बिलासपुरः चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के मामले में राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को अपने जवाब में बताया कि विद्यार्थियों को दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट (shift in government medical colleges) किया जाएगा. इसके बाद माना जा रहा है कि मेडिकल के छात्र (medical students) दूसरे कॉलेज में पढ़ कर डॉक्टर (doctor) बन सकेंगे.
शासन ने कोर्ट को बताया कि विद्यार्थियों को दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट किए जाने की दिशा में मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (MCI) को पत्र लिखा है. इस संबंध में दूसरे मेडिकल कॉलेजों (medical colleges) में सीट बढ़ाने की मांग भी की गई है. चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज (Chandulal Chandrakar Medical College) के मामले में हाईकोर्ट ने एमसीआइ (High Court MCI) से 23 सितंबर तक जवाब मांगा है.
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (medical council of india) ने चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज की मान्यता 2018 में खत्म कर दी थी. दरअसल एमसीआइ की टीम को निरीक्षण के दौरान मेडिकल कॉलेज में बहुत सी खामियां मिली थी. जिसके कारण कॉलेज के 2017 बैच में प्रवेश लेने वाले मेडिकल छात्रों के भविष्य पर संकट की स्थिति निर्मित हो गई.
दो साल से सुनवाई है लंबित
इस पर विद्यार्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर (Petition filed in High Court) की है. पिछले दो साल से इस मामले की सुनवाई लंबित है. इस बीच लंबी सुनवाई के बाद राज्य सरकार (State government) ने कोर्ट को बताया था कि विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कॉलेज का अधिग्रहण (college takeover) करने के लिए तैयार है. इस बीच राज्य सरकार ने चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण (Medical college takeover) की प्रक्रिया 14 दिन पहले पूरी कर ली है.
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पारित अधिग्रहण अधिनियम राजपत्र में प्रकाशित
मानसून सत्र में पारित अधिग्रहण अधिनियम को बीते शुक्रवार को राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है. इसके बाद निजी मेडिकल कॉलेज (private medical college) अब पूरी तरह से सरकारी मेडिकल कॉलेज (government medical college) हो गया है. मेडिकल कॉलेज में आखिरी बैच 2016-17 का है. इस बीच 2018 में मान्यता रद्द होने के कारण उनकी पढ़ाई अटक गई है. वहीं, कॉलेज में अभी तक आवश्यक अधोसंरचना का निर्माण नहीं किया जा सका है. यहां मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (medical council of india) के प्रावधान के अनुसार न तो विशेषज्ञ, शिक्षक हैं और न ही पर्याप्त स्टाफ है.
मेडिकल के छात्रों को दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट करने के बाद उन्हें राहत मिलेगी. मालूम हो कि कॉलेज में अध्ययनरत 183 छात्र-छात्राएं अपने भविष्य को लेकर चिंतित थे. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता किशोर भादुड़ी ने बताया कि राज्य में पहली बार किसी कॉलेज के विद्यार्थियों को इस तरह से दूसरे कॉलेजों में शिफ्ट किया जा रहा है.