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मोबाइल मेडिकल यूनिट में घोटाले में 4 सप्ताह बाद फिर होगी सुनवाई - छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

मोबाइल मेडिकल यूनिट (Mobile Medical Unit) घोटाले में सुनवाई अब 4 सप्ताह बाद होगी. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने सभी प्रतिवादियों की तरफ से जवाब न मिलने पर इसकी सुनवाई 4 सप्ताह बाद के लिए तय की है.

हाईकोर्ट बिलासपुर
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Published : Sep 20, 2021, 10:31 PM IST

बिलासपुर: ग्रामीण इलाकों में चलने वाली मोबाइल मेडिकल यूनिट (Mobile Medical Unit) में फर्जीवाड़े को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) में जनहित याचिका दायर की गई है. हाईकोर्ट ने यूनिट संचालन करने वाली कम्पनी और शासन को नोटिस (High Court notice) देकर 2 सप्ताह में विस्तृत जवाब मांगा था. प्रतिवादियों की ओर से जवाब न मिलने पर कोर्ट ने दोबारा जवाब देने के निर्देश देते हुए केस की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद तय की है.

गौरतलब है कि राज्य शासन (state government) ने प्रदेश के सूदूर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए इस यूनिट की शुरुआत की थी. साल 2018 में 30 एम्बुलेंस चलाने का टेंडर जारी किया गया था. प्रदेश के 16 जिलों में रूलर मोबाइल मेडिकल यूनिट के नाम से इनका संचालन करने जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस और सम्मान फाउंडेशन को टेंडर दिया गया. इस सेवा के बारे में अनेक शिकायतें मिल रहीं थीं कि गाड़ियां खड़ी रहती हैं और कैम्प नहीं लगाये जा रहे हैं.

इन सबकी जांच शासन के नोडल ऑफिसर ने की. इसमें पाया गया कि इस मोबाइल यूनिट में एक एमबीबीएस डॉक्टर भी होना चाहिए जो कि नहीं था. इनमें होम्योपैथ या आयुर्वेदिक चिकित्सक थे. 30 वाहनों में मई जून के 2 महीनों में कुल 787 दिन काम होना था. मगर इनमें 12 घंटे का एक दिन बनाया गया और सिर्फ 319 दिन ही काम हुआ.

नई गाड़ियों की जगह 2012 से पुरानी गाड़ियां चलाई गईं और शासन को बड़े पैमाने पर आर्थिक क्षति पहुंचाई गई. मामले की जांच रिपोर्ट को सम्बन्धित नोडल ऑफिसर ने जुलाई 2020 में ही शासन को सौंप दिया था. इसके बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. सारी जानकारी मिलने के बाद रायपुर निवासी संजय तिवारी ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी . अब इस केस में 4 सप्ताह बाद सुनवाई होगी.

बिलासपुर: ग्रामीण इलाकों में चलने वाली मोबाइल मेडिकल यूनिट (Mobile Medical Unit) में फर्जीवाड़े को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) में जनहित याचिका दायर की गई है. हाईकोर्ट ने यूनिट संचालन करने वाली कम्पनी और शासन को नोटिस (High Court notice) देकर 2 सप्ताह में विस्तृत जवाब मांगा था. प्रतिवादियों की ओर से जवाब न मिलने पर कोर्ट ने दोबारा जवाब देने के निर्देश देते हुए केस की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद तय की है.

गौरतलब है कि राज्य शासन (state government) ने प्रदेश के सूदूर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए इस यूनिट की शुरुआत की थी. साल 2018 में 30 एम्बुलेंस चलाने का टेंडर जारी किया गया था. प्रदेश के 16 जिलों में रूलर मोबाइल मेडिकल यूनिट के नाम से इनका संचालन करने जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस और सम्मान फाउंडेशन को टेंडर दिया गया. इस सेवा के बारे में अनेक शिकायतें मिल रहीं थीं कि गाड़ियां खड़ी रहती हैं और कैम्प नहीं लगाये जा रहे हैं.

इन सबकी जांच शासन के नोडल ऑफिसर ने की. इसमें पाया गया कि इस मोबाइल यूनिट में एक एमबीबीएस डॉक्टर भी होना चाहिए जो कि नहीं था. इनमें होम्योपैथ या आयुर्वेदिक चिकित्सक थे. 30 वाहनों में मई जून के 2 महीनों में कुल 787 दिन काम होना था. मगर इनमें 12 घंटे का एक दिन बनाया गया और सिर्फ 319 दिन ही काम हुआ.

नई गाड़ियों की जगह 2012 से पुरानी गाड़ियां चलाई गईं और शासन को बड़े पैमाने पर आर्थिक क्षति पहुंचाई गई. मामले की जांच रिपोर्ट को सम्बन्धित नोडल ऑफिसर ने जुलाई 2020 में ही शासन को सौंप दिया था. इसके बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. सारी जानकारी मिलने के बाद रायपुर निवासी संजय तिवारी ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी . अब इस केस में 4 सप्ताह बाद सुनवाई होगी.

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