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काष्ठ कलाकार वीरेंद्र की कला के मुरीद हो जाएंगे आप

कहते हैं हुनर है तो कदर है. इच्छा शक्ति और लगन हो तो कुछ भी किया जा सकता है. ऐसे ही एक कलाकार हैं वीरेंद्र श्रीवास्तव. वीरेंद्र ने ना तो कोई प्रशिक्षण लिया और ना ही उनको विरासत में कोई कला मिली, लेकिन काष्ठ कला के प्रति ऐसी लगन की उन्होंने इसकी बारीकियां खुद ही सीख लिया. आइये मिलते हैं वीरेंद्र श्रीवास्तव से और जानते हैं उनकी कलाकारी... ( Spectacular figure on wood in Sarguja)

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Published : May 31, 2022, 9:39 PM IST

Updated : May 31, 2022, 10:00 PM IST

Virendra Srivastava wood artist
काष्ठ कलाकार वीरेंद्र श्रीवास्तव

सरगुजा: अंबिकापुर के वीरेंद्र श्रीवास्तव काष्ठ कलाकार हैं. लकड़ी पर शानदार आकृति उकेरते हैं. पशु-पक्षी, भगवान और महापुरुषों की प्रतिमा बनाते हैं. सिर्फ प्रतिमा ही नहीं टेबल लैम्प, टेबल टॉप जैसी आकर्षक, सजावटी वस्तुओं का भी निर्माण वीरेंद्र करते हैं. (Virendra Srivastava wood artist of Ambikapur)

काष्ठ कलाकार वीरेंद्र श्रीवास्तव से खास बातचीत

10 वर्ष की उम्र से शुरू किया काम: वीरेन्द्र बताते हैं ''बचपन से ही काष्ठ कला का शौक था. 10 वर्ष की उम्र से ही लकड़ी में आकृति बनाने का प्रयास शुरू किया. अभ्यास करते करते ऐसा समय आया कि अब लकड़ी को मूर्ति का रूप दे देता हूं.'' खास बात यह है कि वीरेंद्र मूर्ति के आलावा बेहद आकर्षक होम डेकोरेशन के छोटे आइटम भी बनाते हैं.

नहीं है परंपरागत काम: वीरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि वो पेशे से व्यवसायी हैं. पिता शासकीय सेवा में थे. इन्होंने कभी काष्ठकला किसी से नहीं सीखा और ना ही परिवार में कभी परंपरागत रूप से कोई लकड़ी का काम करता था. वीरेंद्र को बचपन से ही लगन थी. इस लगन ने उन्हें कब एक कुशल कलाकार बना दिया, ये उन्हें भी नहीं पता चला.

देसी के साथ विदेशी वाद्ययंत्रों को बजाने में माहिर है आदिवासी अंचल का अभिषेक

वाद्य यंत्रों का निर्माण: वीरेंद्र कई महापुरुषों की मूर्तियां बना चुके हैं. महात्मा गांधी, स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान, भगवान गणेश सहित लकड़ी से बनने वाले वाद्य यंत्र भी वीरेंद्र बनाते हैं. वीणा, सितार व सारंगी का भी निर्माण करते हैं. हाल ही में इन्होंने एक वीणा बना कर रखी है. हालांकि ये मूर्तियां और वाद्य यंत्र महंगे होते हैं.

महंगी होती है काष्ठ कला: काष्ठ कला महंगी होती है. एक मूर्ति की कीमत लगभग 10 हजार रुपये के आसपास होती है. महंगे होने का कारण इसकी लागत नहीं बल्कि इसे बनाने में लगने वाला समय होता है. एक मूर्ति बनाने में लगभग एक महीने का समय लग जाता है. लकड़ी पर इतनी बारीक नक्काशी करना बेहद आराम वाला काम है.


सरगुजा: अंबिकापुर के वीरेंद्र श्रीवास्तव काष्ठ कलाकार हैं. लकड़ी पर शानदार आकृति उकेरते हैं. पशु-पक्षी, भगवान और महापुरुषों की प्रतिमा बनाते हैं. सिर्फ प्रतिमा ही नहीं टेबल लैम्प, टेबल टॉप जैसी आकर्षक, सजावटी वस्तुओं का भी निर्माण वीरेंद्र करते हैं. (Virendra Srivastava wood artist of Ambikapur)

काष्ठ कलाकार वीरेंद्र श्रीवास्तव से खास बातचीत

10 वर्ष की उम्र से शुरू किया काम: वीरेन्द्र बताते हैं ''बचपन से ही काष्ठ कला का शौक था. 10 वर्ष की उम्र से ही लकड़ी में आकृति बनाने का प्रयास शुरू किया. अभ्यास करते करते ऐसा समय आया कि अब लकड़ी को मूर्ति का रूप दे देता हूं.'' खास बात यह है कि वीरेंद्र मूर्ति के आलावा बेहद आकर्षक होम डेकोरेशन के छोटे आइटम भी बनाते हैं.

नहीं है परंपरागत काम: वीरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि वो पेशे से व्यवसायी हैं. पिता शासकीय सेवा में थे. इन्होंने कभी काष्ठकला किसी से नहीं सीखा और ना ही परिवार में कभी परंपरागत रूप से कोई लकड़ी का काम करता था. वीरेंद्र को बचपन से ही लगन थी. इस लगन ने उन्हें कब एक कुशल कलाकार बना दिया, ये उन्हें भी नहीं पता चला.

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वाद्य यंत्रों का निर्माण: वीरेंद्र कई महापुरुषों की मूर्तियां बना चुके हैं. महात्मा गांधी, स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान, भगवान गणेश सहित लकड़ी से बनने वाले वाद्य यंत्र भी वीरेंद्र बनाते हैं. वीणा, सितार व सारंगी का भी निर्माण करते हैं. हाल ही में इन्होंने एक वीणा बना कर रखी है. हालांकि ये मूर्तियां और वाद्य यंत्र महंगे होते हैं.

महंगी होती है काष्ठ कला: काष्ठ कला महंगी होती है. एक मूर्ति की कीमत लगभग 10 हजार रुपये के आसपास होती है. महंगे होने का कारण इसकी लागत नहीं बल्कि इसे बनाने में लगने वाला समय होता है. एक मूर्ति बनाने में लगभग एक महीने का समय लग जाता है. लकड़ी पर इतनी बारीक नक्काशी करना बेहद आराम वाला काम है.


Last Updated : May 31, 2022, 10:00 PM IST
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