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बस्तर दशहरा पर्व पर पांच दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

जगदलपुर में बस्तर दशहरा के अवसर पर बुधवार को दंतेश्वरी मंदिर के पास टाउन क्लब मैदान में पांच दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. बस्तर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया. यहां 2 अक्टूबर 2022 तक प्रतिदिन शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.

cultural program inaugurated on Bastar Dussehra
पांच दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ
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Published : Sep 28, 2022, 10:46 PM IST

जगदलपुर: बस्तर दशहरा के अवसर पर बुधवार को दंतेश्वरी मंदिर के पास टाउन क्लब मैदान में पांच दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. बस्तर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया. दीपक बैज ने कार्यक्रम को संबोधित किया. सांसद ने सभी कलाकारों को और कार्यक्रम आयोजक बादल संस्था के सभी कार्यकर्ताओं को अपनी शुभकामनाएं दी.

Presentation of Chhattisgarhi Folk Dance
छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य की प्रस्तुति

बस्तर दशहरा के आयोजन से प्रतिभाओं को मिलेगा मौका: बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा कि "बस्तर दशहरा का आयोजन पिछले 2 वर्षों में कोरोना महामारी के कारण नहीं कर पाए थे. इसलिए इस वर्ष छोटे स्वरूप में ही सही, हमने यह आयोजन करने का निर्णय लिया. इस आयोजन में बस्तर के अलावा छत्तीसगढ़ और भारत के अन्य प्रांतों की भी प्रस्तुति होगी. इस प्रस्तुति का आनंद दशहरा देखने आए हुए सभी ग्रामीण और नगरवासी अवश्य लें. ऐसे आयोजन से बस्तर की प्रतिभाओं को भी आगे आने का मौका मिलेगा. संस्कृति संरक्षण के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित की जा रही है.

यह पर्व सामाजिक समरसता का प्रतीक: कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि "विश्व प्रसिद्ध 75 दिवसीय बस्तर दशहरा की विशेष पहचान है. इसे देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक आते हैं. स्थानीय निवासियों की भी श्रद्धा इस पर्व से जुड़ी हुई है. इस दशहरा में पूरे अंचल से देवी देवता और ग्रामीणजनों का आगमन होता है. यह पर्व सामाजिक समरसता का प्रतीक है. जिसमें बस्तर की विभिन्न जनजातियों की सहभागिता प्रत्येक रस्मों में विशेष रूप से निश्चित होती है.

यह भी पढ़ें: Navratri 2022 नवरात्रि में बन रहा अद्भुत संयोग, जानिए कैसा होगा प्रभाव

इस वर्ष बस्तर दशहरा में एक नई पहल: इस वर्ष बस्तर दशहरा में एक नई पहल की गई है. जिसमें बस्तर दशहरा का सांस्कृतिक आयोजन जिला प्रशासन के सहयोग से बादल संस्थान द्वारा टाऊन क्लब मैदान में किया जा रहा है. 28 सितम्बर से 02 अक्टूबर तक इस कार्यक्रम में आपको बस्तर की एवं देश की लोक-संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. बादल संस्थान की स्थापना बस्तर की लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन तथा शुद्ध रूप से अगली पीढ़ी तक हस्तांतरण करने के उद्देश्य से किया गया है. बादल संस्थान अपने उद्देश्यों की पूर्ती हेतु लगातार कई कार्यक्रमों की श्रृंखला प्रारंभ कर चुका है. जिसकी एक कड़ी आज बस्तर दशहरा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी है.

Mohri maestro Srinath performing
बिस्माल्लाह खान पुरस्कार प्राप्त मोहरी वादक श्रीनाथ प्रस्तुति देते हुए


अनेक हिस्सों की सांस्कृतिक झलक होगी प्रस्तुत: दशहरा के उपलक्ष्य में पांच दिवसीय सांस्कृतिक आयोजन में प्रतिदिन स्थानीय एवं संभाग स्तर के लोकनर्तक दलों की पारंपरिक लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां दी जायेगी. स्कूली एवं महाविद्यालयीन छात्र छात्राओं द्वारा शास्त्रीय एवं लोक संस्कृति पर आधारित प्रस्तुतियाँ, दक्षिण मध्य क्षेत्र नागपुर के माध्यम से सांस्कृतिक दलों द्वारा देश के अनेक हिस्सों की सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत की जायेगी तथा विविध कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये जायेंगे. इस वर्ष के आयोजन में आपको बस्तर की संस्कृति, छत्तीसगढ़ की संस्कृति के साथ ही भारत के अन्य क्षेत्रों की आंचलिक संस्कृति के भी दर्शन होगें.

स्थानीय लोक कलाकारों के साथ ही अन्य अंचलों की संस्कृति का हुआ प्रदर्शन: कार्यक्रमों की श्रृंखला में पहले दिन बिस्माल्लाह खान पुरस्कार प्राप्त मोहरी वादक श्रीनाथ और साथियों द्वारा बस्तर के वाद्य यंत्रो का वादन, हरप्रीत कौर द्वारा छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य की प्रस्तुति दी गई. दरभा के पीलाराम व साथियों द्वारा परब लोकनृत्य की प्रस्तुति, तेलगांना-लंबाडी के नागार्जुना द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के माथुरी नृत्य की प्रस्तुति, आंध्रप्रदेश के रमेश दक्षिण मध्य क्षेत्र कोगू कोया नृत्य की प्रस्तुति, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जमावाड़ा एवं अखंड ज्योति विद्या मंदिर बकावण्ड के छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न नृत्य की प्रस्तुतियाँ प्रमुख आकर्षण रहे.

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला 02 अक्टूबर तक रहेंगी जारी: सांस्कृतिक कार्यक्रमों की ये मनभावन प्रस्तुतियां आयोजन के दूसरे दिन भी देखने को मिलेगी. 2 अक्टूबर 2022 तक प्रतिदिन शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. दूसरे दिन के कार्यक्रमों की श्रृंखला में जगदलपुर की श्रुति सरोज द्वारा कत्थक नृत्य की प्रस्तुति, भैरम डोकरा समिति, नागंलसर जगदलपुर के सोमाराम द्वारा धुरवा लोकनृत्य की प्रस्तुत होगी. सुर श्रृंगार सामाजिक सांस्कृतिक लोक कला मंच द्वारा बस्तर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो पर गीत प्रस्तुति होगी.

जगदलपुर: बस्तर दशहरा के अवसर पर बुधवार को दंतेश्वरी मंदिर के पास टाउन क्लब मैदान में पांच दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. बस्तर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया. दीपक बैज ने कार्यक्रम को संबोधित किया. सांसद ने सभी कलाकारों को और कार्यक्रम आयोजक बादल संस्था के सभी कार्यकर्ताओं को अपनी शुभकामनाएं दी.

Presentation of Chhattisgarhi Folk Dance
छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य की प्रस्तुति

बस्तर दशहरा के आयोजन से प्रतिभाओं को मिलेगा मौका: बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा कि "बस्तर दशहरा का आयोजन पिछले 2 वर्षों में कोरोना महामारी के कारण नहीं कर पाए थे. इसलिए इस वर्ष छोटे स्वरूप में ही सही, हमने यह आयोजन करने का निर्णय लिया. इस आयोजन में बस्तर के अलावा छत्तीसगढ़ और भारत के अन्य प्रांतों की भी प्रस्तुति होगी. इस प्रस्तुति का आनंद दशहरा देखने आए हुए सभी ग्रामीण और नगरवासी अवश्य लें. ऐसे आयोजन से बस्तर की प्रतिभाओं को भी आगे आने का मौका मिलेगा. संस्कृति संरक्षण के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित की जा रही है.

यह पर्व सामाजिक समरसता का प्रतीक: कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि "विश्व प्रसिद्ध 75 दिवसीय बस्तर दशहरा की विशेष पहचान है. इसे देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक आते हैं. स्थानीय निवासियों की भी श्रद्धा इस पर्व से जुड़ी हुई है. इस दशहरा में पूरे अंचल से देवी देवता और ग्रामीणजनों का आगमन होता है. यह पर्व सामाजिक समरसता का प्रतीक है. जिसमें बस्तर की विभिन्न जनजातियों की सहभागिता प्रत्येक रस्मों में विशेष रूप से निश्चित होती है.

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इस वर्ष बस्तर दशहरा में एक नई पहल: इस वर्ष बस्तर दशहरा में एक नई पहल की गई है. जिसमें बस्तर दशहरा का सांस्कृतिक आयोजन जिला प्रशासन के सहयोग से बादल संस्थान द्वारा टाऊन क्लब मैदान में किया जा रहा है. 28 सितम्बर से 02 अक्टूबर तक इस कार्यक्रम में आपको बस्तर की एवं देश की लोक-संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. बादल संस्थान की स्थापना बस्तर की लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन तथा शुद्ध रूप से अगली पीढ़ी तक हस्तांतरण करने के उद्देश्य से किया गया है. बादल संस्थान अपने उद्देश्यों की पूर्ती हेतु लगातार कई कार्यक्रमों की श्रृंखला प्रारंभ कर चुका है. जिसकी एक कड़ी आज बस्तर दशहरा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी है.

Mohri maestro Srinath performing
बिस्माल्लाह खान पुरस्कार प्राप्त मोहरी वादक श्रीनाथ प्रस्तुति देते हुए


अनेक हिस्सों की सांस्कृतिक झलक होगी प्रस्तुत: दशहरा के उपलक्ष्य में पांच दिवसीय सांस्कृतिक आयोजन में प्रतिदिन स्थानीय एवं संभाग स्तर के लोकनर्तक दलों की पारंपरिक लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां दी जायेगी. स्कूली एवं महाविद्यालयीन छात्र छात्राओं द्वारा शास्त्रीय एवं लोक संस्कृति पर आधारित प्रस्तुतियाँ, दक्षिण मध्य क्षेत्र नागपुर के माध्यम से सांस्कृतिक दलों द्वारा देश के अनेक हिस्सों की सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत की जायेगी तथा विविध कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये जायेंगे. इस वर्ष के आयोजन में आपको बस्तर की संस्कृति, छत्तीसगढ़ की संस्कृति के साथ ही भारत के अन्य क्षेत्रों की आंचलिक संस्कृति के भी दर्शन होगें.

स्थानीय लोक कलाकारों के साथ ही अन्य अंचलों की संस्कृति का हुआ प्रदर्शन: कार्यक्रमों की श्रृंखला में पहले दिन बिस्माल्लाह खान पुरस्कार प्राप्त मोहरी वादक श्रीनाथ और साथियों द्वारा बस्तर के वाद्य यंत्रो का वादन, हरप्रीत कौर द्वारा छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य की प्रस्तुति दी गई. दरभा के पीलाराम व साथियों द्वारा परब लोकनृत्य की प्रस्तुति, तेलगांना-लंबाडी के नागार्जुना द्वारा दक्षिण मध्य क्षेत्र के माथुरी नृत्य की प्रस्तुति, आंध्रप्रदेश के रमेश दक्षिण मध्य क्षेत्र कोगू कोया नृत्य की प्रस्तुति, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जमावाड़ा एवं अखंड ज्योति विद्या मंदिर बकावण्ड के छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न नृत्य की प्रस्तुतियाँ प्रमुख आकर्षण रहे.

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला 02 अक्टूबर तक रहेंगी जारी: सांस्कृतिक कार्यक्रमों की ये मनभावन प्रस्तुतियां आयोजन के दूसरे दिन भी देखने को मिलेगी. 2 अक्टूबर 2022 तक प्रतिदिन शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. दूसरे दिन के कार्यक्रमों की श्रृंखला में जगदलपुर की श्रुति सरोज द्वारा कत्थक नृत्य की प्रस्तुति, भैरम डोकरा समिति, नागंलसर जगदलपुर के सोमाराम द्वारा धुरवा लोकनृत्य की प्रस्तुत होगी. सुर श्रृंगार सामाजिक सांस्कृतिक लोक कला मंच द्वारा बस्तर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो पर गीत प्रस्तुति होगी.

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