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पंडरिया के कुंडा में मनाई गई गुरु बालक दास की जयंती - Follower of Guru Ghasidas

पंडरिया के कुंडा में गुरु बालक दास की जयंती मनाई गई. इस दौरान तीस किलोमीटर की यात्रा निकाली गई.

Guru Balak Das birth anniversary celebration in Kunda Pandaria
पंडरिया के कुंडा में मनाई गई गुरु बालक दास की जयंती
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Published : Aug 20, 2022, 1:19 PM IST

Updated : Aug 20, 2022, 7:51 PM IST

पंडरिया : सतनाम पंथ के गुरु बालक दास जी की जयंती (Guru Balak Das birth anniversary) ग्राम कुंडा में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई. इस अवसर पर पूजा अर्चना ,दीप प्रज्वलन, पुष्प अर्पण कर उन्हें याद किया गया. पवित्र जैतखाम और गुरुजी के छायाचित्र की विशेष पूजा अर्चना कर उनके व्यक्तित्व को याद किया गया. गुरु घासीदास (Follower of Guru Ghasidas) के बताए रास्ते पर चलने संकल्प लिया गया. गुरु घासीदास बाबा के पुत्र गुरु बालक दास की जयंती सतनामी पारा, सतनाम भवन में आयोजित कार्यक्रम में पूजा-अर्चना के साथ सभी ने संकल्प लिया. बाबा के बताएं मार्गों पर चलकर समाज राष्ट्र को सर्वोपरी मानते हुए जनहित में कार्य करते (celebration in Kunda Pandaria ) रहेंगे.

पंडरिया के कुंडा में मनाई गई गुरु बालक दास की जयंती

30 किलोमीटर की यात्रा : इस दौरान पंथी मंगल भजनों की भक्तिमय प्रस्तुति करते हुए सतनामी समाज के अनुवाई के सैकड़ों की संख्या में लालपुर सहित कई गावों का 30 किलोमीटर मोटरसाइकिल डीजे के साथ रैली निकालकर गुरु बालक दास साहेब सतनामी आंदोलन के महानायक प्रमुख सेनापति बाबा बालक दास की जयंती (kunda pandaria news) मनाई. वहीं रैली के माध्यम से सतनामी समाज के लोगों द्वारा चौक चौराहे पर मनके मनके एक समान का संदेश देते हुए शूरवीर महाप्रतापी बलिदानी राजा गुरु बालक दास जी के अवतरण दिवस पर समाज के प्रमुखों द्वारा एकजुट का परिचय देते हुए जयंती मनाई.

गुरु बालक दास साहेब की जीवनी : गुरु बालक दास जी के पिता का नाम गुरु घासीदास और माता का नाम सफुरा है.गुरु बालक दास जी का विवाह नवलपुर, बेमेतरा के निवासी सुनहरदास चतुर्वेदी की पुत्री निरा माता के साथ हुआ. दूसरा विवाह चितेर सिलवट की बेटी राधा के साथ हुआ. गुरु बालक दास जी ने दो विवाह किये थे. दोनों माताओं से उन्हे संतान प्राप्त हुआ. राधा माता से पुत्र साहेबदास जी की प्राप्ति हुई. माता निरा से गंगा और गलारा नामक दो पुत्री का प्राप्ति हुआ था.

कब हुई थी मृत्यु : गुरु बालक दास सन 16 मार्च 1860 को औराबांधा, मुंगेली में मीटिंग में गए थे.रात में जब विश्राम कर रहे थे तो शत्रुओं ने प्राण घात हमला कर दिया. जिसमें गुरु बालक दास गंभीर घायल हो गए थे. लोग उन्हें सतनामियों के तात्कालिक राजधानी भंडारपुर (बलौदा बाजार) ले जाना चाहते थे.लेकिन अचानक रास्ता बदलकर नवलपुर (बेमेतरा) ले जाने लगे रास्ते में कोसा नामक गांव में 17 मार्च 1860 को अंतिम सांस ली. जिसके बाद उनके पार्थिव देह को नवलपुर, बेमेतरा में दफनाया गया.

पंडरिया : सतनाम पंथ के गुरु बालक दास जी की जयंती (Guru Balak Das birth anniversary) ग्राम कुंडा में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई. इस अवसर पर पूजा अर्चना ,दीप प्रज्वलन, पुष्प अर्पण कर उन्हें याद किया गया. पवित्र जैतखाम और गुरुजी के छायाचित्र की विशेष पूजा अर्चना कर उनके व्यक्तित्व को याद किया गया. गुरु घासीदास (Follower of Guru Ghasidas) के बताए रास्ते पर चलने संकल्प लिया गया. गुरु घासीदास बाबा के पुत्र गुरु बालक दास की जयंती सतनामी पारा, सतनाम भवन में आयोजित कार्यक्रम में पूजा-अर्चना के साथ सभी ने संकल्प लिया. बाबा के बताएं मार्गों पर चलकर समाज राष्ट्र को सर्वोपरी मानते हुए जनहित में कार्य करते (celebration in Kunda Pandaria ) रहेंगे.

पंडरिया के कुंडा में मनाई गई गुरु बालक दास की जयंती

30 किलोमीटर की यात्रा : इस दौरान पंथी मंगल भजनों की भक्तिमय प्रस्तुति करते हुए सतनामी समाज के अनुवाई के सैकड़ों की संख्या में लालपुर सहित कई गावों का 30 किलोमीटर मोटरसाइकिल डीजे के साथ रैली निकालकर गुरु बालक दास साहेब सतनामी आंदोलन के महानायक प्रमुख सेनापति बाबा बालक दास की जयंती (kunda pandaria news) मनाई. वहीं रैली के माध्यम से सतनामी समाज के लोगों द्वारा चौक चौराहे पर मनके मनके एक समान का संदेश देते हुए शूरवीर महाप्रतापी बलिदानी राजा गुरु बालक दास जी के अवतरण दिवस पर समाज के प्रमुखों द्वारा एकजुट का परिचय देते हुए जयंती मनाई.

गुरु बालक दास साहेब की जीवनी : गुरु बालक दास जी के पिता का नाम गुरु घासीदास और माता का नाम सफुरा है.गुरु बालक दास जी का विवाह नवलपुर, बेमेतरा के निवासी सुनहरदास चतुर्वेदी की पुत्री निरा माता के साथ हुआ. दूसरा विवाह चितेर सिलवट की बेटी राधा के साथ हुआ. गुरु बालक दास जी ने दो विवाह किये थे. दोनों माताओं से उन्हे संतान प्राप्त हुआ. राधा माता से पुत्र साहेबदास जी की प्राप्ति हुई. माता निरा से गंगा और गलारा नामक दो पुत्री का प्राप्ति हुआ था.

कब हुई थी मृत्यु : गुरु बालक दास सन 16 मार्च 1860 को औराबांधा, मुंगेली में मीटिंग में गए थे.रात में जब विश्राम कर रहे थे तो शत्रुओं ने प्राण घात हमला कर दिया. जिसमें गुरु बालक दास गंभीर घायल हो गए थे. लोग उन्हें सतनामियों के तात्कालिक राजधानी भंडारपुर (बलौदा बाजार) ले जाना चाहते थे.लेकिन अचानक रास्ता बदलकर नवलपुर (बेमेतरा) ले जाने लगे रास्ते में कोसा नामक गांव में 17 मार्च 1860 को अंतिम सांस ली. जिसके बाद उनके पार्थिव देह को नवलपुर, बेमेतरा में दफनाया गया.

Last Updated : Aug 20, 2022, 7:51 PM IST
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