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मरवाही में धान की फसल को लगा रोग, किसानों को नुकसान होना तय - Expensive insecticide ineffective in Marwahi

गौरेला पेंड्रा मरवाही में इन दिनों किसान परेशान हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह उनकी धान की फसल में रोग लग जाना है.

मरवाही में रोग की चपेट में धान की फसल
मरवाही में रोग की चपेट में धान की फसल
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Published : Sep 2, 2022, 1:06 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही : सरकारी और उन्नत किस्म के धान में अब बीमारियों का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. बंकी, तनाछेदक, सूखा रोग से किसान परेशान हो गए (Marwahi Paddy crop in the grip of disease) है. महंगे धान बीज खरीदने के बात अब किसान खेतों में महंगे कीटनाशक छिड़कने को मजबूर है. इसके बावजूद उत्पादन में 25 से 50% तक की कमी से किसान सशंकित (loss to farmers of Marwahi ) भी हैं. वहीं कृषि विभाग बीमारियों की वजह लगातार हुई. बारिश एवं रासायनिक उर्वरकों के गलत या अधिक इस्तेमाल को बता रहे हैं.

खेती को बढ़ावा देने की कोशिश : खेती को लाभ का धंधा बनाने का प्रयास राज्य एवं केंद्र सरकार की ओर से लगातार किया जा रहा है. इसके लिए उन्नत किस्म के बीजों के साथ-साथ वर्मी कंपोस्ट को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहे हैं.किसान भी सरकारी दावों के अनुरूप अधिक उत्पादन के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता से युक्त उन्नत किस्म के सरकारी धान बीजों का क्रय सहकारी समिति एवं मान्यता प्राप्त कृषि दुकानों से करता है. ताकि अच्छा उत्पादन के साथ-साथ बीमारियों का प्रकोप कम हो.

धान की फसल में बीमारी का प्रकोप : लेकिन सरकारी दावों के बावजूद धान बीजों में लगातार बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है. इन दिनों धान के खेतों में तना छेदक,बंकी ,सूखा रोग प्रमुख रूप से लग रहे हैं.इन बीमारियों का प्रकोप इतना है कि यदि समय पर कीटनाशकों का छिड़काव ना किया जाए तो उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होता है. कई बार तो उत्पादन भी मिलना मुश्किल हो जाता है. फसलों में रोग लगने के बाद किसान अब महंगे कीटनाशक का उपयोग करने को विवश है. फिर भी उत्पादन में 50 % तक की कमी आना तय (Expensive insecticide ineffective in Marwahi ) है. किसानों का कहना है कि बीमारी लगने के बाद उत्पादन में कमी के साथ पैसों का नुकसान हो रहा है.सरकार उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को कई उन्नत किस्म के धान बीज उपलब्ध करा रही है बीज निगम से सर्टिफाइड इन बीजों को अत्याधिक उत्पादन के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता संयुक्त बताकर किसानों को बेचा जाता है धान की इन किस्मों में MTU 1001, MTU1010,जैसी किस्में शामिल हैं.

ये भी पढ़ें- फसलों की बीमारियों से जूझ रहे किसान, कृषि विभाग नहीं ले रहा सुध

क्या है कृषि विभाग की दलील : किसानों को आ रही समस्या को लेकर उप संचालक कृषि विभाग से जब बात की गई तो उन्होंने बीमारी की वजह लगातार हो रही बारिश के साथ-साथ किसानों को इसका दोषी ठहरा दिया. उनके अनुसार किसान अपनी मर्जी से डीएपी खाद का लगातार छिड़काव कर रहे थे. जिसकी वजह से नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ गई और धान में रोग लग गया. अब उन्हें पोटाश छिड़काव की सलाह दी जा रही है. खाद, बीज के इस्तेमाल से लेकर मृदा परीक्षण तक की जिम्मेदारी कृषि विभाग की है. वे अपने कर्मचारियों के माध्यम से किसानों को सही सलाह दे. लेकिन कृषि विभाग के कर्मचारियों की अकर्मण्यता के कारण किसान परेशान हैं. जब किसान को यह पता ही नहीं होगा कि उसे कब, कौनसी और कितने मात्रा में कीटनाशक या उर्वरक का उपयोग करना है तो किसान जानेगा कैसे. ऐसे में न सिर्फ किसान को आर्थिक नुकसान होगा बल्कि उत्पादन में भी फर्क पड़ेगा.

गौरेला पेंड्रा मरवाही : सरकारी और उन्नत किस्म के धान में अब बीमारियों का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. बंकी, तनाछेदक, सूखा रोग से किसान परेशान हो गए (Marwahi Paddy crop in the grip of disease) है. महंगे धान बीज खरीदने के बात अब किसान खेतों में महंगे कीटनाशक छिड़कने को मजबूर है. इसके बावजूद उत्पादन में 25 से 50% तक की कमी से किसान सशंकित (loss to farmers of Marwahi ) भी हैं. वहीं कृषि विभाग बीमारियों की वजह लगातार हुई. बारिश एवं रासायनिक उर्वरकों के गलत या अधिक इस्तेमाल को बता रहे हैं.

खेती को बढ़ावा देने की कोशिश : खेती को लाभ का धंधा बनाने का प्रयास राज्य एवं केंद्र सरकार की ओर से लगातार किया जा रहा है. इसके लिए उन्नत किस्म के बीजों के साथ-साथ वर्मी कंपोस्ट को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहे हैं.किसान भी सरकारी दावों के अनुरूप अधिक उत्पादन के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता से युक्त उन्नत किस्म के सरकारी धान बीजों का क्रय सहकारी समिति एवं मान्यता प्राप्त कृषि दुकानों से करता है. ताकि अच्छा उत्पादन के साथ-साथ बीमारियों का प्रकोप कम हो.

धान की फसल में बीमारी का प्रकोप : लेकिन सरकारी दावों के बावजूद धान बीजों में लगातार बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है. इन दिनों धान के खेतों में तना छेदक,बंकी ,सूखा रोग प्रमुख रूप से लग रहे हैं.इन बीमारियों का प्रकोप इतना है कि यदि समय पर कीटनाशकों का छिड़काव ना किया जाए तो उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होता है. कई बार तो उत्पादन भी मिलना मुश्किल हो जाता है. फसलों में रोग लगने के बाद किसान अब महंगे कीटनाशक का उपयोग करने को विवश है. फिर भी उत्पादन में 50 % तक की कमी आना तय (Expensive insecticide ineffective in Marwahi ) है. किसानों का कहना है कि बीमारी लगने के बाद उत्पादन में कमी के साथ पैसों का नुकसान हो रहा है.सरकार उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को कई उन्नत किस्म के धान बीज उपलब्ध करा रही है बीज निगम से सर्टिफाइड इन बीजों को अत्याधिक उत्पादन के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता संयुक्त बताकर किसानों को बेचा जाता है धान की इन किस्मों में MTU 1001, MTU1010,जैसी किस्में शामिल हैं.

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क्या है कृषि विभाग की दलील : किसानों को आ रही समस्या को लेकर उप संचालक कृषि विभाग से जब बात की गई तो उन्होंने बीमारी की वजह लगातार हो रही बारिश के साथ-साथ किसानों को इसका दोषी ठहरा दिया. उनके अनुसार किसान अपनी मर्जी से डीएपी खाद का लगातार छिड़काव कर रहे थे. जिसकी वजह से नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ गई और धान में रोग लग गया. अब उन्हें पोटाश छिड़काव की सलाह दी जा रही है. खाद, बीज के इस्तेमाल से लेकर मृदा परीक्षण तक की जिम्मेदारी कृषि विभाग की है. वे अपने कर्मचारियों के माध्यम से किसानों को सही सलाह दे. लेकिन कृषि विभाग के कर्मचारियों की अकर्मण्यता के कारण किसान परेशान हैं. जब किसान को यह पता ही नहीं होगा कि उसे कब, कौनसी और कितने मात्रा में कीटनाशक या उर्वरक का उपयोग करना है तो किसान जानेगा कैसे. ऐसे में न सिर्फ किसान को आर्थिक नुकसान होगा बल्कि उत्पादन में भी फर्क पड़ेगा.

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