कोरबा : नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) पावर प्लांट से उत्सर्जित राख के ठीक तरह से प्रबंधन नहीं किए जाने के मामले में कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं. हाल ही में ईटीवी भारत ने एनटीपीसी के गांव धनरास स्थित राखड़ डैम से हवा में जहरीला राख घोलने के समाचार का प्रमुखता से प्रकाशित किया था.ग्रामीणों ने अपने हाथ और पीठ दिखाकर चर्म रोग से ग्रसित होने की बात कही थी. जबकि राखड़ डैम से उड़ने वाला राख आसमान में बादल जैसे दिख रहा (Administration strict on poisonous ashes of NTPC korba) था.
क्या हुआ असर : इस खबर के बाद प्रशासन ने सरकार तुंहर द्वार योजना के तहत गांव नवागांव कला में शिविर (Camp at Navagaon Kala in Korba)लगाया. जहां ग्रामीणों ने ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लगाते हुए कलेक्टर से राख के दुष्प्रभाव और इससे होने वाली परेशानी से कलेक्टर को अवगत कराया. जिसके बाद कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं. कलेक्टर रानू साहू (Collector Ranu Sahu) ने एनटीपीसी के धनरास स्थित राख डैम से उड़ने वाले राख के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही. जांच टीम में एसडीएम कटघोरा, खनिज और पर्यावरण विभाग के अधिकारियों को संयुक्त टीम बनाकर धनरास स्थित राख डैम की जांच (Investigation of ash dam located at Korba Dhanras) करने को कहा है.
वर्तमान में कितने गांव में है बदतर स्थिति : हाल ही में धनरास स्थित एनटीपीसी पावर प्लांट के राख डैम की ग्राउंड रिपोर्ट करने ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची थी. इस दौरान हवा चलने पर आसमान में राख का गुबार दिखाई दिया.पानी का छिड़काव नहीं होने से राख उड़कर आसमान में बादल का आकार ले रहे हैं.जिससे आसपास के लगभग दर्जनभर गांव प्रभावित हैं. सभी स्थानों पर जहरीले राख की वर्षा हो रही है. गांव धनरास के साथ ही साथ जाटांगपुर, छूरीखुर्द, गंगपुर, झोरा, सलोरा, बिशनपुर, बरेड़ीमुड़ा, चोरभट्टी और नवागांव कला जैसे गांव के ग्रामीण धनरास के रखाड़ डैम से उड़ने वाली राख से परेशान हैं.
ग्रामीणों ने इस तरह बयान किया दर्द : गांव धनरास के स्थानीय निवासी चमरा दास ने ईटीवी भारत को बताया था कि किस तरह से उसके गांव का पानी जहरीला हो रहा है. शरीर में खुजली का प्रकोप है. यही नहीं कई बार जब उसने एनटीपीसी प्रबंधन से इलाज की बात कही तो उसे सिर्फ घुमाया गया.
क्यों है राख जहरीला : जिले में राख से फैले भीषण प्रदूषण को लेकर रामावतार अग्रवाल ने एनजीटी में याचिका दायर की थी. प्रदूषण जांचने के लिए एनजीटी की टीम भी जिले का दौरा कर चुकी है. याचिका में राख होने वाले दुष्प्रभावों के विषय में विस्तार से बताया गया है. विद्युत उत्पादन के दौरान पावर प्लांट से उत्सर्जित राख में आर्सेनिक, लेड, मैंगनीज, मरक्यूरी, सेलेनियम, थैलियम वैनेडियम, रेडियम, सिलिका और बोरान जैसे केमिकल मिले हैं. जिनसे नर्वस सिस्टम, दिमाग, आंखें, फेफड़े और श्वसन तंत्र, लीवर हड्डियों के जोड़, किडनी, दिल, गला, नाक और त्वचा पर कई तरह के घातक प्रभाव पढ़ते हैं. शरीर के हर अंग पर राष्ट्र के दुष्प्रभाव पड़ते हैं.
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प्रबंधन ने नहीं दी थी जानकारी : एनटीपीसी से उत्सर्जित राख के विषय में ईटीवी भारत (Etv Bharat IMPACT ) ने एनटीपीसी प्रबंधन को अवगत कराया गया था. इस विषय में एनटीपीसी की जनसंपर्क अधिकारी हिमानी शर्मा को अवगत कराया था. लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई जानकारी नहीं मिली थी.अब कलेक्टर ने इस मामले में जांच बिठाई है.