दुर्ग : सरकारी स्कूल के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए अब सोया मिल्क की जगह प्रोटीनयुक्त चिक्की (गुड़ पापड़ी) दी जाएगी. प्राइमरी और मिडिल स्कूल के बच्चों को सप्ताह में दो बार चिक्की दिया जाएगा. प्राइमरी के बच्चे को महीने में 4 बार चिक्की दिया जाएगा. प्राइमरी के बच्चों को एक बार में 30 ग्राम यानी महीने में 240 ग्राम. इस तरह मिडिल के बच्चों को एक बार में 60 ग्राम और महीने में 580 ग्राम चिक्की मिलेगी.
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दुर्ग जिले में प्राइमरी के 585 और मिडिल के 341 स्कूल हैं. जिसमे प्राइमरी में 60 हजार 145 और मिडिल में 44 हजार 102 बच्चों को चिक्की का वितरण किया जाएगा. कई स्कूलों में चिक्की का विरतण शुरू किया जा चुका है. राज्य सरकार की ओर से स्कूली बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए पहले सोया मिल्क दिया जा रहा था. प्राइमरी के बच्चे को 100 मिलीलीटर और मिडिल के बच्चों को 150 मिलीलीटर सोया मिल्क दिया जा रहा था, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते सोया मिल्क वितरण पर रोक लगा दी गई है. सरकार ने सोया मिल्क की जगह चिक्की वितरण करने का निर्णय लिया है.
स्कूलों में सोया मिल्क की सप्लाई होने के बाद लंबे समय तक दूध को रखने में दिक्कत आ रही थी. दूध के पैकेजिंग में लीकेज होने से दूध खराब हो जाता था. लगातार स्कूलों से इस तरह शिकायत सामने आ रहे थी. गुड़ पापड़ी में इस तरह की समस्या से स्कूल प्रबंधन को छुटकारा भी मिल गया है. जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास बघेल ने बताया कि प्राइमरी और मिडिल स्कूल के बच्चों को सोया मिल्क विरतण में दिक्कतें आ रही थी. सोया मिल्क के खराब होने की शिकायत आ रही थी, जिसकी जानकारी पत्र के माध्यम से राज्य सरकार और बीज निगम को दिया गया था. जिले में सोया मिल्क की सप्लाई अधिक होने से रखने की पर्याप्त संसाधन नहीं होने से सोया मिल्क खराब जरूर हुए थे.