सरगुजा : छत्तीसगढ़ में सरगुजा एक ऐसा संभाग है, जहां जमीन खरीदी-बिक्री के नियम अलग हैं. प्रदेश के अन्य जिलों की तरह यहां जमीन खरीदना आसान नहीं है. ये अनुसूचित क्षेत्र है. इसी वजह से यहां एक जमीन को जितनी बार बेचा जाएगा, उतनी बार रजिस्ट्री के लिये जिले के कलेक्टर से अनुमति लेनी होती है. इस अलग नियम के पीछे आदिवासियों का हित बताया जा रहा है. वहीं अधिवक्ता इस नियम को आम लोगों की मुसीबत बता (Trouble buying land in Surguja) रहे हैं.
दूसरी जगहों से नियम है अलग : दरअसल सरगुजा अनुसूचित संभाग है. इस लिहाज से यहां बहुत से नियम प्रदेश के अन्य इलाकों से अलग हैं. संविधान में सरगुजा और इस जैसे अन्य क्षेत्रों को अलग शक्तियां प्राप्त हैं. इन्हीं में से एक नियम है जमीन रजिस्ट्री के लिए कलेक्टर की अनुमति (Surguja Collector Permission). यह नियम हर तरह की जमीन पर लागू नहीं होता. यह सिर्फ डाइवर्टेड प्लॉट के लिए हैं. डाइवर्टेड प्लॉट को सरगुजा में जितनी बार खरीदा जायेगा, उतनी बार जमीन की रजिस्ट्री के लिए उस जिले के कलेक्टर की अनुमति लेनी होगी.
संविधान में है नियम : इस संबंध में उप रजिस्ट्रार ने बताया कि संविधान में जो नियम है, उसकी वजह से संभाग में डाइवर्टेड प्लॉट की रजिस्ट्री के लिये कलेक्टर की अनुमति लगती है. ये नियम आदिवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए उन्हें प्राथमिकता देने के उद्देश्य से लागू किया गया है.
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आम जनता के लिए मुसीबत : अधिवक्ता इस नियम को कमाई का जरिया और आम लोगों की मुसीबत बता रहे हैं. अधिवक्ता दिनेश सोनी बताते हैं कि सैकड़ों जमीन की रजिस्ट्री अनुमति के लिये पेंडिंग है, जिससे आम लोग परेशान हैं. शासन के राजस्व की हानि भी होती है. रजिस्ट्री नहीं होने से राजस्व शासन के खाते तक नहीं पहुंचता. इसमें नियम बनाने की जरूरत है. समय सीमा तय होनी चाहिये. 1 या दो महीने में ऐसी जमीन की अनुमति पर फैसला आ जाए , लेकिन पटवारी से लेकर एसडीएम तक फाइल को लटकाए रहते हैं. फिर लंबे समय तक कलेक्टर के यहां मामला लंबित रहता है.