जगदलपुर: 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरे की महत्वपूर्ण पाठ जात्रा और डेरी गढ़ई रस्म विधि विधान के साथ बीते दिनों संपन्न किया गया. जिसके बाद शुक्रवार सुबह बस्तर में बारसी उतारनी रस्म जिसमें कारीगर अपने औजारों और लकड़ियों की पूजा करते हैं. इस रस्म की पूजा विधान के बाद आज से बस्तर दशहरे में पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहने वाले विशालकाय रथ निर्माण का कार्य शुरू किया गया है. लगभग 30 फीट ऊंची और 30 टन वजनी विशालकाय रथ बनाने के लिए सरई के बड़े पेड़ों को काटकर बस्तर के ग्रामीण जगदलपुर शहर के चिन्हित जगह में लाकर जमा करते है.Bastar Dussehra barsi utarni Ritual
बस्तर में रथ निर्माण शुरू: विशालकाय रथ निर्माण के लिए विशेष झाड़उमरगांव और बेड़ाउमरगांव के लगभग 150 ग्रामीण कारीगर रथ जगदलपुर के सिरहसार भवन पहुंचे हैं. जिसके सामने रथ निर्माण का कार्य शुरू किया गया है. रथ कारीगर ने बताया कि वर्षों से केवल इन्ही दोनों गाँव के ग्रामीण बनाते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस विशालकाय रथ को बनाने में लगभग 15 दिन का समय लगेगा. जिसके बाद इसे विजयदशमी के दिन यानी कि बस्तर की महत्वपूर्ण रस्म भीतर रैनी और बाहर रैनी के दिन चलाया जाएगा. साथ ही यह भी बताया कि वे अपने पारंपरिक औजारों से ही रथ का निर्माण वर्षो से करते आ रहे हैं.
बस्तर दशहरा पर्व 2022: विशालकाय रथ निर्माण के लिए ऐसे आती है लकड़ियां
एक तरफ पूरे भारत देश में दशहरे पर्व के दौरान रावण का पुतला दहन किया जाता है लेकिन बस्तर में 8 चक्के वाले विशालकाय रथ में बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी के छत्र को सवार करके शहर में भ्रमण करवाया जाता है और यही रथ दशहरे पर्व में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहती है. जिसे देखने के लिए प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक अलग अलग स्थानों से बस्तर पहुंचते हैं.