. हाल ही में पुलिस ने नए एसपी के आते ही 5 दिनों के भीतर 900 लीटर डीजल का जखीरा 10 चोरों के साथ पकड़ा था. हालांकि पुलिस की भूमिका भी डीजल चोरी के मामले में संदेहास्पद बनी रहती है. पुलिस की माने तो डीजल खदानों से ही चोरी किया जाता है, लेकिन एसईसीएल के अफसर ना तो इसके लिए एफआईआर दर्ज कराने में रुचि दिखाते हैं, ना ही वह डीजल को वापस लेने के लिए किसी तरह की पहल करते हैं. पुलिस एसईसीएल के समक्ष सुपुर्दनामा का पत्र भी पेश करती है. बावजूद इसके एसईसीएल के इस तरह के रवैये से कई तरह के सवाल उठते हैं. एसईसीएल अपनी ही संपत्ति को वापस प्राप्त करने में दिलचस्पी नहीं दिखाता. जानकार कहते हैं इसका मतलब साफ है कि सारा डीजल पहले ही खपत के तौर पर उच्च कार्यालयों को दिखा दिया जाता है.

कोरबा में डीजल चोर गिरोह के 10 सदस्य गिरफ्तार, 950 लीटर डीजल जब्त

कोयला स्टॉक में गड़बड़ी

आग लगने पर भी नुकसान का आंकड़ा रखा जाता है. गोपनीय कोयला खदानों में आगजनी की घटनाएं भी होती रहती हैं, लेकिन आग लगने के बाद इसे बुझाने में अफसर उतने तत्पर नहीं दिखते. आग लगने से कोयले को कितना नुकसान पहुंचा? कितनी मात्रा में कोयला जलकर खाक हुआ? इस दिशा में भी कभी कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी जाती. आगजनी के बाद भी कोयले के स्टॉक में गड़बड़ी की संभावनाएं बरकरार रहती हैं.

देखें दीपका खदान के कोयला स्टॉक में लगी आग, जिसे मानने से प्रबंधन कर रहा इंकार

क्या इस बार सार्वजनिक होगी जानकारी?

कोल स्टॉक, डीजल और कबाड़ की चोरी और अफसरों के किए जाने वाले नियमित तौर पर कार्यों में किसी बड़ी गड़बड़ी के होने के संकेत मिल रहे हैं. सीबीआई की टीम आमतौर पर जब भी कोई बड़ी कार्रवाई करती है, तब जांच पड़ताल करती है. आधिकारिक तौर पर कोई बयान जारी नहीं किया जाता. एसईसीएल के अफसर भी इस विषय में कोई भी जानकारी नहीं देते हैं. ऐसे में शिकायत क्या थी? जांच किन बिंदुओं पर हो रही है और जांच में किस तरह की गड़बड़ियां उजागर हुई? ऐसे प्रश्नों के जवाब नहीं दिए जाते हैं.

सीबीआई की टीम पिछले 5 दिनों से कोरबा जिले में है, लेकिन इसकी किसी तरह की भी कोई सूचना जारी नहीं की गई है. ना ही किसी भी तरह की जानकारियों को सार्वजनिक किया गया है. अब देखना यह होगा कि वर्तमान जांच की भी कोई बात सार्वजनिक होती है या इस बार भी सवालों का कोई जवाब नहीं मिलता है.

सीबीआई का नियमित दौरा

एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी (SECL Public Relations Officer) सनीष चंद्रा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सीबीआई का यह दौरा एक तरह से नियमित दौरा है. रेंडम आधार पर खदानों का दौरा कर कोल स्टॉक की जांच पड़ताल करते हैं. एसईसीएल की विजिलेंस टीम भी सीबीआई के साथ मौजूद है. इसमें किसी भी तरह की शिकायत या इस तरह की कोई बात नहीं है. यह बिल्कुल सामान्य दौरा है.

कोरबा : एसईसीएल(South eastern coal field) की 2 मेगा प्रोजेक्ट सीबीआई के जांच के दायरे में आ गई है. गेवरा न सिर्फ एसईसीएल बल्कि एशिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोल माइंस (Open Cast Coal Mines) है. दीपका भी देश की सबसे बड़ी खुली कोयला खदानों में शुमार है. यहां पिछले 5 दिनों से केंद्रीय जांच एजेंसी CBI की टीम ने डेरा डाला है. सीबीआई की टीम शुक्रवार को ही जिले में पहुंच गई थी. इसके बाद से ही कोल स्टॉक (Coal Stock) की जांच पड़ताल जारी है. पहले गेवरा खदान (Gevra Mine Korba) की जांच शुरू की गई थी अब जांच का दायरा बढ़ते हुए दीपका खदान (Deepka Mine Korba) तक पहुंच गया है. फिलहाल इस विषय में कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं.

दीपका खदान पहुंची CBI की टीम

कोल स्टॉक की हो रही जांच

आमतौर पर खदानों में कोयले के स्टॉक को लेकर गड़बड़ियों की बात सुर्खियों में रहती है. जिले के खदानों में बीते वित्तीय वर्ष में गेवरा खदान से 47.6 तो दीपिका से 35 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ है. इससे जुड़ी जानकारी एसईसीएल ने दी है. जिले की इन खदानों से देशभर के पावर प्लांट को कोयले की सप्लाई की जाती है, जिससे बिजली का निर्माण होता है. सीबीआई की टीम यहां कोयले के स्टॉक की जांच करने पहुंची है. रिकॉर्ड में जितना कोयला एसईसीएल के अफसरों ने दर्शाया है वास्तव में वह उपलब्ध है या नहीं? जो कोयला खदानों से डिस्पैच किया गया वह अपने गंतव्य तक उसी मात्रा में पहुंचा या नहीं? इसके साथ ही खदानों में अनुमानित कोयले का मेजरमेंट कितना है? इस दिशा में ही स्टॉक की जांच होती है.

कोयला स्टॉक से जुड़ी और भी कई तरह की जांच की जाती है, जिसमें अक्सर अफसरों की गड़बड़ी किए जाने की संभावना बनी रहती है. चर्चा यह भी है कि हाल ही में एसईसीएल के ही किसी अधिकारी ने केंद्रीय जांच एजेंसी को शिकायत कर दी थी. जिसके बाद सीबीआई की टीम कोरबा के खदानों की जांच करने पहुंची है. जिले की गेवरा और दीपका कोयला खदान फिलहाल सीबीआई के रडार पर है.

डीजल चोरी भी बड़ा मुद्दा

एसईसीएल की खदानों से चोरी होने वाला डीजल भी एक बड़ा मामला है. बड़े पैमाने पर खदानों से डीजल चोरी की वारदात को अंजाम दिया जाता है. हाल ही में पुलिस ने नए एसपी के आते ही 5 दिनों के भीतर 900 लीटर डीजल का जखीरा 10 चोरों के साथ पकड़ा था. हालांकि पुलिस की भूमिका भी डीजल चोरी के मामले में संदेहास्पद बनी रहती है. पुलिस की माने तो डीजल खदानों से ही चोरी किया जाता है, लेकिन एसईसीएल के अफसर ना तो इसके लिए एफआईआर दर्ज कराने में रुचि दिखाते हैं, ना ही वह डीजल को वापस लेने के लिए किसी तरह की पहल करते हैं. पुलिस एसईसीएल के समक्ष सुपुर्दनामा का पत्र भी पेश करती है. बावजूद इसके एसईसीएल के इस तरह के रवैये से कई तरह के सवाल उठते हैं. एसईसीएल अपनी ही संपत्ति को वापस प्राप्त करने में दिलचस्पी नहीं दिखाता. जानकार कहते हैं इसका मतलब साफ है कि सारा डीजल पहले ही खपत के तौर पर उच्च कार्यालयों को दिखा दिया जाता है.

कोरबा में डीजल चोर गिरोह के 10 सदस्य गिरफ्तार, 950 लीटर डीजल जब्त

कोयला स्टॉक में गड़बड़ी

आग लगने पर भी नुकसान का आंकड़ा रखा जाता है. गोपनीय कोयला खदानों में आगजनी की घटनाएं भी होती रहती हैं, लेकिन आग लगने के बाद इसे बुझाने में अफसर उतने तत्पर नहीं दिखते. आग लगने से कोयले को कितना नुकसान पहुंचा? कितनी मात्रा में कोयला जलकर खाक हुआ? इस दिशा में भी कभी कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी जाती. आगजनी के बाद भी कोयले के स्टॉक में गड़बड़ी की संभावनाएं बरकरार रहती हैं.

देखें दीपका खदान के कोयला स्टॉक में लगी आग, जिसे मानने से प्रबंधन कर रहा इंकार

क्या इस बार सार्वजनिक होगी जानकारी?

कोल स्टॉक, डीजल और कबाड़ की चोरी और अफसरों के किए जाने वाले नियमित तौर पर कार्यों में किसी बड़ी गड़बड़ी के होने के संकेत मिल रहे हैं. सीबीआई की टीम आमतौर पर जब भी कोई बड़ी कार्रवाई करती है, तब जांच पड़ताल करती है. आधिकारिक तौर पर कोई बयान जारी नहीं किया जाता. एसईसीएल के अफसर भी इस विषय में कोई भी जानकारी नहीं देते हैं. ऐसे में शिकायत क्या थी? जांच किन बिंदुओं पर हो रही है और जांच में किस तरह की गड़बड़ियां उजागर हुई? ऐसे प्रश्नों के जवाब नहीं दिए जाते हैं.

सीबीआई की टीम पिछले 5 दिनों से कोरबा जिले में है, लेकिन इसकी किसी तरह की भी कोई सूचना जारी नहीं की गई है. ना ही किसी भी तरह की जानकारियों को सार्वजनिक किया गया है. अब देखना यह होगा कि वर्तमान जांच की भी कोई बात सार्वजनिक होती है या इस बार भी सवालों का कोई जवाब नहीं मिलता है.

सीबीआई का नियमित दौरा

एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी (SECL Public Relations Officer) सनीष चंद्रा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सीबीआई का यह दौरा एक तरह से नियमित दौरा है. रेंडम आधार पर खदानों का दौरा कर कोल स्टॉक की जांच पड़ताल करते हैं. एसईसीएल की विजिलेंस टीम भी सीबीआई के साथ मौजूद है. इसमें किसी भी तरह की शिकायत या इस तरह की कोई बात नहीं है. यह बिल्कुल सामान्य दौरा है.

Last Updated : Jul 13, 2021, 8:05 PM IST
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