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SPECIAL: गोबर और बांंस से बनी राखियों से चमक उठेगा त्योहार, महिलाओं को मिला रोजगार

धमतरी के महिला स्वसहायता समूह ने गोबर और बांस की ऐसी राखियां बनाई हैं कि देखने वाले देखते रह जाएं. बच्चों के लिए अलग, भाई-भाभी की जोड़े वाली राखी अलग. स्वदेशी की चाह रखने वालों को ये राखियां बहुत पसंद आने वाली हैं. कहां-कहां मिलेंगी और इनके दाम क्या हैं, जानने के लिए देखिए ये रिपोर्ट...।

cow dung and bamboo rakhi
गोबर की बनी राखियां
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Published : Jul 10, 2020, 2:31 PM IST

Updated : Jul 10, 2020, 3:39 PM IST

धमतरी: जैसे-जैसे रक्षाबंधन का त्योहार पास आता है. बाजार सजने लगते हैं. रंग-बिरंगी राखियों से अलग ही रौनक आ जाती है. इस साल शायद बाजारों में भीड़ कम दिखे. कोरोना वायरस के संक्रमण ने जहां सामान्य जनजीवन को प्रभावित किया, वहीं भारत में लोग चीन के सामान का बहिष्कार कर रहे हैं. गलवान झड़प के बाद लोग 'वोकल फॉर लोकल' होने लगे हैं और इसकी खूबसूरत तस्वीर देखने को मिल रही है धमतरी जिले से.

गोबर और बांस से तैयार की राखियां

धमतरी जिले की महिलाओं ने स्वदेशी राखियां बनाई हैं. जिले के 20 स्वसहायता समूहों की करीब 165 महिलाओं ने बांस और गोबर से सुंदर-सुंदर राखियां तैयार की हैं. पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाई गई इन राखियों को 'ओज' नाम दिया गया है. खास बात ये भी है कि इन राखियों में महिलाओं ने पौधे के बीज भी डाले हैं. राखियों के टूटने पर पर अगर उन्हें क्यारियों में डाल दिया जाए, तो पौधे पनप सकते हैं.

Rakhi
राखी

पढे़ें- SPECIAL: रायपुर की ऋतिका ने बनाई देसी राखियां, चीनी राखियों को बैन करने की मांग

धमतरी में छाती और छिपली जबर्रा में स्वसहायता समूह की महिलाएं करीब 2 महीने से राखी बनाने का काम कर रही हैं. ये राखियां जिले में पहली बार बिहान योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिलाने और चाइनीज राखियों को बाजार से बाहर करने के उद्देश्य से तैयार की जा रही हैं. समूह की महिलाएं बांस और गोबर से यह राखियां तैयार कर रही हैं. इसमें बच्चों की राखियां, बांस की राखियां, गोबर की राखियां, कुमकुम और अक्षत बंधन राखियां बनाई जा रही हैं. पर्यावरण के अनुकूल इस राखियों में प्लास्टिक का इस्तेमाल जरा भी नहीं है.

Rakhi
बांस की राखियां

बच्चों के लिए कार्टून वाली राखियां

महिलाएं बच्चों के लिए रंग-बिरंगे राखियां तैयार कर रही हैं. इसमें इरेजर, शार्पनर, की-चेन, छोटा भीम, गणेशा, सैंटा क्लॉज जैसे सुंदर और मजबूत डिजाइन शामिल हैं. भाई-बहन के साथ-साथ ननद-भाभी के रिश्ते को भी मजबूत करने के लिए कुमकुम राखी के जोड़े तैयार किए गए हैं. बांस की हस्तनिर्मित राखी, बीज राखी और गोबर की राखियां बनाकर बेचने से निश्चित तौर पर महिलाओं का मनोबल बढ़ेगा वहीं महिलाएं आत्मनिर्भर भी बनेंगी.

Cow Dung and bamboo rakhi
गोबर और बांस की राखियां

25 हजार राखियों का लक्ष्य

जिला पंचायत CEO के मुताबिक हर समूह को 25 हजार राखियां बनाने का लक्ष्य दिया गया है. अब तक करीब 10,000 राखियां तैयार हो गई हैं. इसके अलावा 1200 राखियों का ऑर्डर भी आ चुका है. राखियों को बेचने के लिए शहर में अलग-अलग जगह स्टॉल लगाए जाएंगे. इसके अलावा जिले के तमाम ब्लाकों में भी स्टॉल लगेंगे, जिससे बिक्री हो पाएगी. वहीं ऑनलाइन बिक्री की सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी.

Rakhi
राखियां

50 से 120 तक की राखियां

अलग-अलग राखियों के दाम भी अलग-अलग तय किए गए हैं. इसमें बच्चों की राखियां 50 रुपए से शुरू होकर 120 रुपए तक हैं. वही बांस की बनी राखियां 90 रुपए से शुरू हैं तो गोबर की राखियां और भाई-भाभी वाली राखियां 120 रुपए तक बेची जाएंगी. बच्चों के लिए बनाई गई राखियों को क्रोशिया और एम्ब्रॉयडरी धागों से तैयार किया जा रहा है.

धमतरी: जैसे-जैसे रक्षाबंधन का त्योहार पास आता है. बाजार सजने लगते हैं. रंग-बिरंगी राखियों से अलग ही रौनक आ जाती है. इस साल शायद बाजारों में भीड़ कम दिखे. कोरोना वायरस के संक्रमण ने जहां सामान्य जनजीवन को प्रभावित किया, वहीं भारत में लोग चीन के सामान का बहिष्कार कर रहे हैं. गलवान झड़प के बाद लोग 'वोकल फॉर लोकल' होने लगे हैं और इसकी खूबसूरत तस्वीर देखने को मिल रही है धमतरी जिले से.

गोबर और बांस से तैयार की राखियां

धमतरी जिले की महिलाओं ने स्वदेशी राखियां बनाई हैं. जिले के 20 स्वसहायता समूहों की करीब 165 महिलाओं ने बांस और गोबर से सुंदर-सुंदर राखियां तैयार की हैं. पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाई गई इन राखियों को 'ओज' नाम दिया गया है. खास बात ये भी है कि इन राखियों में महिलाओं ने पौधे के बीज भी डाले हैं. राखियों के टूटने पर पर अगर उन्हें क्यारियों में डाल दिया जाए, तो पौधे पनप सकते हैं.

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राखी

पढे़ें- SPECIAL: रायपुर की ऋतिका ने बनाई देसी राखियां, चीनी राखियों को बैन करने की मांग

धमतरी में छाती और छिपली जबर्रा में स्वसहायता समूह की महिलाएं करीब 2 महीने से राखी बनाने का काम कर रही हैं. ये राखियां जिले में पहली बार बिहान योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिलाने और चाइनीज राखियों को बाजार से बाहर करने के उद्देश्य से तैयार की जा रही हैं. समूह की महिलाएं बांस और गोबर से यह राखियां तैयार कर रही हैं. इसमें बच्चों की राखियां, बांस की राखियां, गोबर की राखियां, कुमकुम और अक्षत बंधन राखियां बनाई जा रही हैं. पर्यावरण के अनुकूल इस राखियों में प्लास्टिक का इस्तेमाल जरा भी नहीं है.

Rakhi
बांस की राखियां

बच्चों के लिए कार्टून वाली राखियां

महिलाएं बच्चों के लिए रंग-बिरंगे राखियां तैयार कर रही हैं. इसमें इरेजर, शार्पनर, की-चेन, छोटा भीम, गणेशा, सैंटा क्लॉज जैसे सुंदर और मजबूत डिजाइन शामिल हैं. भाई-बहन के साथ-साथ ननद-भाभी के रिश्ते को भी मजबूत करने के लिए कुमकुम राखी के जोड़े तैयार किए गए हैं. बांस की हस्तनिर्मित राखी, बीज राखी और गोबर की राखियां बनाकर बेचने से निश्चित तौर पर महिलाओं का मनोबल बढ़ेगा वहीं महिलाएं आत्मनिर्भर भी बनेंगी.

Cow Dung and bamboo rakhi
गोबर और बांस की राखियां

25 हजार राखियों का लक्ष्य

जिला पंचायत CEO के मुताबिक हर समूह को 25 हजार राखियां बनाने का लक्ष्य दिया गया है. अब तक करीब 10,000 राखियां तैयार हो गई हैं. इसके अलावा 1200 राखियों का ऑर्डर भी आ चुका है. राखियों को बेचने के लिए शहर में अलग-अलग जगह स्टॉल लगाए जाएंगे. इसके अलावा जिले के तमाम ब्लाकों में भी स्टॉल लगेंगे, जिससे बिक्री हो पाएगी. वहीं ऑनलाइन बिक्री की सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी.

Rakhi
राखियां

50 से 120 तक की राखियां

अलग-अलग राखियों के दाम भी अलग-अलग तय किए गए हैं. इसमें बच्चों की राखियां 50 रुपए से शुरू होकर 120 रुपए तक हैं. वही बांस की बनी राखियां 90 रुपए से शुरू हैं तो गोबर की राखियां और भाई-भाभी वाली राखियां 120 रुपए तक बेची जाएंगी. बच्चों के लिए बनाई गई राखियों को क्रोशिया और एम्ब्रॉयडरी धागों से तैयार किया जा रहा है.

Last Updated : Jul 10, 2020, 3:39 PM IST
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