धमतरी :छत्तीसगढ़ की सरकार और प्रशासन ने गांवों में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है.गांवों में पराली जलाने पर सजा का भी प्रावधान है. बावजूद इसके कुछ गांवों में इसे लेकर लोग जागरुक नहीं है.वहीं बात यदि धमतरी जिले की हो तो बात कुछ और ही है. गांवों की तो बात छोड़िए पराली जलाने के लिए जिला मुख्यालय भी पीछे नहीं है. धमतरी में तो कलेक्टर, एसपी के निवास (Collector Residence in Dhamtari) के पास ही खुलेआम पराली जलाई जा रही है, वो भी उस सड़क के किनारे. इस सड़क से रोजाना, कलेक्टर एसपी सहित, जिले के तमाम बड़े अधिकारी रोजाना आते जाते हैं. लेकिन किसी की भी नजर नहीं पड़ती.
क्यों जलाई जा रही पराली : पराली जलाने को लेकर प्रशासन के नियम तो कड़े हैं.लेकिन इसे अमल में लाने के लिए सख्ती नहीं दिखाई जाती.जिसका परिणाम ये है कि अब अधिकारियों के सामने ही पराली की होली जल रही (Ban on stubble burning in Chhattisgarh) है. लेकिन कोई कुछ नहीं कर रहा. ऐसे खुलेआम पराली जलाने के कारण कभी भी बड़ा हादसा होने की संभावना है. इसे प्रशासन की लापरवाही कहें या किसानों में जागरूकता की कमी.क्योंकि इस तरह से ना सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है बल्कि इंसानों की सेहत भी खराब होगी.
किसान क्यों जलाते हैं पराली : किसानों की बीच ऐसी मान्यता है कि फसलों के अवशेष को खेत में जलाने से खरपतवार एवं कीड़ों को खत्म किया जा सकता है. जबकि, हकीकत यह है कि ऐसा करने से फायदे से ज्यादा नुकसान है. किसानों के बीच इस धारणा को खत्म करने के लिए किसानों के बीच जनजागरुकता अभियान भी राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जा रहा है.
पराली जलाने के नुकसान : यदि आपके आसपास के क्षेत्र में पराली जलाई जा रही है तो जीवन में सांस लेने की समस्या, आंखों में जलन, गले की समस्या पैदा हो सकती हैं . साथ ही मृदा में कार्बनिक पदार्थ की क्षति, जमीन में पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणुओं का सफाया, मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी भी हो जाएगी. इसके लिए कृषि यांत्रिकरण योजना के माध्यम से रीपर कम बाईंडर, स्ट्रॉ बेनर, हैप्पी सीडर तथा रोटरी मल्चर पर आकर्षक अनुदान की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है.
प्रशासन की सख्ती से ही निकलेगा हल : नियम कायदों और प्रतिबन्ध का कोई खौफ किसानों में नहीं दिखाई देता. प्रशासन भी प्रतिबंध को कागजों में जारी करके भूल गया है. कलेक्टर आवास के पास खुलेआम पराली जलने पर भी मातहतों की आंखों में नियम का उल्लंघन नहीं दिखता. ऐसे में यदि इस तरह की चीजों को रोकना है तो प्रशासन को अपना डंडा चलाना ही होगा.ताकि पराली जलाने के नुकसान से जिले को बचाया जा सके.