बिलासपुर : धर्मनगरी रतनपुर में चैत्र नवरात्र की नवमी को मां महामाया का 22 प्रकार के आभूषणों के साथ राजसी श्रृंगार किया गया. विधि विधान से पूजा- अर्चना करने के बाद कन्या पूजन और ब्राह्मण भोज का आयोजन किया गया. ज्योति कलश का विसर्जन कर नवरात्र का समापन किया गया.
रतनपुर के महामाया मंदिर में इस बार सादगी के साथ रामनवमी मनायी गई. लॉकडाउन और कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद कर दिया गया है. रामनवमी के दिन माता का 22 प्रकार के आभूषणों के साथ राजसी श्रृंगार किया गया. आरती और नवादे चढ़ाने के बाद मंदिर ट्रस्ट ने कन्या पूजन किया. पूजा के बाद 2 बटुक और 11 ब्राह्मणों को भोज कराया गया. ज्योति रक्षकों को भोजन और प्रसाद देने के बाद ज्योति कलश का विसर्जन किया गया.
रतनपुर की मां महामाया के दर्शन मात्र से दूर होते हैं सभी संकट
15 हजार ज्योति कलश किए गए प्रज्जवलित
इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से श्रद्धालुओं के लिए मां महामाया के कपाट बंद है, लेकिन श्रद्धालुओं को ऑनलाइन माता के दर्शन करने की सुविधा दी गई थी. इस साल मां महामाया के दरबार में 15 हजार ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए हैं.
108 शक्तिपीठों में से एक रतनपुर
विश्व के 108 शक्तिपीठों में से एक रतनपुर का महामाया मंदिर भी है. माता सती का दाहिना स्कंध रतनपुर में गिरा था. यहां मां कौमार्य शक्तिपीठ के रूप में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. यहां मां की महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली तीनों स्वरूपों में पूजा की जाती है. जानकार बताते हैं कि नवरात्र में शक्ति की उपासना होती है और इस दौरान तमाम ग्रहों को शांत किया जाता है.