बिलासपुर : केंद्र सरकार पूरे देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी के रुप में डेवलेप कर रही है. जिसमें छत्तीसगढ़ के शहर रायपुर और बिलासपुर भी शामिल हैं. लेकिन बिलासपुर और रायपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी. जिसमे जनप्रतिनिधियों को स्मार्ट सिटी के बोर्ड ऑफ डारेक्टर में शामिल करने, एमआईसी और सामान्य सभा से प्रस्ताव पास करवाने और कार्यो की स्वीकृति लेने की मांग की गई थी. गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों स्मार्ट सिटी रायपुर, बिलासपुर के लिए वर्क आर्डर जारी करने की मांग को दोबारा स्वीकार कर (Chhattisgarh High Court gives relief to Smart City Bilaspur Raipur) लिया है. कोर्ट ने दोनों स्मार्ट सिटी को वर्कऑर्डर जारी करने की अनुमति दी है..
578 करोड़ के वर्क आर्डर जारी करने की अनुमति : गुरुवार को स्मार्ट सिटी मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई (Hearing in the High Court in the Smart City case) हुई. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में स्मार्ट सिटी बिलासपुर, रायपुर को नए टेंडर के वर्कऑर्डर जारी करने की अनुमति दी थी. फिर इस बार की सुनवाई में 578 करोड़ के वर्क आर्डर जारी करने को अनुमति मिली. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता की आपत्ति भी स्वीकार कर ठेकेदारों से बैंक गारंटी और परफॉरमेंस रिपोर्ट लेने को कहा है. मामले में पूर्व में स्मार्ट सिटी लिमिटेड को 71 करोड़ के कार्य की अनुमति दी गई थी . बुधवार को बिलासपुर स्मार्ट सिटी कंपनी की तरफ से 41 करोड़ और रायपुर कंपनी की ओर से 177 करोड़ के कार्यों की लिस्ट प्रस्तुत की गई जिन पर वर्क आर्डर जारी होना है.
ये भी पढ़ें - बिलासपुर हाईकोर्ट ने सिंदूर नदी पर बन रहे पुल के लोकेशन चेंज मामले पर लगी रोक हटाई
पूरा मामला क्या है : रायपुर, बिलासपुर नगर निगम की निर्वाचित संस्थाओं के अधिकारों पर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा अतिक्रमण करने का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई (Hearing in the High Court in the Smart City case) गई है. मामले में पेश जनहित याचिका अधिवक्ता विनय दुबे के द्वारा एडवोकेट सुदीप श्रीवास्तव के माध्यम से लगाई गई है. याचिका में बताया गया है कि जो काम स्मार्ट सिटी लिमिटेड करती है वही काम नगर निगम की निर्वाचित मेयर इन काउंसिल, सामान्य सभा से अनुमति लेकर करती है. ऐसे में जिस काम को निगम की शहर सरकार को करना चाहिए. उस काम को स्मार्ट सिटी कर रही है. जिससे संविधान में मिले निगम सरकार के अधिकार पर अतिक्रमण कर लिया गया है. इस काम को बिना एमआईसी, सामान्य सभा से अनुमति लिए बिना कार्य किया जा रहा है. इसमें निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को स्मार्ट सिटी कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल करने की मांग की गई है।