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Bilaspur Highcourt Decision : दुष्कर्म का आरोपी निकला यौन अक्षम, सात साल बाद कोर्ट ने किया रिहा - बिलासपुर में दुष्कर्म का आरोपी निकला यौन अक्षम

Bilaspur Highcourt Decision : बिलासपुर हाईकोर्ट ने दुष्कर्म की सजा काट रहे शख्स को बरी कर दिया है. कोर्ट में याचिकाकर्ता ने आरोपी की जांच रिपोर्ट पेश की जिसमे उसे यौन अक्षम माना गया था.

Bilaspur Highcourt Decision
दुष्कर्म का आरोपी निकला यौन अक्षम
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Published : Apr 6, 2022, 1:29 PM IST

बिलासपुर : बलात्कार के आरोप में जेल में बंद व्यक्ति के मामले में हाईकोर्ट ने उसे यौन अक्षम मानते हुए रिहा कर(Bilaspur High Court considers rape accused sexually incompetent) दिया है. पीड़ित पर बलात्कार का आरोप था, जबकि मेडिकल जांच की रिपोर्ट में पीड़ित यौन अक्षम साबित हुआ. इस मामले में कोर्ट ने आदेश दिया है कि अब तक जेल में काट चुकी सजा को पर्याप्त माना जाए और पीड़ित को रिहा कर दिया जाए. कोर्ट ने 7 साल की सजा को पर्याप्त मानते हुए आरोपी को बरी कर दिया. साथ ही कोर्ट ने 5 हजार रुपए का व्यक्तिगत बांड ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.



क्या है पूरा मामला : कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीड़ित का मेडिकल परीक्षण (Medical examination of Bilaspur victim) किया गया. लेकिन अभियोजन पक्ष ने ना तो डॉक्टर की रिपोर्ट जांची और ना ही उक्त दस्तावेज को साबित किया. हाईकोर्ट की अंतिम सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने ऐसे दस्तावेजों की सामग्री पेश की जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया. कोर्ट ने सबूतों के परीक्षण को महत्वपूर्ण कहा. इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने अभियुक्त को अब तक जेल में काट चुकी सजा को पर्याप्त मानते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया है.

ये भी पढ़े- रायपुर नगर निगम की कार्रवाई पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की रोक, रात में कोर्ट ने दिया आदेश

8 साल पहले लगे थे आरोप : आरोपी को 25 अक्टूबर 2014 को गिरफ्तार किया गया और जांच पूरी करने के बाद उस पर आरोप पत्र दाखिल किया गया. मामले में याचिकाकर्ता ने बताया कि उसे रंजिश के कारण पीड़िता के मामा ने झूठे आरोप (implicated in false charges due to enmity) में फंसाया है, हालांकि ट्रायल कोर्ट ने नाबालिग के बयान को प्राकृतिक और विश्वसनीय माना. जिसके आधार पर ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दोषी ठहराया. इस 10 साल की सजा सुनाई, जबकि उस दौरान आरोपी की जांच रिपोर्ट बेहद जरूरी थी.लेकिन इस पर गौर नहीं किया गया.

बिलासपुर : बलात्कार के आरोप में जेल में बंद व्यक्ति के मामले में हाईकोर्ट ने उसे यौन अक्षम मानते हुए रिहा कर(Bilaspur High Court considers rape accused sexually incompetent) दिया है. पीड़ित पर बलात्कार का आरोप था, जबकि मेडिकल जांच की रिपोर्ट में पीड़ित यौन अक्षम साबित हुआ. इस मामले में कोर्ट ने आदेश दिया है कि अब तक जेल में काट चुकी सजा को पर्याप्त माना जाए और पीड़ित को रिहा कर दिया जाए. कोर्ट ने 7 साल की सजा को पर्याप्त मानते हुए आरोपी को बरी कर दिया. साथ ही कोर्ट ने 5 हजार रुपए का व्यक्तिगत बांड ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.



क्या है पूरा मामला : कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीड़ित का मेडिकल परीक्षण (Medical examination of Bilaspur victim) किया गया. लेकिन अभियोजन पक्ष ने ना तो डॉक्टर की रिपोर्ट जांची और ना ही उक्त दस्तावेज को साबित किया. हाईकोर्ट की अंतिम सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने ऐसे दस्तावेजों की सामग्री पेश की जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया. कोर्ट ने सबूतों के परीक्षण को महत्वपूर्ण कहा. इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने अभियुक्त को अब तक जेल में काट चुकी सजा को पर्याप्त मानते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया है.

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8 साल पहले लगे थे आरोप : आरोपी को 25 अक्टूबर 2014 को गिरफ्तार किया गया और जांच पूरी करने के बाद उस पर आरोप पत्र दाखिल किया गया. मामले में याचिकाकर्ता ने बताया कि उसे रंजिश के कारण पीड़िता के मामा ने झूठे आरोप (implicated in false charges due to enmity) में फंसाया है, हालांकि ट्रायल कोर्ट ने नाबालिग के बयान को प्राकृतिक और विश्वसनीय माना. जिसके आधार पर ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दोषी ठहराया. इस 10 साल की सजा सुनाई, जबकि उस दौरान आरोपी की जांच रिपोर्ट बेहद जरूरी थी.लेकिन इस पर गौर नहीं किया गया.

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