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नाबालिग लड़की को ढूढ़कर पुलिस ने माता-पिता को सौंपा, प्रशासन के बयान के बाद HC ने निराकृत की याचिका

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Published : Jul 23, 2020, 1:26 PM IST

नाबालिग लड़की के लापता होने को लेकर हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई. इसके बाद नाबालिग को पुलिस प्रशासन ने ढूंढकर माता-पिता को सौंप दिया है.

chhattisgarh High court
हाईकोर्ट छत्तीसगढ़

बिलासपुर: नाबालिग बालिका के लापता होने के बाद हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत की गई. जिसके बाद पुलिस ने नाबालिग को ढूंढकर माता-पिता को सौंप दिया है. नाबालिग 9 जुलाई को लापता हो गई थी, जिसकी खोजबीन के लिए पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी. इस पर नाबालिग के माता पिता ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी.

पढ़ें- राज्य सरकार के आग्रह पर हाईकोर्ट ने कैदियों के पैरोल की अवधि बढ़ाई

मुंगेली के ग्राम परसाकापा में रहने वाले शिकायकर्ता की नाबालिग बेटी 9 जुलाई 2020 को लापता हो गई थी. इस संबंध में प्रार्थी ने स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. लिखित शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 15 जुलाई को विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर लिया, कार्रवाई नहीं कर रही थी. नाबालिग की खोज के लिए पुलिस की उदासिनता को देखते हुए अधिवक्ता सुशोभित सिंह, चंद्र कुमार ने जरिए नाबालिग बालिका को सौंपने के लिए हाईकोर्ट में बंद प्रत्यक्षीकरण याचिका 20 जुलाई को प्रस्तुत की गई.

भिलाई में अतिक्रमणकारियों को हटाने की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के बचपन बचाओ आंदोलन भारत संघ में पारित आदेश और केंद्रीय गृह मंत्रालय के राज्यों के जारी सुझाव का हवाला दिया गया. केस की सुनवाई 22 जुलाई को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश की युगल पीठ में हुई. सुनवाई के दौरान शासन ने कोर्ट को बताया कि नाबालिग बालिका को ढूंढ लिया गया है और मेडिकल टेस्ट कराकर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के बाद, उसे माता पिता को सौंप दिया. शासन के इस कथन के बाद याचिका निराकृत कर दी गई है.

बिलासपुर: नाबालिग बालिका के लापता होने के बाद हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत की गई. जिसके बाद पुलिस ने नाबालिग को ढूंढकर माता-पिता को सौंप दिया है. नाबालिग 9 जुलाई को लापता हो गई थी, जिसकी खोजबीन के लिए पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी. इस पर नाबालिग के माता पिता ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी.

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इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के बचपन बचाओ आंदोलन भारत संघ में पारित आदेश और केंद्रीय गृह मंत्रालय के राज्यों के जारी सुझाव का हवाला दिया गया. केस की सुनवाई 22 जुलाई को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश की युगल पीठ में हुई. सुनवाई के दौरान शासन ने कोर्ट को बताया कि नाबालिग बालिका को ढूंढ लिया गया है और मेडिकल टेस्ट कराकर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के बाद, उसे माता पिता को सौंप दिया. शासन के इस कथन के बाद याचिका निराकृत कर दी गई है.

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