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महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी धमतरी की बेटी, घर चलाने के लिए सड़कों पर दौड़ाती है फर्राटेदार ऑटो

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Published : Feb 26, 2022, 9:59 AM IST

Updated : Feb 26, 2022, 2:57 PM IST

Dhamtari first female auto driver : आज के इस दौर में बेटियां हर क्षेत्र में आगे हैं. ऐसा कोई भी काम नहीं, जिसे आज बेटियां न कर पाती हों. कठिन से कठिन काम बेटियां बखूबी कर रहीं हैं. हालांकि बेटियों को पराया धन भी कहा जाता है, लेकिन जब यही बेटियां परिवार का हाथ बंटाने के लिए पैसे कमाती हैं तो परिवार वालों का सर फक्र से ऊंचा उठ जाता है.

Dhamtari first female auto driver
धमतरी की महिला ऑटो चालक

धमतरी: जिले के मुजगहन गांव की रहने वाली एक ऐसी ही बेटी इन दिनों दूसरी लड़कियों के लिए मिसाल बन रही है. इस लड़की का नाम द्रौपदी नाग है. लोग उन्हें प्यार से रानू के नाम से पुकारते हैं. ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. 8 साल पहले पिता का देहांत हो गया था. परिवार की जिम्मेदारी उनके मां के कंधों पर आ गई. चूंकि मां महिला समूह से जुड़ी थी, लिहाजा उनको ऑटो चलाने की ट्रेनिंग करने का मौका मिला. शासन की ओर से अनुदान में ऑटो भी मिल गई. उम्रदराज होकर भी वह ऑटो चलाया करती थीं. जिसे देखकर द्रोपती ने फैसला लिया कि वह खुद ऑटो चलाएगी.

धमतरी की महिला ऑटो चालक

ऑटो चलाने में माहिर है द्रोपदी नाग

द्रौपदी ऑटो चलाने में माहिर है. न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी ऑटो की सवारी करते हैं. सुबह 10 बजे से लेकर रात 9 बजे तक द्रौपदी शहर में ऑटो चलाने का काम करती है. द्रौपदी बताती हैं कि वे 12 वीं तक ही पढ़ाई कर पाईं हैं. परिवार की माली हालत उतनी अच्छी नहीं थी कि आगे की पढ़ाई कर पाए. वह पिछले 4 सालों से शहर में ऑटो चला रही है. हालांकि ये काम उन्हें अच्छा नहीं लगता है लेकिन मजबूरी में ऑटो चलाना पड़ रहा है. इस काम से दिनभर में 400 से 500 रुपये तक की कमाई हो जाती है. महिलाएं अपने आपको कमजोर न समझें और हर काम में फोकस करें.

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नहीं मिल रहा शासन की योजनाओं का लाभ

द्रौपदी की मां राधा नाग गांव में छोटी-मोटी मजदूरी का काम का करती हैं. उन्होंने बताया कि घर में उनके अलावा दो बेटियां और हैं, जिनकी शादियां हो गई है. पति के गुजर जाने के बाद उनके सामने जीवनयापन करने की बड़ी चुनौती थी, लेकिन उनकी बेटी ने ऑटो चलाकर परिवार की मुश्किलें कम कर दी है. निराश्रित पेंशन के अलावा शासन की ओर से सिर्फ राशन मिलता है जबकि अन्य योजना जैसे पीएम आवास, उज्ज्वला योजना और शौचालय की राशि नसीब ही नहीं हुई.

हौसले की उड़ान

पड़ोस के रहने वाले ईश्वर लाल सेन का कहना है कि आज के समय जब महिलाएं घर से निकलने में डरती हैं, उस परिस्थिति में द्रौपदी ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है. ये बड़ी बात है. दूसरी महिलाओं को द्रौपदी से सबक लेना चाहिए.

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कलेक्टर ने भी की तारीफ

धमतरी जिला कलेक्टर पी एस एल्मा ने भी द्रौपदी की तारीफ की है. उन्होंने कहा है कि 'लड़की यदि स्वावलंबी है तो ये अच्छी बात है. आज पुरुष और महिलाओं को समान अधिकार मिल रहा है. यदि यह परिवार किसी कारणवश आवास सहित दूसरी योजनाओं से वंचित है और पात्रता रखते हैं तो उन्हें योजना का लाभ दिलाया जाएगा'.

दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा है द्रौपदी

भले ही शौक के तौर पर सम्पन्न घरों की महिलाओं और युवतियों को कार-जीप चलाते आसानी से देखा जा सकता है, लेकिन इन सबके बीच परिवार की गुजर-बसर के लिए दो पैसे कमाने के लिए ऑटो चलाकर सवारी ढोने का संघर्ष करते देखना हम सबके लिए प्रेरणादायक है. द्रौपदी धमतरी जिले की ऐसी पहली युवती है जो ऑटो चालक है और अपने ऑटो से सवारी ढोने का काम करती है. बहरहाल अब यह बेटी परिवार पर बोझ नहीं है बल्कि परिवार का बोझ खुद उठा रही है. वह ऑटो चलाकर गृहस्थी भी बखूबी संभाल रही है.

धमतरी: जिले के मुजगहन गांव की रहने वाली एक ऐसी ही बेटी इन दिनों दूसरी लड़कियों के लिए मिसाल बन रही है. इस लड़की का नाम द्रौपदी नाग है. लोग उन्हें प्यार से रानू के नाम से पुकारते हैं. ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. 8 साल पहले पिता का देहांत हो गया था. परिवार की जिम्मेदारी उनके मां के कंधों पर आ गई. चूंकि मां महिला समूह से जुड़ी थी, लिहाजा उनको ऑटो चलाने की ट्रेनिंग करने का मौका मिला. शासन की ओर से अनुदान में ऑटो भी मिल गई. उम्रदराज होकर भी वह ऑटो चलाया करती थीं. जिसे देखकर द्रोपती ने फैसला लिया कि वह खुद ऑटो चलाएगी.

धमतरी की महिला ऑटो चालक

ऑटो चलाने में माहिर है द्रोपदी नाग

द्रौपदी ऑटो चलाने में माहिर है. न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी ऑटो की सवारी करते हैं. सुबह 10 बजे से लेकर रात 9 बजे तक द्रौपदी शहर में ऑटो चलाने का काम करती है. द्रौपदी बताती हैं कि वे 12 वीं तक ही पढ़ाई कर पाईं हैं. परिवार की माली हालत उतनी अच्छी नहीं थी कि आगे की पढ़ाई कर पाए. वह पिछले 4 सालों से शहर में ऑटो चला रही है. हालांकि ये काम उन्हें अच्छा नहीं लगता है लेकिन मजबूरी में ऑटो चलाना पड़ रहा है. इस काम से दिनभर में 400 से 500 रुपये तक की कमाई हो जाती है. महिलाएं अपने आपको कमजोर न समझें और हर काम में फोकस करें.

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नहीं मिल रहा शासन की योजनाओं का लाभ

द्रौपदी की मां राधा नाग गांव में छोटी-मोटी मजदूरी का काम का करती हैं. उन्होंने बताया कि घर में उनके अलावा दो बेटियां और हैं, जिनकी शादियां हो गई है. पति के गुजर जाने के बाद उनके सामने जीवनयापन करने की बड़ी चुनौती थी, लेकिन उनकी बेटी ने ऑटो चलाकर परिवार की मुश्किलें कम कर दी है. निराश्रित पेंशन के अलावा शासन की ओर से सिर्फ राशन मिलता है जबकि अन्य योजना जैसे पीएम आवास, उज्ज्वला योजना और शौचालय की राशि नसीब ही नहीं हुई.

हौसले की उड़ान

पड़ोस के रहने वाले ईश्वर लाल सेन का कहना है कि आज के समय जब महिलाएं घर से निकलने में डरती हैं, उस परिस्थिति में द्रौपदी ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है. ये बड़ी बात है. दूसरी महिलाओं को द्रौपदी से सबक लेना चाहिए.

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कलेक्टर ने भी की तारीफ

धमतरी जिला कलेक्टर पी एस एल्मा ने भी द्रौपदी की तारीफ की है. उन्होंने कहा है कि 'लड़की यदि स्वावलंबी है तो ये अच्छी बात है. आज पुरुष और महिलाओं को समान अधिकार मिल रहा है. यदि यह परिवार किसी कारणवश आवास सहित दूसरी योजनाओं से वंचित है और पात्रता रखते हैं तो उन्हें योजना का लाभ दिलाया जाएगा'.

दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा है द्रौपदी

भले ही शौक के तौर पर सम्पन्न घरों की महिलाओं और युवतियों को कार-जीप चलाते आसानी से देखा जा सकता है, लेकिन इन सबके बीच परिवार की गुजर-बसर के लिए दो पैसे कमाने के लिए ऑटो चलाकर सवारी ढोने का संघर्ष करते देखना हम सबके लिए प्रेरणादायक है. द्रौपदी धमतरी जिले की ऐसी पहली युवती है जो ऑटो चालक है और अपने ऑटो से सवारी ढोने का काम करती है. बहरहाल अब यह बेटी परिवार पर बोझ नहीं है बल्कि परिवार का बोझ खुद उठा रही है. वह ऑटो चलाकर गृहस्थी भी बखूबी संभाल रही है.

Last Updated : Feb 26, 2022, 2:57 PM IST
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