बस्तर: छत्तीसगढ़ के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को रायपुर निवास कार्यालय से सभी स्कूलों में शाला प्रवेश का शुभारंभ किया. इसी के तहत नक्सल प्रभावित चार जिलों- सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर में डेढ़ दशक से बंद 260 स्कूलों को भी शुरू किया गया. इन स्कूलों में 11 हजार 13 बच्चों ने प्रवेश लिया. जिनमें बीजापुर से सबसे अधिक 158, सुकमा जिले से 97, नारायणपुर जिले से 4, दंतेवाड़ा का एक स्कूल शामिल है. शाला प्रवेश उत्सव के साथ ही प्रदेश के प्राथमिक स्कूल परिसरों में 6 हजार 536 बालवाड़ियों को भी शुरू किया गया. (shala pravesh shubharambh in Bastar )
बस्तर में बंद स्कूल फिर से खुले: शाला प्रवेश के दौरान एडमिशन लेने वाले नए बच्चों को तिलक लगाकर, मिठाई खिलाया गया. बच्चों को स्कूल बस्ता, किताबें और यूनीफॉर्म बांटे गए. मुख्यमंत्री ने फिर से खुले इन स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों और उनके पालकों से वीडियो कॉन्फ्रेंस से बात भी की. बस्तर के सभी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने बच्चों से मन लगाकर पढ़ने के साथ ही खेल-कूद में भी हिस्सा लेने को कहा. शाला प्रवेश उत्सव के दौरान छात्रों के परिजनों ने उनके क्षेत्र में स्कूल खुलने पर खुशी जाहिर की.
छत्तीसगढ़ में शाला प्रवेश उत्सव से विद्यार्थियों के चेहरे खिले, ऐसा रहा पहला दिन
बस्तर में शाला प्रवेश शुभारंभ: पिछले चार दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर में बीते 15 सालों से नक्सली दहशत की वजह से स्कूल बंद थे. यह सभी स्कूल बस्तर संभाग के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हैं. इन इलाकों में नक्सलियों की मौजूदगी की वजह से पूरी तरह से स्कूली शिक्षा ठप पड़ी थी. लेकिन पिछले कुछ सालों से बस्तर पुलिस की तरफ से चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन से नक्सली संगठन कमजोर हुए हैं. यहां के बच्चों को शिक्षा देने के लिए सभी बंद स्कूल दोबारा खोले जा रहे हैं. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा में लगभग 430 स्कूल हैं, जो बंद पड़े हैं. इनमें से गुरुवार को 260 स्कूलों को इस सत्र से खोला गया. जिसे लेकर बच्चों के साथ साथ स्थानीय ग्रामीणों में भी काफी खुशी जताई.