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महात्मा गांधी जयंतीः 1932 में बिलासपुर आए थे राष्ट्रपिता, लोगों की जेहन में कैद है उनकी यादें

भारत की स्वतंत्रता के सबसे बड़े नायक महात्मा गांधी (hero mahatma gandhi) थे. गांधी जी ने अविभाजित भारत (undivided India) को अंग्रेजों से आजाद कराने में इतने महान कार्य किये थे कि उनको आज भी लोग उनके प्रयासों और त्याग की पूजा करते हैं. राष्ट्र पिता महात्मा गांधी (Father Of The Nation Mahatma Gandhi) देश की आजादी (Country Independence) के लिए भारत के कई हिस्सों में जाकर आमसभा कर लोगों से आजादी की लड़ाई के लिए उनका योगदान मांगा था. आंदोलन (Protest) को आगे बढ़ाया था.

Father of the Nation came to Bilaspur in 1932
1932 में बिलासपुर आए थे राष्ट्रपिता
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Published : Oct 1, 2021, 10:34 PM IST

Updated : Oct 24, 2021, 3:58 PM IST

बिलासपुरः भारत की स्वतंत्रता के सबसे बड़े नायक महात्मा गांधी (Hero Mahatma Gandhi) थे. गांधी जी ने अविभाजित भारत (Undivided India) को अंग्रेजों से आजाद कराने में इतने महान कार्य किये थे कि उनको आज भी लोग उनके प्रयासों और त्याग की पूजा करते हैं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Father Of The Nation Mahatma Gandhi) देश की आजादी (Country Independence) के लिए भारत के कई हिस्सों में जाकर आमसभा कर लोगों से आजादी की लड़ाई के लिए उनका योगदान मांगा था. आंदोलन (Protest) को आगे बढ़ाया था.

1932 में बिलासपुर आए थे राष्ट्रपिता

आज देश आजाद है तो उनके योगदान और बलिदान की वजह से. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी (Rich In Personality) थे कि उन्होंने अपने जीवन काल के अधिकांश समय में देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंच कर आजादी की लड़ाई (Freedom Struggle) के लिए लोगों को एकत्र किया था. महात्मा गांधी देश और जनमानस से अपना आत्मीय जुड़ाव (Intimate Connection) रखते थे. यही वजह है कि आज भी देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पूजा (Worship Of The Father Of The Nation Mahatma Gandhi) होती है.

बापू का छत्तीसगढ़ कनेक्शन भी इतिहास के अमिट स्मृतियों में दर्ज है. पहली बार जब गांधी हरिजन आंदोलन के तहत राजधानी रायपुर पहुंचे थे. उन्होंने रायपुर में कई आमसभा की थी लेकिन उनका बिलासपुर का कोई प्रोग्राम नही था. बिलासपुरवासियों के विशेष आग्रह पर उन्होंने जल्द बिलासपुर आने का वादा किया और वह बिलासपुर आए. सन 1932 में बिलासा नगरी बापू के कदम पड़ते ही धन्य हो गई.

गांधी जी का रायपुर कार्यक्रम था लेकिन बिलासपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित शिव दुलारे मिश्रा, कुंज बिहारीलाल अग्निहोत्री और उनके साथियों ने आग्रह किया तो बापू बिलासपुर आने को तैयार हो गए. उनके बिलासपुर आने की कुछ यादें आज भी यहां कुछ लोगों के स्मृति पटल (Memory) पर छाई हुई है. उनका भव्य स्वागत हुआ था और वह समय एक मेला जैसा हो गया. महात्मा गांधी 25 नवम्बर 1932 को सड़क मार्ग से बिलासपुर पहुंचे थे. गांधी के आगमन की सूचना मिलते ही बिलासपुर और आसपास के लोगों में गांधी दर्शन के लिए इस कदर दीवानगी छाई कि लोग हफ्तों पहले से ही बिलासपुर में डेरा जमाने लगे थे.

महात्मा गांधी जयंतीः धमतरी में स्वतंत्रता के महानायक की होती है पूजा, विचारों में आज भी बहती हैं 'सत्य और अहिंसा' की नदियां

महात्मा गांधी पर फूल बरसा रहे थे लोग

पहली बार शहरी क्षेत्र में दूर-दूर से पहुंचे लोगों का रेला दिख रहा था. उन दिनों शहर में लोग पैदल या फिर बैलगाड़ी के माध्यम से पहुंच रहे थे. शहर आने से पहले रायपुर रोड में जगह-जगह उनका भव्य स्वागत (Grand Welcome) किया गया. रायपुर-बिलासपुर मार्ग में लोगों की दीवानगी गांधी के प्रति इस कदर थी कि लोग गांधी पर फूल और सिक्के लुटा रहे थे. उन दिनों गांधी जी के आगमन को सफल बनाने और सभा आयोजित करने की पूरी जिम्मेदारी कुंजबिहारी अग्निहोत्री, डॉ. शिवदुलारे मिश्रा, अमर सिंह सहगल, बैरिस्टर छेदीलाल जैसे दिग्गजों पर थी. बिलासपुर के सीमा क्षेत्र में पहुंचते ही कुंज बिहारी अग्निहोत्री समेत अन्य ने गांधी जी का स्वागत किया.

वर्तमान में बिलासपुर का जरहाभाठा चौक कहलाने वाली जगह के पास ठाकुर छेदीलाल के नेतृत्व में उनका भव्य स्वागत हुआ. फिर गांधीजी को विश्राम के लिए कुंजबिहारी अग्निहोत्री के निवास पर भेजा गया, जहां लोगों की भीड़ बेकाबू हो रही थी. महात्मा गांधी ने घर के झरोखे से ही बाहर मौजूद जनसमूह का अभिवादन (Greeting The Crowd) किया. इसी दिन शहर के कंपनी गार्डन में जो आज विवेकानंद उद्यान के नाम से जाना जाता है, वहां महिलाओं की एक सभा आयोजित की गई. गांधीजी इस सभा में पहुंचे और उन्हें देशहित के लिए महिलाओं ने 1000 रुपए से भरी एक थैली भेंट की. जिसे गांधी ने आजादी के सहयोग के रूप में बहुत कम माना और फिर महिलाओं ने बापू को तत्काल अपने जेवरात भेंट कर दिए.

जनसभा में थी लाखों की भीड़ थी
गांधी जी की जनसभा दो जगह हुई थी. जिसमें उसी दिन शहर के शनिचरी क्षेत्र में बापू की जनसभा होने वाली थी. जनसभा में लाखों की भीड़ आ गई, जिसे संभाल पाना मुश्किल था. उस सभा में मौजूद डॉ. शिवदुलारे मिश्रा, बैरिस्टर छेदीलाल के अलावा अन्य गणमान्य लोगों ने भरसक कोशिश की कि माहौल को नियंत्रित किया जाए लेकिन वो असफल रहे. फिर बापू ने खुद मोर्चा संभाला और हाथ हिला कर लोगों से इशारों में शांत होने की अपील की. जिससे सब शांत हो गए और मन्त्रमुग्ध (Mesmerized) होकर बापू को सुनने लगे. इस सभा में मूलरूप से दलित और हरिजन उत्थान (Dalit And Harijan Upliftment) के विषय को उठाया गया था.

लोगों में था राष्ट्रपिता के प्रति अगाध प्रेम

गांधी के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव इस कदर था कि सभा खत्म होने के बाद वहां मौजूद लोग सभास्थल से मिट्टी को उठाकर अपने साथ ले गए थे. उन दिनों गांधी जी के अगुवाई में प्रमुख रूप से सक्रिय हुए डॉ. शिवदुलारे मिश्रा के पोते शिवा मिश्रा बताते हैं कि उनके दादा को ही कांग्रेस पार्टी की तरफ से गांधी के स्वास्थ्य परीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. मिश्रा परिवार ने आज भी उस कुर्सी को संभाल कर रखा है जिस पर बैठकर गांधी जी खुली गाड़ी से शहर आए थे.

इसके अलावा ब्लड प्रेशर नापने वाली मशीन को भी, जिससे गांधी का ब्लड प्रेशर नापा गया था. उसे भी सहेज कर रखा गया है. डॉ. शिवदुलारे मिश्रा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता थे और क्षेत्र विशेष के मशहूर चिकित्सक थे. गांधी जी ने अपने व्यस्त कार्यक्रम में समय निकाल कर बिलासपुर आए लेकिन यहां की जनता का प्रेम (Public Love) और आजादी की लड़ाई (Freedom Struggle) के जुनून को देख कर उत्साहित हो गए थे. गांधी जी के दो दिनों के प्रवास के दौरान उनकी यादों को आज भी सहेजकर रखा गया है.

बिलासपुरः भारत की स्वतंत्रता के सबसे बड़े नायक महात्मा गांधी (Hero Mahatma Gandhi) थे. गांधी जी ने अविभाजित भारत (Undivided India) को अंग्रेजों से आजाद कराने में इतने महान कार्य किये थे कि उनको आज भी लोग उनके प्रयासों और त्याग की पूजा करते हैं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Father Of The Nation Mahatma Gandhi) देश की आजादी (Country Independence) के लिए भारत के कई हिस्सों में जाकर आमसभा कर लोगों से आजादी की लड़ाई के लिए उनका योगदान मांगा था. आंदोलन (Protest) को आगे बढ़ाया था.

1932 में बिलासपुर आए थे राष्ट्रपिता

आज देश आजाद है तो उनके योगदान और बलिदान की वजह से. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी (Rich In Personality) थे कि उन्होंने अपने जीवन काल के अधिकांश समय में देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंच कर आजादी की लड़ाई (Freedom Struggle) के लिए लोगों को एकत्र किया था. महात्मा गांधी देश और जनमानस से अपना आत्मीय जुड़ाव (Intimate Connection) रखते थे. यही वजह है कि आज भी देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पूजा (Worship Of The Father Of The Nation Mahatma Gandhi) होती है.

बापू का छत्तीसगढ़ कनेक्शन भी इतिहास के अमिट स्मृतियों में दर्ज है. पहली बार जब गांधी हरिजन आंदोलन के तहत राजधानी रायपुर पहुंचे थे. उन्होंने रायपुर में कई आमसभा की थी लेकिन उनका बिलासपुर का कोई प्रोग्राम नही था. बिलासपुरवासियों के विशेष आग्रह पर उन्होंने जल्द बिलासपुर आने का वादा किया और वह बिलासपुर आए. सन 1932 में बिलासा नगरी बापू के कदम पड़ते ही धन्य हो गई.

गांधी जी का रायपुर कार्यक्रम था लेकिन बिलासपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित शिव दुलारे मिश्रा, कुंज बिहारीलाल अग्निहोत्री और उनके साथियों ने आग्रह किया तो बापू बिलासपुर आने को तैयार हो गए. उनके बिलासपुर आने की कुछ यादें आज भी यहां कुछ लोगों के स्मृति पटल (Memory) पर छाई हुई है. उनका भव्य स्वागत हुआ था और वह समय एक मेला जैसा हो गया. महात्मा गांधी 25 नवम्बर 1932 को सड़क मार्ग से बिलासपुर पहुंचे थे. गांधी के आगमन की सूचना मिलते ही बिलासपुर और आसपास के लोगों में गांधी दर्शन के लिए इस कदर दीवानगी छाई कि लोग हफ्तों पहले से ही बिलासपुर में डेरा जमाने लगे थे.

महात्मा गांधी जयंतीः धमतरी में स्वतंत्रता के महानायक की होती है पूजा, विचारों में आज भी बहती हैं 'सत्य और अहिंसा' की नदियां

महात्मा गांधी पर फूल बरसा रहे थे लोग

पहली बार शहरी क्षेत्र में दूर-दूर से पहुंचे लोगों का रेला दिख रहा था. उन दिनों शहर में लोग पैदल या फिर बैलगाड़ी के माध्यम से पहुंच रहे थे. शहर आने से पहले रायपुर रोड में जगह-जगह उनका भव्य स्वागत (Grand Welcome) किया गया. रायपुर-बिलासपुर मार्ग में लोगों की दीवानगी गांधी के प्रति इस कदर थी कि लोग गांधी पर फूल और सिक्के लुटा रहे थे. उन दिनों गांधी जी के आगमन को सफल बनाने और सभा आयोजित करने की पूरी जिम्मेदारी कुंजबिहारी अग्निहोत्री, डॉ. शिवदुलारे मिश्रा, अमर सिंह सहगल, बैरिस्टर छेदीलाल जैसे दिग्गजों पर थी. बिलासपुर के सीमा क्षेत्र में पहुंचते ही कुंज बिहारी अग्निहोत्री समेत अन्य ने गांधी जी का स्वागत किया.

वर्तमान में बिलासपुर का जरहाभाठा चौक कहलाने वाली जगह के पास ठाकुर छेदीलाल के नेतृत्व में उनका भव्य स्वागत हुआ. फिर गांधीजी को विश्राम के लिए कुंजबिहारी अग्निहोत्री के निवास पर भेजा गया, जहां लोगों की भीड़ बेकाबू हो रही थी. महात्मा गांधी ने घर के झरोखे से ही बाहर मौजूद जनसमूह का अभिवादन (Greeting The Crowd) किया. इसी दिन शहर के कंपनी गार्डन में जो आज विवेकानंद उद्यान के नाम से जाना जाता है, वहां महिलाओं की एक सभा आयोजित की गई. गांधीजी इस सभा में पहुंचे और उन्हें देशहित के लिए महिलाओं ने 1000 रुपए से भरी एक थैली भेंट की. जिसे गांधी ने आजादी के सहयोग के रूप में बहुत कम माना और फिर महिलाओं ने बापू को तत्काल अपने जेवरात भेंट कर दिए.

जनसभा में थी लाखों की भीड़ थी
गांधी जी की जनसभा दो जगह हुई थी. जिसमें उसी दिन शहर के शनिचरी क्षेत्र में बापू की जनसभा होने वाली थी. जनसभा में लाखों की भीड़ आ गई, जिसे संभाल पाना मुश्किल था. उस सभा में मौजूद डॉ. शिवदुलारे मिश्रा, बैरिस्टर छेदीलाल के अलावा अन्य गणमान्य लोगों ने भरसक कोशिश की कि माहौल को नियंत्रित किया जाए लेकिन वो असफल रहे. फिर बापू ने खुद मोर्चा संभाला और हाथ हिला कर लोगों से इशारों में शांत होने की अपील की. जिससे सब शांत हो गए और मन्त्रमुग्ध (Mesmerized) होकर बापू को सुनने लगे. इस सभा में मूलरूप से दलित और हरिजन उत्थान (Dalit And Harijan Upliftment) के विषय को उठाया गया था.

लोगों में था राष्ट्रपिता के प्रति अगाध प्रेम

गांधी के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव इस कदर था कि सभा खत्म होने के बाद वहां मौजूद लोग सभास्थल से मिट्टी को उठाकर अपने साथ ले गए थे. उन दिनों गांधी जी के अगुवाई में प्रमुख रूप से सक्रिय हुए डॉ. शिवदुलारे मिश्रा के पोते शिवा मिश्रा बताते हैं कि उनके दादा को ही कांग्रेस पार्टी की तरफ से गांधी के स्वास्थ्य परीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. मिश्रा परिवार ने आज भी उस कुर्सी को संभाल कर रखा है जिस पर बैठकर गांधी जी खुली गाड़ी से शहर आए थे.

इसके अलावा ब्लड प्रेशर नापने वाली मशीन को भी, जिससे गांधी का ब्लड प्रेशर नापा गया था. उसे भी सहेज कर रखा गया है. डॉ. शिवदुलारे मिश्रा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता थे और क्षेत्र विशेष के मशहूर चिकित्सक थे. गांधी जी ने अपने व्यस्त कार्यक्रम में समय निकाल कर बिलासपुर आए लेकिन यहां की जनता का प्रेम (Public Love) और आजादी की लड़ाई (Freedom Struggle) के जुनून को देख कर उत्साहित हो गए थे. गांधी जी के दो दिनों के प्रवास के दौरान उनकी यादों को आज भी सहेजकर रखा गया है.

Last Updated : Oct 24, 2021, 3:58 PM IST
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