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छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला , विद्युत दुर्घटना में बिजली विभाग होगा जिम्मेदार

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Published : Aug 13, 2021, 11:36 PM IST

Updated : Aug 14, 2021, 12:08 AM IST

छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि विद्युत हादसे में बिजली विभाग जिम्मेदार होगा. विभाग को 45 दिनों के अंदर मुआवजा देना होगा.

छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

बिलासपुर: विद्युत दुर्घटना में बेटे की मौत को लेकर दायर पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने बड़ा और ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि विद्युत दुर्घटना से मौत का जिम्मेदार विभाग ही होगा. हाईकोर्ट ने बिजली विभाग को मृतक के पिता को 45 दिनों के भीतर 4 लाख 50 हजार रुपये ब्याज सहित देने का आदेश दिया है.

बतादें कि, याचिकाकार्ता ओमप्रकाश का पुत्र विद्युत विभाग के अधीन अक्षय ऊर्जा एजेंसी महासमुंद में क्रेडा द्वारा स्थापित सौर संयत्र में कार्यरत था. 16 दिसंबर 2019 को कार्य संचालान के दौरान विद्युत दुर्घटना की वजह से उसकी मृत्यु हो गई. मृत्यु जांच में भी पाया गया कि, याचिकाकर्ता के पुत्र की मृत्यु विद्युत प्रवाह से हुई है. इसके बाद भी याचिकाकर्ता को कोई मुआवजा नहीं दिया गया.

इसके विरुद्ध याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्यम हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की. याचिका मे बताया गया की यदि कोई भी संस्था, विभाग या कंपनी खतरनाक प्रकृति का कार्य संचालित करती है. तो उस कार्य संचालन के दौरान यदि कोई अप्रिय घटना होती है तो ऐसी संस्था कठोर दायित्व सिद्धांत के तहत सदैव उत्तरदायी होगी‌. ऐसे प्रकरणों में लापरवाही सिद्ध करना आवश्यक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भी मध्यप्रदेश विद्युत मंडल VS शैल कुमारी के केस में भी यही सिद्धांत प्रतिपादित किया है.

हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर विभाग को 45 दिनों के भीतर 4 लाख 50 हजार मुआवजा वो भी ब्याज समेत प्रदान करने का आदेश दिया है.

बिलासपुर: विद्युत दुर्घटना में बेटे की मौत को लेकर दायर पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने बड़ा और ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि विद्युत दुर्घटना से मौत का जिम्मेदार विभाग ही होगा. हाईकोर्ट ने बिजली विभाग को मृतक के पिता को 45 दिनों के भीतर 4 लाख 50 हजार रुपये ब्याज सहित देने का आदेश दिया है.

बतादें कि, याचिकाकार्ता ओमप्रकाश का पुत्र विद्युत विभाग के अधीन अक्षय ऊर्जा एजेंसी महासमुंद में क्रेडा द्वारा स्थापित सौर संयत्र में कार्यरत था. 16 दिसंबर 2019 को कार्य संचालान के दौरान विद्युत दुर्घटना की वजह से उसकी मृत्यु हो गई. मृत्यु जांच में भी पाया गया कि, याचिकाकर्ता के पुत्र की मृत्यु विद्युत प्रवाह से हुई है. इसके बाद भी याचिकाकर्ता को कोई मुआवजा नहीं दिया गया.

इसके विरुद्ध याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्यम हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की. याचिका मे बताया गया की यदि कोई भी संस्था, विभाग या कंपनी खतरनाक प्रकृति का कार्य संचालित करती है. तो उस कार्य संचालन के दौरान यदि कोई अप्रिय घटना होती है तो ऐसी संस्था कठोर दायित्व सिद्धांत के तहत सदैव उत्तरदायी होगी‌. ऐसे प्रकरणों में लापरवाही सिद्ध करना आवश्यक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भी मध्यप्रदेश विद्युत मंडल VS शैल कुमारी के केस में भी यही सिद्धांत प्रतिपादित किया है.

हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर विभाग को 45 दिनों के भीतर 4 लाख 50 हजार मुआवजा वो भी ब्याज समेत प्रदान करने का आदेश दिया है.

Last Updated : Aug 14, 2021, 12:08 AM IST
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