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महिला दिवस विशेष : 'चाय के विज्ञापन से फिल्म डायरेक्शन में जाने की जागी रुचि'

इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ETV भारत आपको बिलासपुर की एक ऐसी शख्सियत से मिला रहे हैं , जिन्होंने फिल्म डायरेक्शन की फील्ड पर अपना करियर बनाने का फैसला लिया.

Anupama Manhar first girl from Chhattisgarh who is working as a film director
डायरेक्शन का कर रही काम
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Published : Mar 6, 2021, 9:00 PM IST

Updated : Mar 7, 2021, 5:18 PM IST

बिलासपुर : अमूमन फिल्म निर्देशन जैसे कठिन क्षेत्रों में महिलाएं कम ही नजर आती हैं. उनका रुझान पर्दे पर ज्यादा होता है. पर्दे के पीछे की भूमिका में महिलाएं कम ही नजर आती हैं. छत्तीसगढ़ी फिल्म की बात करें तो यहां महिलाएं या तो अभिनय करती नजर आती हैं या नृत्य और संगीत में दिखती हैं. बिलासपुर की एक युवती ने इन सब से अलग डायरेक्शन के फील्ड में अपना करियर बनाने का सोचा और उस क्षेत्र में आगे बढ़ती गईं. बिलासपुर की बेटी अनुपमा मनहर अब तक कई छत्तीसगढ़ी और हिंदी फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर का काम कर चुकी हैं. इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ETV भारत ने अनुपमा मनहर से खास बातचीत की.

डायरेक्शन का कर रही काम

सवाल- आपने डायरेक्शन की शुरुआत कैसे की ?

जवाब- हॉस्पिटैलिटी में डिप्लोमा की पढ़ाई की. जिला अस्पताल बेमेतरा में स्वास्थ्यकर्मी के रूप में सेवा देने लगी. नौकरी के बंधन से अलग कुछ करने के लिए मुंबई का रुख किया. मुंबई पहुंचते हुए MBA करने का फैसला लिया और पुणे यूनिवर्सिटी से डिग्री ली. इस बीच चाय के विज्ञापन का शॉर्ट एड करने का मौका मिला, जिसे बड़े ही शिद्दत से पूरा किया. वहीं से डायरेक्शन के लिए रूचि बढ़ी. डायरेक्शन सीखने की चाह में इस ओर बढ़ती चली गई. जब डिग्री पूरी हुई और छत्तीसगढ़ लौटी तो यहां की फिल्म इंडस्ट्री को जानने का मौका मिला.

सवाल- डायरेक्शन के फील्ड में ज्यादातर लड़कियां कम ही रूचि लेती हैं ऐसे में आपने सिर्फ इस फील्ड को ही क्यों चुना ?

जवाब- हम ज्यादातर देखते हैं कि लड़कियां या तो एक्टर बनने में रुचि लेती हैं या संगीत और डांस में जाना पसंद करती हैं. डायरेक्शन बहुत ही अच्छी फील्ड है, लेकिन लड़कियां इसमें कम ही आती हैं.

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सवाल- अब तक आप जो सीख चुकी हैं उसके बारे में कुछ बताइए ?

जवाब- अब तक मैंने फ्रेमिंग सीखा है. बैक लाइट सीखा है. स्क्रिप्टिंग आती ही है और भी छोटी-बड़ी बहुत सी चीज है जो मैंने सीखी हैं.

सवाल- अब तक आपने कितने प्रोजेक्ट पर काम किया है?

जवाब- सबसे पहले तो लव दिवाना किया था मैने फिर आई लव यू-2 में काम किया. बाद में हिंदी मूवी मैरिज धमाल अभी किया है.

सवाल- डायरेक्शन में सबसे मुश्किल काम क्या लगता है?

जवाब- बस वहीं इतने सारे लोगों को एक साथ मैनेज करना होता है. कई बार तो 3 असिस्टेंट डायरेक्टर भी कम पड़ जाते हैं. हर कोई डायरेक्टर को बराबर सपोर्ट करते हैं. जो जरूरी भी होता है. शेड्यूलिंग का काम करना होता है. सीन का ध्यान रखना होता है.

सवाल- आप दूसरी लड़कियों से क्या कहना चाहेंगी ?

जवाब- सबसे पहली बात तो आप जिस भी फील्ड में जाना चाहते हैं उसे क्लीयर रखें. अगर एक्टिंग करना है तो उस तरफ पूरा फोकस करें. अपनी काबिलयत को समझकर उस पर भरोसा करना बहुत जरूरी है. मेरे घर में शुरुआत से ही कला के क्षेत्र में सभी ने काम किया है. इस वजह से हमें कभी भी कोई दिक्कत नहीं आई. मेरे पिताजी छत्तीसगढ़ी शायरी, कविताएं लिखा करते थे जिन्हें सुनकर हम बड़े हुए हैं. सभी से बस यही कहना चाहूंगी कि अपनी इच्छाओं को मत दबाइए, इंतजार करिए हर चीज का एक समय होता है. बस अपने सपनों को मत मारिए.

बिलासपुर : अमूमन फिल्म निर्देशन जैसे कठिन क्षेत्रों में महिलाएं कम ही नजर आती हैं. उनका रुझान पर्दे पर ज्यादा होता है. पर्दे के पीछे की भूमिका में महिलाएं कम ही नजर आती हैं. छत्तीसगढ़ी फिल्म की बात करें तो यहां महिलाएं या तो अभिनय करती नजर आती हैं या नृत्य और संगीत में दिखती हैं. बिलासपुर की एक युवती ने इन सब से अलग डायरेक्शन के फील्ड में अपना करियर बनाने का सोचा और उस क्षेत्र में आगे बढ़ती गईं. बिलासपुर की बेटी अनुपमा मनहर अब तक कई छत्तीसगढ़ी और हिंदी फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर का काम कर चुकी हैं. इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ETV भारत ने अनुपमा मनहर से खास बातचीत की.

डायरेक्शन का कर रही काम

सवाल- आपने डायरेक्शन की शुरुआत कैसे की ?

जवाब- हॉस्पिटैलिटी में डिप्लोमा की पढ़ाई की. जिला अस्पताल बेमेतरा में स्वास्थ्यकर्मी के रूप में सेवा देने लगी. नौकरी के बंधन से अलग कुछ करने के लिए मुंबई का रुख किया. मुंबई पहुंचते हुए MBA करने का फैसला लिया और पुणे यूनिवर्सिटी से डिग्री ली. इस बीच चाय के विज्ञापन का शॉर्ट एड करने का मौका मिला, जिसे बड़े ही शिद्दत से पूरा किया. वहीं से डायरेक्शन के लिए रूचि बढ़ी. डायरेक्शन सीखने की चाह में इस ओर बढ़ती चली गई. जब डिग्री पूरी हुई और छत्तीसगढ़ लौटी तो यहां की फिल्म इंडस्ट्री को जानने का मौका मिला.

सवाल- डायरेक्शन के फील्ड में ज्यादातर लड़कियां कम ही रूचि लेती हैं ऐसे में आपने सिर्फ इस फील्ड को ही क्यों चुना ?

जवाब- हम ज्यादातर देखते हैं कि लड़कियां या तो एक्टर बनने में रुचि लेती हैं या संगीत और डांस में जाना पसंद करती हैं. डायरेक्शन बहुत ही अच्छी फील्ड है, लेकिन लड़कियां इसमें कम ही आती हैं.

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सवाल- अब तक आप जो सीख चुकी हैं उसके बारे में कुछ बताइए ?

जवाब- अब तक मैंने फ्रेमिंग सीखा है. बैक लाइट सीखा है. स्क्रिप्टिंग आती ही है और भी छोटी-बड़ी बहुत सी चीज है जो मैंने सीखी हैं.

सवाल- अब तक आपने कितने प्रोजेक्ट पर काम किया है?

जवाब- सबसे पहले तो लव दिवाना किया था मैने फिर आई लव यू-2 में काम किया. बाद में हिंदी मूवी मैरिज धमाल अभी किया है.

सवाल- डायरेक्शन में सबसे मुश्किल काम क्या लगता है?

जवाब- बस वहीं इतने सारे लोगों को एक साथ मैनेज करना होता है. कई बार तो 3 असिस्टेंट डायरेक्टर भी कम पड़ जाते हैं. हर कोई डायरेक्टर को बराबर सपोर्ट करते हैं. जो जरूरी भी होता है. शेड्यूलिंग का काम करना होता है. सीन का ध्यान रखना होता है.

सवाल- आप दूसरी लड़कियों से क्या कहना चाहेंगी ?

जवाब- सबसे पहली बात तो आप जिस भी फील्ड में जाना चाहते हैं उसे क्लीयर रखें. अगर एक्टिंग करना है तो उस तरफ पूरा फोकस करें. अपनी काबिलयत को समझकर उस पर भरोसा करना बहुत जरूरी है. मेरे घर में शुरुआत से ही कला के क्षेत्र में सभी ने काम किया है. इस वजह से हमें कभी भी कोई दिक्कत नहीं आई. मेरे पिताजी छत्तीसगढ़ी शायरी, कविताएं लिखा करते थे जिन्हें सुनकर हम बड़े हुए हैं. सभी से बस यही कहना चाहूंगी कि अपनी इच्छाओं को मत दबाइए, इंतजार करिए हर चीज का एक समय होता है. बस अपने सपनों को मत मारिए.

Last Updated : Mar 7, 2021, 5:18 PM IST
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