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फिल्म भूलन द मेज जीत रही दर्शकों का दिल, धमतरी में टीम ने किया प्रमोशन - Kailash Kher voice in Bhoolan The Maze

छत्तीसगढ़ और बॉलीवुड कलाकारों को लेकर बनाई गई फिल्म भूलन द मेज दर्शकों की कसौटी पर खरी उतरी है. इस फिल्म के प्रमोशन के लिए इसके निर्देशक और कलाकार धमतरी (Promotion of film Bhulan The Maze) पहुंचे.

The film 'Bhulan The Maze' is winning the hearts of the audience.
फिल्म भूलन द मेज जीत रही दर्शकों का दिल
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Published : Jun 1, 2022, 12:24 PM IST

Updated : Jun 1, 2022, 1:51 PM IST

धमतरी: "भूलन द मेज" छॉलीवुड और बॉलीवुड को मिलाकर हंसी-मजाक और प्रेरणात्मक फिल्म है. इस फिल्म की टीम मंगलवार को धमतरी के विमल टॉकीज (Promotion of film Bhulan The Maze) पहुंची. टीम ने इस फिल्म के बारे में विस्तार से जानकारी दी. फिल्म के निर्देशक मनोज वर्मा लंबे समय से कई फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं. यह फिल्म भूल भुलैया पर आधारित है. खास बात यह है कि इस फिल्म ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है.

धमतरी में भूलन द मेज का प्रमोशन

क्या है भूलन का मतलब : निर्देशक के मुताबिक ''जंगल में जो भूलन पाया जाता है और कहा जाता है कि यदि व्यक्ति ने उसे पार कर लिया तो वह जंगल में भटकता रहता है. इसी तरह कोई ग्रामीण जब शहर पहुंचता है तो वह न्याय व्यवस्था सहित अन्य व्यवस्थाओं के बीच कैसे चक्कर काटता रहता है. फिल्म इसी पर आधारित है. संजीव बख्शी के उपन्यास पर फिल्म को बनाया गया है.''

कौन-कौन से हैं कलाकार : इस फिल्म में छत्तीसगढ़ के अलावा बॉलीवुड के भी कलाकार (cast of film bhulan the mage) हैं. इसकी ज्यादातर शूटिंग गरियाबंद जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है. फिल्म में मीर अली मीर के नंदा जाही रे गाना को प्रमुखता से लिया गया है ताकि छत्तीसगढ़ की संस्कृति जीवित रहे.

बॉलीवुड की भी टीम : फिल्म में कैलाश खेर ने भी गाना गाया ( Kailash Kher voice in Bhoolan The Maze) है. मोंटी शर्मा ने बैकग्राउंड म्यूजिक दिया है. यह फिल्म देश के कई क्षेत्रों में चल रही है. इसके अलावा विदेशों में भी इसे सराहा जा रहा है. फिल्म में संजय, पुष्पेंद्र, राजा दासवाणी सहित अन्य कलाकार हैं. फिल्म का संपादन तुलेन्द्र पटेल ने किया है.

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ी फिल्म "भूलन द मेज" को राष्ट्रीय पुरस्कार, मनोज वर्मा सम्मानित

किस पर आधारित है फिल्म : उपन्यासकार संजीव बख्शी ने बताया कि वे जब प्रशासनिक अधिकारी थे तब जगदलपुर जिला के अलावा रायपुर जिला के गरियाबंद क्षेत्र में भी रहे. इस दौरान उन्हें जंगल और ग्रामीण परिवेश संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिला. वहीं से उन्हें भूलन उपन्यास लिखने की प्रेरणा मिली. इस उपन्यास को तैयार करने में लगभग 4 साल लग गए. जब उपन्यास तैयार हो रहा था, तभी मनोज वर्मा से मुलाकात हुई. उन्होंने इस पर फिल्म बनाने की घोषणा की थी. साहित्यकार विष्णु खरे ने इसकी जमकर तारीफ की थी.

धमतरी: "भूलन द मेज" छॉलीवुड और बॉलीवुड को मिलाकर हंसी-मजाक और प्रेरणात्मक फिल्म है. इस फिल्म की टीम मंगलवार को धमतरी के विमल टॉकीज (Promotion of film Bhulan The Maze) पहुंची. टीम ने इस फिल्म के बारे में विस्तार से जानकारी दी. फिल्म के निर्देशक मनोज वर्मा लंबे समय से कई फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं. यह फिल्म भूल भुलैया पर आधारित है. खास बात यह है कि इस फिल्म ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है.

धमतरी में भूलन द मेज का प्रमोशन

क्या है भूलन का मतलब : निर्देशक के मुताबिक ''जंगल में जो भूलन पाया जाता है और कहा जाता है कि यदि व्यक्ति ने उसे पार कर लिया तो वह जंगल में भटकता रहता है. इसी तरह कोई ग्रामीण जब शहर पहुंचता है तो वह न्याय व्यवस्था सहित अन्य व्यवस्थाओं के बीच कैसे चक्कर काटता रहता है. फिल्म इसी पर आधारित है. संजीव बख्शी के उपन्यास पर फिल्म को बनाया गया है.''

कौन-कौन से हैं कलाकार : इस फिल्म में छत्तीसगढ़ के अलावा बॉलीवुड के भी कलाकार (cast of film bhulan the mage) हैं. इसकी ज्यादातर शूटिंग गरियाबंद जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है. फिल्म में मीर अली मीर के नंदा जाही रे गाना को प्रमुखता से लिया गया है ताकि छत्तीसगढ़ की संस्कृति जीवित रहे.

बॉलीवुड की भी टीम : फिल्म में कैलाश खेर ने भी गाना गाया ( Kailash Kher voice in Bhoolan The Maze) है. मोंटी शर्मा ने बैकग्राउंड म्यूजिक दिया है. यह फिल्म देश के कई क्षेत्रों में चल रही है. इसके अलावा विदेशों में भी इसे सराहा जा रहा है. फिल्म में संजय, पुष्पेंद्र, राजा दासवाणी सहित अन्य कलाकार हैं. फिल्म का संपादन तुलेन्द्र पटेल ने किया है.

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ी फिल्म "भूलन द मेज" को राष्ट्रीय पुरस्कार, मनोज वर्मा सम्मानित

किस पर आधारित है फिल्म : उपन्यासकार संजीव बख्शी ने बताया कि वे जब प्रशासनिक अधिकारी थे तब जगदलपुर जिला के अलावा रायपुर जिला के गरियाबंद क्षेत्र में भी रहे. इस दौरान उन्हें जंगल और ग्रामीण परिवेश संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिला. वहीं से उन्हें भूलन उपन्यास लिखने की प्रेरणा मिली. इस उपन्यास को तैयार करने में लगभग 4 साल लग गए. जब उपन्यास तैयार हो रहा था, तभी मनोज वर्मा से मुलाकात हुई. उन्होंने इस पर फिल्म बनाने की घोषणा की थी. साहित्यकार विष्णु खरे ने इसकी जमकर तारीफ की थी.

Last Updated : Jun 1, 2022, 1:51 PM IST
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