भिलाई : पुरानी भिलाई थाना क्षेत्र के हथखोज दुर्गा स्टील रोल्स फैक्ट्री से एक टैंकर बायोडीजल जब्त किया गया है. पुलिस ने इस मामले में फैक्ट्री के मैनेजर को गिरफ्तार किया है. फैक्ट्री संचालक समर सिंह कई महीनों से बिना जिला प्रशासन की अनुमति के बायोडीजल की हेराफेरी कर रहा था. इसकी जानकारी होने पर पुलिस ने छापेमारी कर टैंकर सहित हजारों लीटर बायोडीजल जब्त किया.
स्टील कंपनी की आड़ में बायोडीजल का खेल
पुरानी भिलाई थाना प्रभारी विनय बघेल ने बताया कि उन्हें मुखबिर से सूचना मिली थी कि दुर्गा स्टील फैक्ट्री में कई महीने से दूसरे राज्य का टैंकर आता है और चला जाता है. इस पर पुलिस एक्टिव हो गई. पुलिस को सूचना मिली कि दुर्गा स्टील में डीडी 01 सी 9468 नंबर का टैंकर अंदर आया है. पुलिस ने तत्काल वहां छापेमारी की. इस दौरान फैक्ट्री के अंदर बायोडीजल से भरा टैंकर और उससे डीजल खाली करने के लिए इलेक्ट्रिक रीफिलिंग मशीन मिली. टैंकर में 29 हजार 452 लीटर बायो डीजल था. पुलिस ने करीब 34 लाख रुपए का डीजल, टैंकर और रीफिलिंग मशीन जब्त किया है. पुलिस ने फैक्ट्री के मैनेजर चंद्रशेखर सिंह से पूछताछ की. संतोषजनक जवाब नहीं देने पर गिरफ्तार कर लिया. वहीं फैक्ट्री मालिक समर सिंह मौके से फरार हो गया. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 102 के तहत कार्रवाई की है.
ये भी पढ़ें- दुर्ग: चोरी के दो अलग मामले में पति-पत्नी समेत 6 आरोपी गिरफ्तार
दूसरे राज्यों का बायोडीजल छत्तीसगढ़ में खपाया
स्टील फैक्ट्री की आड़ में बायोडीजल की हेराफेरी का काला कारोबार लंबे समय से फल-फूल रहा था. इसके लिए हथखोज की दुर्गा स्टील फैक्ट्री में टैंकर से डीजल लाया जाता और फिर बेचा जाता. दुर्गा स्टील का मालिक मूलत: यूपी के प्रतापगढ़ का रहने वाला है. वह गुजरात में रहता है. समर सिंह गुजरात से ही अवैध कारोबार को संचालित करता है. समर सिंह सस्ते दाम पर बायोडीजल दूसरे राज्यों से खरीदता और फिर भिलाई लाकर उसे बेचता था. इस तेल के खेल में करोड़ों रुपए का चूना अबतक सरकार को लग चुका है.
जिला प्रशासन को भी नहीं लगी भनक
जिला खाद्य अधिकारी सीपी दीपांकर ने बताया कि बायोडीजल रतनजोत और अन्य वनस्पति से तैयार किया जाता है. इसके अलावा अभी धान से इथेनॉल तैयार कर डीजल और पेट्रोल में मिलाकर बेचा जा रहा है. बायोडीजल बाजार में 75 से 80 रुपए लीटर कीमत में मिल जाता है. वहीं डीजल 98-100 रुपए के बीच है. ऐसे में ट्रक मालिकों को एक लीटर के पीछे 20-25 रुपए की बचत होती है. इसी के लालच में ट्रक चालक बायोडीजल खरीदते हैं और उसे वाहन में इस्तेमाल करते हैं. वहीं बायोडीजल बेचने के लिए भी पेट्रोल पंप की तरह लाइसेंस लेना पड़ता है. प्रदेश में कुछ ही जगहों पर बायोडीजल पम्प हैं. जिले में बायोडीजल पम्प नहीं होने के चलते इसकी डिमांड काफी ज्यादा है. ऐसे में कारोबारी दूसरे राज्यों से बायोडीजल मंगाकर अवैध रूप से ब्लैक में बेचते थे.