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सरगुजा कोल प्रोजक्ट्स में किन खदानों में नहीं होगा खनन, जानिए सरकार का रुख

ban on new mines in Surguja सरगुजा की कोल परियोजनाओं पर एक बयान देकर स्वास्थ्य मंत्री ने हलचल बढ़ा दी है. उन्होंने साफ कहा है कि सरगुजा में जहां विरोध हो रहा है वहां नई खदानें नहीं खुलेंगी. मुख्यमंत्री ने भी इस संबंध में सहमति दी है. पुरानी खदान यथावत चलेंगी. आंदोलन से बंद PKEB का संचालन फिर से किया जा सकता है.

सरगुजा कोल प्रोजक्ट पर टीएस सिंहदेव का बयान
सरगुजा कोल प्रोजक्ट पर टीएस सिंहदेव का बयान
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Published : Sep 27, 2022, 2:30 PM IST

Updated : Sep 27, 2022, 7:32 PM IST

सरगुजा : कोयला खदानों को लेकर चल रहे ग्रामीणों के विरोध के बीच प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और स्थानीय विधायक टीएस सिंहदेव ने एक बयान देकर हलचल बढ़ा दी (TS Singhdev statement on coal project) है. इस बयान के लोग अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं. हमने इस बयान के बाद सरकार के रुख और आंदोलनकारियों की मंशा जानी. यह जानने का प्रयास किया कि अब कौन सी खदानें खुलेंगी और किसका काम रोक दिया ( ban on new mines in Surguja) जायेगा.

अब नही खुलेंगी नई खदानें : स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि ''अब क्षेत्र में नई खदानें नहीं खोली जाएंगी और इसके लिए मुख्यमंत्री ने भी अपनी सहमति दे दी है. खदान को लेकर चल रहे विरोध के बारे में सीएम भूपेश बघेल से चर्चा के बाद उन्होंने नई खदान नहीं खोलने की सहमति दी है. इस सहमति के बाद अब परसा कोल ब्लॉक, केते एक्सटेंशन और प्रस्तावित पेंडरखी खदान नहीं खोली जाएगी. पूर्व से संचालित खदान यथावत रहेंगी, इसके साथ ही वर्तमान में आन्दोलन के कारण बन्द पड़ी परसा ईस्ट केते बासेन परियोजना में भी काम शुरू किया जायेगा. 200 दिन से ज्यादा का आंदोलन : हसदेव अरण्य क्षेत्र में नई खदान खोलने और पेड़ों की कटाई को लेकर ग्रामीण लगातार विरोध जता रहे हैं. ग्रामीणों के लगातार हो रहे विरोध के कारण पूर्व में भी स्वास्थ्य मंत्री ने बड़ा बयान दिया था. जिसके बाद पेड़ों की कटाई पर सीएम ने रोक लगा दी थी. अब ग्रामीणों के आंदोलन को 200 दिन से अधिक का समय हो चुका है. ग्रामीण अभी भी अपनी मांगों पर अडिग है. ऐसे में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने खदान खोले जाने को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात की और उन्हें वस्तु स्थिति से अवगत कराया है. जिसके बाद सीएम ने भी नई खदान नहीं खोलने पर अपनी सहमति जाहिर कर दी है.मुख्यमंत्री का समर्थन : स्वास्थ्य मंत्री ने कहा "हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तावित कोल खदान परसा कोल ब्लॉक, केते एक्सटेंशन, नई आ रही खदान पेंडरखी में खदान नहीं खोली जाएगी. 95 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि यहां खदान नहीं खुले. गांव वालों के राय के अनुसार ही खदान खुलेगी.गांव वालों के विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात की गई और उन्होंने खदान नहीं खोलने की सहमति दी है. परसा ईस्ट केते बासेन चलेगी. हम ग्रामीणों के साथ : स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है "मैंने ग्रामीणों से बात की और उनका कहना है कि पहले से परसा ईस्ट केते बासेन मुद्दा नहीं रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि जंगल क्षेत्र से लोग विस्थापित होंगे तो उनकी रोजी रोटी प्रभावित होगी. जमीन का मुआवजा तो मिल जाएगा लेकिन ग्रामीण जंगल से प्रतिवर्ष तेंदूपत्ता, महुआ, जड़ीबूटी और अन्य उत्पादों से 50 हजार रुपए तक कमाते है. ग्रामीणों को जमीन की कीमत तो मिल जाएग. लेकिन रोजगार की कीमत कहां गई. इसके साथ ही पर्यावरण को नुकसान होगा. हमने पेसा कानून में भी नियम बनाया है कि ग्रामीणों को प्रतिवर्ष 50 हजार रुपए मुआवजा दिया जाए. इसलिए जिसकी जमीन है.उसकी सहमति होनी चाहिए. गांव वाले नहीं चाहेंगे कि खदान खुले तो हम उनके साथ खड़े है"एनओसी निरस्त कर सकती है सरकार : वरिष्ठ पत्रकार मनोज गुप्ता कहते हैं " स्वास्थ्य मंत्री के बयान से ऐसा लगता है कि वो PKEB के सबंध भी है. खदानों को खोलने को लेकर चल रहे विरोध के बीच यह बात सामने आई है कि खदान को लेकर चल रहे विरोध के बीच पूर्व से चल रही खदान परसा ईस्ट केते बासेन में चल रहे कोयला खनन पर भी रोक लगा दी गई है. बड़ी बात यह है कि पीईकेबी खदान को दो चरणों में स्वीकृति प्रदान की गई थी. पहले चरण में लगभग 800 हेक्टेयर की स्वीकृति मिली थी जिसमें गांव के क्षेत्र प्रभावित हुए थे. जबकि दूसरे चरण में लगभग 2100 हेक्टयर की स्वीकृति वर्ष 2011 में ही मिल चुकी है और इसमें सिर्फ जंगल का एरिया आ रहा है. पूर्व में स्वीकृत खदान चलते रहेंगे. दो बार पेड़ काटने का प्रयास किया का चुका है. अभी कुछ दिन पहले भी पेड़ काटने का प्रयास किया गया है. अब सरकार के पास पर्यावरणीय स्वीकृति या जारी एनओसी को निरस्त करने का अधिकार है. उस दिशा में आगे बढ़ेंगे तभी स्थिति स्पष्ट होगी. अभी तक तो सिर्फ बयानों के आधार पर ग्रामीण आंदोलन खत्म नही करेंगे.'' तीन नई खदानों पर रोक : खदान के सबंध में अभी सिर्फ बयान सामने आया है इस पर अमल शुरू नही हुआ है. बयान के आधार पर जिले की 3 नई परियोजना पर रोक लगाया जायेगा. जिनमें परसा कोल ब्लॉक, केते एक्टेंशन और पेंडरखी खदान नही खोली जायेगी. लेकिन इन सबके बीच आंदोलन जारी है. ग्रामीणों की मांग के अनुरूप काम करने के बाद भी आंदोलन क्यों जारी है ये बताया आंदोलन के सदस्य ने.

ये भी पढ़ें- उदयपुर क्षेत्र की कोल परियोजनाओं पर टीएस सिंहदेव का बड़ा बयान


पहले कार्यवाही फिर खत्म होगा आंदोलन : हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य जयनंदन सिंह से हमने टेलीफोनिक चर्चा की वो कहते हैं कि "बाबा का बयान हम लोग सुन चुके हैं. लेकिन आंदोलन अभी समाप्त नही होगा. उधर से बात आ रही है कि PKEB को चालू करना पड़ेगा, उसको चालू करने दीजिये तो परसा और केते एक्सटेंशन इसको खुलने नही देंगे. हम लोग तैयार हैं लेकिन सरकार लिखकर दे या एनओसी को निरस्त कर दे तो आंदोलन समाप्त हो जायेगा, जब तक कोई ठोस पहल नही होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा"
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सरगुजा : कोयला खदानों को लेकर चल रहे ग्रामीणों के विरोध के बीच प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और स्थानीय विधायक टीएस सिंहदेव ने एक बयान देकर हलचल बढ़ा दी (TS Singhdev statement on coal project) है. इस बयान के लोग अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं. हमने इस बयान के बाद सरकार के रुख और आंदोलनकारियों की मंशा जानी. यह जानने का प्रयास किया कि अब कौन सी खदानें खुलेंगी और किसका काम रोक दिया ( ban on new mines in Surguja) जायेगा.

अब नही खुलेंगी नई खदानें : स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि ''अब क्षेत्र में नई खदानें नहीं खोली जाएंगी और इसके लिए मुख्यमंत्री ने भी अपनी सहमति दे दी है. खदान को लेकर चल रहे विरोध के बारे में सीएम भूपेश बघेल से चर्चा के बाद उन्होंने नई खदान नहीं खोलने की सहमति दी है. इस सहमति के बाद अब परसा कोल ब्लॉक, केते एक्सटेंशन और प्रस्तावित पेंडरखी खदान नहीं खोली जाएगी. पूर्व से संचालित खदान यथावत रहेंगी, इसके साथ ही वर्तमान में आन्दोलन के कारण बन्द पड़ी परसा ईस्ट केते बासेन परियोजना में भी काम शुरू किया जायेगा. 200 दिन से ज्यादा का आंदोलन : हसदेव अरण्य क्षेत्र में नई खदान खोलने और पेड़ों की कटाई को लेकर ग्रामीण लगातार विरोध जता रहे हैं. ग्रामीणों के लगातार हो रहे विरोध के कारण पूर्व में भी स्वास्थ्य मंत्री ने बड़ा बयान दिया था. जिसके बाद पेड़ों की कटाई पर सीएम ने रोक लगा दी थी. अब ग्रामीणों के आंदोलन को 200 दिन से अधिक का समय हो चुका है. ग्रामीण अभी भी अपनी मांगों पर अडिग है. ऐसे में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने खदान खोले जाने को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात की और उन्हें वस्तु स्थिति से अवगत कराया है. जिसके बाद सीएम ने भी नई खदान नहीं खोलने पर अपनी सहमति जाहिर कर दी है.मुख्यमंत्री का समर्थन : स्वास्थ्य मंत्री ने कहा "हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तावित कोल खदान परसा कोल ब्लॉक, केते एक्सटेंशन, नई आ रही खदान पेंडरखी में खदान नहीं खोली जाएगी. 95 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि यहां खदान नहीं खुले. गांव वालों के राय के अनुसार ही खदान खुलेगी.गांव वालों के विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात की गई और उन्होंने खदान नहीं खोलने की सहमति दी है. परसा ईस्ट केते बासेन चलेगी. हम ग्रामीणों के साथ : स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है "मैंने ग्रामीणों से बात की और उनका कहना है कि पहले से परसा ईस्ट केते बासेन मुद्दा नहीं रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि जंगल क्षेत्र से लोग विस्थापित होंगे तो उनकी रोजी रोटी प्रभावित होगी. जमीन का मुआवजा तो मिल जाएगा लेकिन ग्रामीण जंगल से प्रतिवर्ष तेंदूपत्ता, महुआ, जड़ीबूटी और अन्य उत्पादों से 50 हजार रुपए तक कमाते है. ग्रामीणों को जमीन की कीमत तो मिल जाएग. लेकिन रोजगार की कीमत कहां गई. इसके साथ ही पर्यावरण को नुकसान होगा. हमने पेसा कानून में भी नियम बनाया है कि ग्रामीणों को प्रतिवर्ष 50 हजार रुपए मुआवजा दिया जाए. इसलिए जिसकी जमीन है.उसकी सहमति होनी चाहिए. गांव वाले नहीं चाहेंगे कि खदान खुले तो हम उनके साथ खड़े है"एनओसी निरस्त कर सकती है सरकार : वरिष्ठ पत्रकार मनोज गुप्ता कहते हैं " स्वास्थ्य मंत्री के बयान से ऐसा लगता है कि वो PKEB के सबंध भी है. खदानों को खोलने को लेकर चल रहे विरोध के बीच यह बात सामने आई है कि खदान को लेकर चल रहे विरोध के बीच पूर्व से चल रही खदान परसा ईस्ट केते बासेन में चल रहे कोयला खनन पर भी रोक लगा दी गई है. बड़ी बात यह है कि पीईकेबी खदान को दो चरणों में स्वीकृति प्रदान की गई थी. पहले चरण में लगभग 800 हेक्टेयर की स्वीकृति मिली थी जिसमें गांव के क्षेत्र प्रभावित हुए थे. जबकि दूसरे चरण में लगभग 2100 हेक्टयर की स्वीकृति वर्ष 2011 में ही मिल चुकी है और इसमें सिर्फ जंगल का एरिया आ रहा है. पूर्व में स्वीकृत खदान चलते रहेंगे. दो बार पेड़ काटने का प्रयास किया का चुका है. अभी कुछ दिन पहले भी पेड़ काटने का प्रयास किया गया है. अब सरकार के पास पर्यावरणीय स्वीकृति या जारी एनओसी को निरस्त करने का अधिकार है. उस दिशा में आगे बढ़ेंगे तभी स्थिति स्पष्ट होगी. अभी तक तो सिर्फ बयानों के आधार पर ग्रामीण आंदोलन खत्म नही करेंगे.'' तीन नई खदानों पर रोक : खदान के सबंध में अभी सिर्फ बयान सामने आया है इस पर अमल शुरू नही हुआ है. बयान के आधार पर जिले की 3 नई परियोजना पर रोक लगाया जायेगा. जिनमें परसा कोल ब्लॉक, केते एक्टेंशन और पेंडरखी खदान नही खोली जायेगी. लेकिन इन सबके बीच आंदोलन जारी है. ग्रामीणों की मांग के अनुरूप काम करने के बाद भी आंदोलन क्यों जारी है ये बताया आंदोलन के सदस्य ने.

ये भी पढ़ें- उदयपुर क्षेत्र की कोल परियोजनाओं पर टीएस सिंहदेव का बड़ा बयान


पहले कार्यवाही फिर खत्म होगा आंदोलन : हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य जयनंदन सिंह से हमने टेलीफोनिक चर्चा की वो कहते हैं कि "बाबा का बयान हम लोग सुन चुके हैं. लेकिन आंदोलन अभी समाप्त नही होगा. उधर से बात आ रही है कि PKEB को चालू करना पड़ेगा, उसको चालू करने दीजिये तो परसा और केते एक्सटेंशन इसको खुलने नही देंगे. हम लोग तैयार हैं लेकिन सरकार लिखकर दे या एनओसी को निरस्त कर दे तो आंदोलन समाप्त हो जायेगा, जब तक कोई ठोस पहल नही होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा"
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Last Updated : Sep 27, 2022, 7:32 PM IST
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