बिलासपुरः आदिवासियों की जमीन (tribal land) से करोड़ों का फायदा कंपनियां लेती हैं. यह जमीन आदिवासियों को फिर वापस नहीं दी जाती. मुआवजा से जिंदगियां नहीं चलतीं. ये बातें बिलासपुर में राज्यपाल अनुसूइय्या उइके ने कही. उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण पर आंदोलन और विरोध (movement and protest) को लेकर क्या हमने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है.
जवाब यह है कि जमीन अधिग्रहण कर मुआवजा तो दिया जाता है लेकिन इस मुआवजे से गरीबों की पूरी जिंदगी नहीं चलती. उन्होंने कहा कि आदिवासी ट्राइबल में रहता है और उसकी वही रोजी-रोटी होती है. वह ना तो पढ़ा लिखा होता है और न ही स्किल होती है. ताकि वह वहां से हट कर कुछ नया कर सके. नौकरी कर सके. उसका परिवार बढ़ता है.
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कंपनियों से मिलना चाहिए लाभांश
जिंदगियों की जिम्मेदारी बढ़ती है. ऐसे में उन्हें उनकी जमीन में खुलने वाली कंपनियों का कुछ लाभांश मिलना चाहिए. जिससे उसकी जिंदगी आसानी के साथ चल सके. राज्यपाल ने इस मामले में प्रधानमंत्री से चर्चा की है. राज्यपाल ने बताया कि शायद अब इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काम भी शुरू करा दिया है. अगर ऐसा हो गया कि आदिवासियों का जमीन जाने के बाद उन्हें रोजगार के साथ ही जिंदगी भर अपना और अपने परिवार का पेट पालने का माध्यम तैयार हो जाएगा. उनके साथ मेरी पूरी संवेदना है.